निगमागम संस्कृति | Nigmagam Sanskriti
पुस्तक का विवरण / Book Details | |
Book Name | निगमागम संस्कृति | Nigmagam Sanskriti |
Author | Vraj Vallabha Dwivedi |
Category | दर्शन शास्त्र / Philosophy, इतिहास / History, Historical |
Language | हिंदी / Hindi |
Pages | 356 |
Quality | Good |
Size | 74.5 MB |
Download Status | Available |
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निगमागम संस्कृति पुस्तक का कुछ अंश : मानव जाति को धरोहर के रूप में प्राप्त ज्ञान और विज्ञान का, संकीर्ण वृद्धि को छोड़ निष्पक्ष, भाव से अध्ययन किया जाना चाहिए। प्राच्य और पाश्चात्य देशों के दर्शनों को अपनी अपनी परंपरा रही है एवं इनकी अपनी-अपनी विशेषताएं हैं। इनका विकास परस्पर निरपेक्ष भाव से हुआ अथवा एक को दूसरे ने प्रभावित किया, इस विषय में विद्वानों में मतभेद है …….
“ऐसा व्यक्ति जो अपनी आंतरिक सत्ता का शासक है तथा अपनी भावनाओं, इच्छाओं, और भय को नियंत्रित करता है, वह किसी राजा से भी श्रेष्ठ व्यक्ति है।” जॉन मिल्टन
“He, who reigns within himself, and rules passions, desires, and fears, is more than a king.” John Milton
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