सभी मित्र, हस्तमैथुन के ऊपर इस जरूरी विडियो को देखे और नाम जप की शक्ति को अपने जीवन का जरुरी हिस्सा बनाये
वीडियो देखें

हिंदी संस्कृत मराठी ब्लॉग

निगमागम संस्कृति | Nigmagam Sanskriti

निगमागम संस्कृति Nigmagam Sanskriti निगमागम संस्कृति | Nigmagam Sanskriti
पुस्तक का विवरण / Book Details
Book Name निगमागम संस्कृति | Nigmagam Sanskriti
Author
Category, ,
Language
Pages 356
Quality Good
Size 74.5 MB
Download Status Available

सभी मित्र हस्तमैथुन के ऊपर इस जरूरी विडियो को देखे, ज्यादा से ज्यादा ग्रुप में शेयर करें| भगवान नाम जप की शक्ति को पहचान कर उसे अपने जीवन का जरुरी हिस्सा बनाये|

निगमागम संस्कृति पुस्तक का कुछ अंश : मानव जाति को धरोहर के रूप में प्राप्त ज्ञान और विज्ञान का, संकीर्ण वृद्धि को छोड़ निष्पक्ष, भाव से अध्ययन किया जाना चाहिए। प्राच्य और पाश्चात्य देशों के दर्शनों को अपनी अपनी परंपरा रही है एवं इनकी अपनी-अपनी विशेषताएं हैं। इनका विकास परस्पर निरपेक्ष भाव से हुआ अथवा एक को दूसरे ने प्रभावित किया, इस विषय में विद्वानों में मतभेद है …….
“ऐसा व्यक्ति जो अपनी आंतरिक सत्ता का शासक है तथा अपनी भावनाओं, इच्छाओं, और भय को नियंत्रित करता है, वह किसी राजा से भी श्रेष्ठ व्यक्ति है।” जॉन मिल्टन
“He, who reigns within himself, and rules passions, desires, and fears, is more than a king.” John Milton

हमारे टेलीग्राम चैनल से यहाँ क्लिक करके जुड़ें

Leave a Comment