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हिन्दी के सपूत / Hindi Ke Sapoot

हिन्दी के सपूत / Hindi Ke Sapoot
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हिन्दी के सपूत पुस्तक का कुछ अंश : भारत एक है और अखंड है। अखंड भारत को आत्मा समान हर से हिंदू और मुसलमान इन दो जातियों में अनुस्यूत हे। आत्मा की वाणी के रूप में सचिर प्रकाशन ही साहित्य है। फलतः भारत के राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य के निर्माण में हिन्दू और मुसलमान दोनों जातियों का समान माग है । प्रस्तुत समूह में हिन्दी के हिन्दू और मुसलमान दोनों ही सपूतों की सचिर रचनाओं का संकलन है। कवित्व क्या है, १ और कवित्व की गिनती कौन-सी और कैसी विधाएँ………..
पुस्तक का विवरण / Book Details
Book Name हिन्दी के सपूत / Hindi Ke Sapoot
Author
CategoryHindi Poetry Books PDF Kavya Book in Hindi PDF Literature Book in Hindi
Language
Pages 358
Quality Good
Size 14.5 MB
Download Status Available
“ऐसे दो मुख्य पाप हैं जिनसे अन्य सभी पापों की उत्पत्ति होती है: अधीरता और आलस्य।”“समस्त सफलताएं कर्म की नींव पर आधारित होती हैं।” – एंथनी राबिन्सफ्रेंक काफ्का
“There are two cardinal sins from which all others spring: Impatience and Laziness.”Devendra Kumar Jain“Action is the foundational key to all success.” – Anthony RobbinsFranz Kafka

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