गायत्री मंत्रं घनपाठः | Gayatri Mantra Ghanpathah

“गायत्री मंत्र घनपाठ” दिव्यता और सत्यता की प्रतिष्ठा के साथ जाना जाता है। इस घनपाठ में गायत्री मंत्र का जाप कई बार किया जाता है, जिससे उपासक को आध्यात्मिक उन्नति और मानव जीवन में शांति का अनुभव होता है।

गायत्री मंत्रं घनपाठः | Gayatri Mantra Ghanpathah

ॐ भूर्भुव॒स्सुवः॒ तथ्स॑वि॒तुर्वरे᳚ण्यं॒ भर्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि । धियो॒ यो नः॑ प्रचोदया᳚त् ॥

तथ्स॑वि॒तु – स्सवि॒तु – स्तत्त॒थ्स॑वि॒तुर्वरे᳚ण्यं॒-वँरे᳚ण्यग्ं सवि॒तु स्तत्तथ्स॑वि॒तुर्वरे᳚ण्यम् ।

स॒वि॒तुर्वरे᳚ण्यं॒-वँरे᳚ण्यग्ं सवि॒तु-स्स॑वि॒तुर्वरे᳚ण्यं भर्गो॒ भर्गो॒ वरे᳚ण्यग्ं सवि॒तु-स्स॑वितु॒र्वरे᳚ण्यं॒ भर्गः॑ ।

वरे᳚ण्यं॒ भर्गो॒ भर्गो॒ वरे᳚ण्यं॒-वँरे᳚ण्यं॒ भर्गो॑ दे॒वस्य॑ दे॒वस्य॒ भर्गो॒ वरे᳚ण्यं॒-वँरे᳚ण्यं॒ भर्गो॑ दे॒वस्य॑ ।

भर्गो॑ दे॒वस्य॑ दे॒वस्य॒ भर्गो॒ भर्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि दे॒वस्य॒ भर्गो॒ भर्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि ।

दे॒वस्य॑ धीमहि धीमहि दे॒वस्य॑ दे॒वस्य॑ धीमहि । धी॒म॒हीति॑ धीमहि ।

धियो॒ यो यो धियो॒ यो नो॑ नो॒ यो धियो॒ धियो॒ योनः॑ ॥

यो नो॑ नो॒ यो योनः॑ प्रचो॒दया᳚त्प्रचो॒दया᳚न्नो॒ यो योनः॑ प्रचो॒दया᳚त् ।

नः॒ प्र॒चो॒दया᳚त् प्रचो॒दया᳚न्नो नः प्रचो॒दया᳚त् । प्र॒चो॒दया॒दिति॑ प्र-चो॒दया᳚त् ।

ॐ भूः । ॐ भुवः । ओग्ं सुवः । ॐ महः । ॐ जनः । ॐ तपः । ओग्ं स॒त्यम् ।
ॐ तथ्स॑वि॒तुर्वरे᳚ण्यं॒ भर्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि ।
धियो॒ यो नः॑ प्रचोदया᳚त् ॥
ओमापो॒ ज्योती॒ रसो॒ऽमृतं॒ ब्रह्म॒ भू-र्भुव॒-स्सुव॒रोम् ॥

गायत्री मंत्रं घनपाठः सुनें | Listen Gayatri Mantra Ghanpathah

Famous Powerful Gayatri Mantra 108 Times | Om Bhur Bhuva Swaha | गायत्री मंत्र | ओम भूर भुवा स्वाहा

गायत्री मंत्रं घनपाठः के लाभ | Benefits of Gayatri Mantra Ghanpathah

  1. आत्मा की शुद्धि: गायत्री मंत्र का घनपाठ करने से आत्मा की शुद्धि होती है और उपयोगकर्ता आत्मा के साथ संबंध स्थापित करता है।
  2. मानव समर्थन: इस घनपाठ से उपयोगकर्ता को आत्म-समर्थन मिलता है, जिससे उसमें अधिक सहानुभूति और धैर्य की भावना होती है।
  3. दिव्य उपासना: गायत्री मंत्र घनपाठ से उपयोगकर्ता को दिव्य सूर्य उपासना का सौंदर्य और महत्वपूर्ण अनुभव होता है।

सावधानियां:

  1. श्रद्धा से पूजें: गायत्री मंत्र घनपाठ करने से पहले उपयोगकर्ता को श्रद्धा और भक्ति से पूजन करना चाहिए।
  2. मानसिक एवं भावनात्मक समर्पण: घनपाठ के दौरान उपयोगकर्ता को मानसिक एवं भावनात्मक समर्पण के साथ जप करना चाहिए।
  3. पवित्रता बनाए रखें: घनपाठ के समय शांति और पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए, ताकि उपयोगकर्ता को उच्चतम अनुभव हो सके।

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