काशी विश्वनाथाष्टकम् | Kashi Vishvanathashtakam

काशी विश्वनाथाष्टकम् स्तोत्रम्‌ भगवान शिव को समर्पित है। भगवान काशी विश्वनाथ के परमभक्त शास्त्री श्री शिवदत्त मिश्र जी ने विश्वनाथाष्टकम् स्तोत्रम्‌ की रचना की थी। इस स्तोत्र में भगवान काशी विश्वनाथ की महिमा का बखान किया गया है। श्री शिवदत्त मिश्र जी द्वारा रचित इस विश्वनाथाष्टकम् स्तोत्रम्‌ का नित्य पाठ करने से भगवान विश्वनाथ प्रसन्न होते है और अपने भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण करते है।

काशी विश्वनाथाष्टकम् स्तोत्र | Kashi Vishvanathashtakam

गंगा तरंग रमणीय जटा कलापं
गौरी निरंतर विभूषित वाम भागं
नारायण प्रियमनंग मदापहारं
वाराणसी पुरपतिं भज विश्वनाधम् ॥ 1 ॥

वाचामगोचरमनेक गुण स्वरूपं
वागीश विष्णु सुर सेवित पाद पद्मं
वामेण विग्रह वरेन कलत्रवंतं
वाराणसी पुरपतिं भज विश्वनाधम् ॥ 2 ॥

भूतादिपं भुजग भूषण भूषितांगं
व्याघ्रांजिनां बरधरं, जटिलं, त्रिनेत्रं
पाशांकुशाभय वरप्रद शूलपाणिं
वाराणसी पुरपतिं भज विश्वनाधम् ॥ 3 ॥

सीतांशु शोभित किरीट विराजमानं
बालेक्षणातल विशोषित पंचबाणं
नागाधिपा रचित बासुर कर्ण पूरं
वाराणसी पुरपतिं भज विश्वनाधम् ॥ 4 ॥

पंचाननं दुरित मत्त मतंगजानां
नागांतकं धनुज पुंगव पन्नागानां
दावानलं मरण शोक जराटवीनां
वाराणसी पुरपतिं भज विश्वनाधम् ॥ 5 ॥

तेजोमयं सगुण निर्गुणमद्वितीयं
आनंद कंदमपराजित मप्रमेयं
नागात्मकं सकल निष्कलमात्म रूपं
वाराणसी पुरपतिं भज विश्वनाधम् ॥ 6 ॥

आशां विहाय परिहृत्य परश्य निंदां
पापे रथिं च सुनिवार्य मनस्समाधौ
आधाय हृत्-कमल मध्य गतं परेशं
वाराणसी पुरपतिं भज विश्वनाधम् ॥ 7 ॥

रागाधि दोष रहितं स्वजनानुरागं
वैराग्य शांति निलयं गिरिजा सहायं
माधुर्य धैर्य सुभगं गरलाभिरामं
वाराणसी पुरपतिं भज विश्वनाधम् ॥ 8 ॥

वाराणसी पुर पते स्थवनं शिवस्य
व्याख्यातं अष्टकमिदं पठते मनुष्य
विद्यां श्रियं विपुल सौख्यमनंत कीर्तिं
संप्राप्य देव निलये लभते च मोक्षम् ॥

विश्वनाधाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेः शिव सन्निधौ
शिवलोकमवाप्नोति शिवेनसह मोदते ॥

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काशी विश्वनाथाष्टकम् पाठ के लाभ | Benefits of Kashi Vishvanathashtakam

काशी विश्वनाथाष्टकम् के पाठ से अनेक लाभ होते हैं। इसके निम्न लाभ हैं:

  1. काशी विश्वनाथाष्टकम् का पाठ करने से शुभ फल प्राप्त होता है। यह श्लोक संग्रह व्यक्ति के जीवन में खुशी, सफलता, शांति, सुख, समृद्धि और सम्पन्नता आदि के लिए वरदान होता है।
  2. भगवान शिव को समर्पित यह स्तोत्र आपकी आराधना को पूर्ण कर भगवान को प्रसन्न करने में सहायक है।
  3. स्तोत्र का ठीक तरह से वाचन करने से आपको एक ऊर्जा की अनुभूति होती है जो आपको मानसिक व शारीरक बल प्रदान करती है।
  4. काशी विश्वनाथाष्टकम् के पाठ से संघर्षों का समाधान होता है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।

इसका पाठ भगवान शिव की पूजा और उनकी महिमा के गुणगान के लिए किया जाता है। काशी विश्वनाथाष्टकम् का पाठ किसी भी समय और किसी भी स्थान पर किया जा सकता है। इसे विशेष अवसरों पर जैसे महाशिवरात्रि, शिवरात्रि, कार्तिक पूर्णिमा आदि पर पाठ किया जाता है। यह श्लोक संग्रह हिंदू धर्म के विभिन्न पाठ्यक्रमों में उपयोग किया जाता है।

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