नागपंचमी 2023 | Naga Panchami 2023

Naga Panchami

हिन्दू संस्कृति ने पशु-पक्षी, वृक्ष-वनस्पति सबके साथ आत्मीय संबंध जोड़ने का प्रयत्न किया है। हमारे यहां गाय पूजनीय है। कई बहनें कोकिला-व्रत करती हैं, जिसमें कोयल के दर्शन हो अथवा उसका स्वर कान पर पड़े तब ही भोजन व्रत खोला जाता है। हिन्दू धर्म में वृषभोत्सव के दिन बैल की पूजा होती है। वट-सावित्री के व्रत में बरगद की पूजा होती है, परन्तु नाग पंचमी के दिन नाग का पूजन हिन्दू संस्कृति की विशिष्टता को पराकाष्टा पर पहुंचा देता है। हिंदू त्योहारों में नाग पंचमी का विशेष स्थान है। पूरे भारतवर्ष में Naga Panchami बनाने की प्रथा पुरानी एवं धार्मिक आस्था से जुड़ी हुई है। नाग पंचमी के दिन हम नागों देवता की पूजा करते हैं और उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। कहते हैं नाग पंचमी मनाने से घर में समृद्धि और शांति का निवास होता है तथा कई ज्योतिषी दोष नाग पंचमी के दिन पूजा करने से दूर हो जाते हैं। नाग पंचमी के दिन व्रत एवं अध्यात्म से जुड़ने वाला व्यक्ति अध्यात्म शांति की ओर आगे बढ़ता है।

2023 में नाग पंचमी कब मनाई जाएगी?

अभी चल रहे साल 2023 में नाग पंचमी अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से अगस्त माह में आएगी। पूरे भारतवर्ष में 21 अगस्त 2023 को नाग पंचमी का उत्सव मनाया जाएगा। हिंदू वर्ष के हिसाब से नागपंचमी हर वर्ष सावन महीने की शुक्ल पक्ष में पंचमी के दिन मनाई जाती है। जैसे कि सावन महीने के हर सोमवार को भगवान शिव के लिए व्रत रखे जाते हैं तथा सावन महीने को भगवान शिव का महीना कहा गया है।

वैसे ही नाग पंचमी भी देवों के देव महादेव से जुड़ा हुआ है। इस वर्ष भी 21 अगस्त को नाग पंचमी मनाना भगवान शिव को प्रसन्न करने जैसा होगा। असली शिवभक्त हर साल नागपंचमी को भगवान शिव की आराधना का एवं त्याग तपस्या का ध्यान रखता है।

नागों की उत्पत्ति कैसे हुई?

हिन्दू पुराणों के अनुसार, ब्रह्मा जी के पुत्र ऋषि कश्यप की चार पत्नियाँ थीं। परंपरागत विश्वास है कि उनकी पहली पत्नी से देवता, दूसरी पत्नी से गरुड़, और चौथी पत्नी से दैत्य पैदा हुए थे, हालांकि, उनकी तीसरी पत्नी कद्रू नामक थी, उन्होंने नागों को उत्पन्न किया। पुराणों के अनुसार, सर्पों को दो प्रकार में विभाजित किया गया है – दिव्य और भौम। दिव्य सर्पों में वासुकि और तक्षक शामिल हैं। इन्हें पृथ्वी के भार को उठाने का कार्य दिया गया है और उन्हें अग्नि की तरह प्रज्ज्वलित और उज्ज्वल माना गया है तथा पृथ्वी पर पाए जाने वाले सर्प भौम कहे गए हैं जो 80 बताये गए हैं|

नाग पंचमी क्यों मनाते हैं?

अक्सर हम लोग नाग पंचमी को उसके नाम के अनुसार ही उसकी महत्व को जान लेते हैं। लोक अक्सर नाग पंचमी को नाग देवता एवं नागों की पूजा से जोड़ते हैं। यह धारणा गलत नहीं है लेकिन पूरी तरीके से सही भी नहीं है। नाग पंचमी मनाने के पुराणों में कई कारण बताए गए हैं। जैसे कि एक धारणा के अनुसार, हम सबको पता है कि भगवान शिव के गले में हमेशा एक नाग देवता “वासुकी” विराजमान रहते हैं। इसलिए इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं एवं हमारी रक्षा करते हैं। इस दिन विशेष तौर पर नाग देवताओं के प्रति श्रद्धा के साथ किए गए सभी अनुष्ठान उन तक पहुंचेंगे। नाग पंचमी पर पूजे जाने वाले विशेष नाग देवताओं में शेषनाग, अनंत, वासुकी, पद्म, कंबला, कर्कोटक, अश्वतर, धृतराष्ट्र, शंकपाल, कालिया, तक्षक और पिंगला आदि हैं।

दूसरी धारणा यह है कि भगवान विष्णु शेष नाग के ऊपर विराजमान रहते हैं। अतः नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा आराधना करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा बरसती है। शेषनाग को नागों में सर्वश्रेष्ठ नाग की उपाधि दी है तथा इन्हें नाग देवता भी कहते हैं।

एक और मान्यता भगवान विष्णु से ही जुड़ी हुई हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार जब देवता और असुरों में भयंकर युद्ध छिड़ गया था तब भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन का आयोजन किया, उस समुद्र मंथन में कई शुभ फल प्राप्त हुए जैसे की मां लक्ष्मी, अमृत कलश, आदि। इन सब फलों की प्राप्ति समूत्र मंथन के समय  शेषनाग की कृपा से ही प्राप्त हुए थे। समुद्र मंथन के समय शेषनाग को एक तरफ से देवताओ ने पकड़ा हुआ था और  दूसरी तरफ से असुरों ने पकड़ा हुआ था।

नागपंचमी से जुड़ी हुई पौराणिक कहानियां

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पहली कहानी भगवान विष्णु के अवतार वासुदेव श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई है। जब कंस को यह पता चला कि देवकी का सातवां पुत्र जीवित बचकर कैद से भाग चुका है तो उसने भगवान श्री कृष्ण को करने के लिए कई असुर भेजें। उनमें से एक असुर कालिया नाम का नाग था। कालिया नाग भयानक एवं आत्मघाती होने की वजह से वृंदावन के लोगों से दूर रहते थे। कालिया नाग ने वृंदावन के पास ही एक नदी में वास करना शुरू कर दिया था। नदी विषैली होने से कोई भी जानवर या इंसान उस नदी का पानी का उपयोग नहीं कर सकता था। एवं उस नदी से ऊपर उड़ने वाले पंछी को कालिया नाग खा जाता था।

वृंदावन की लोक कालिया नाग से परेशान हो चुके थे। इस परिस्थिति को देखकर श्री कृष्णा ने कालिया नाग मर्दन करके कालिया नाग को वृंदावन से दूर भेज दिया तथा वृंदावन वासियों को नदी का पानी उपलब्ध कराया। उसे दिन से नाग पंचमी मनाने की परंपरा शुरू हुई ऐसी मान्यता है।

एक और पुरानी कहानी जिसमें राजा परीक्षित अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए धरती से नागों का नाम निशान मिटाने का संकल्प लेते हैं। वह अपने पिता राजा जनमय की मृत्यु का बदला पूरे नागवंश से लेना चाहता था। राजा परीक्षित के पिता राजा जनमय को तक्षक नागराज ने डसकर मार डाला था। राजा परीक्षित ने क्रोधित होकर यह संकल्प लिया तथा इस कार्य को करने के लिए नाग यज्ञ किया।

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इस संकल्प को सुनकर ऋषि प्रसिद्ध इस अनर्थ को रोकने के लिए अथक प्रयास किए। जब उन्होंने राजा परीक्षित को नागों का वध करने से रोका उसे दिन से नाग पंचमी मनाने की परंपरा शुरू हुई।

इस तरह नाग पंचमी को पौराणिक कथाओं से भी मान्यता मिलती है एवं उसका महत्व और बढ़ जाता है।

नागपंचमी पूजा विधि

पूजा अनुष्ठान नाग पंचमी पर, भक्त सुबह जल्दी उठते हैं और स्नान करते हैं। फिर वे नाग देवता को या उस बाँबी को जहां सांपों का निवास माना जाता है, दूध, हल्दी, कुमकुम और फूल चढ़ाते हैं। कुछ लोग प्रसाद के रूप में मिठाई और चांदी के आभूषण भी चढ़ाते हैं। कुछ क्षेत्रों में महिलाएं चावल के आटे से अपने घरों की दीवारों पर सांपों की तस्वीरें बनाती हैं और उनकी पूजा करती हैं।

  1. नाग पंचमी व्रत के दिन आठ नाग देवताओं की पूजा की जाती है: अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट, और शंख। इस दिन इन अष्टनागों की पूजा की जाती है.
  2. चतुर्थी को एक बार भोजन करें और पंचमी को उपवास रखें, शाम को भोजन करें।
  3. पूजा के लिए नाग चित्र या मिटटी की सांप मूर्ति को लकड़ी की चौकी पर रखें।
  4. फिर हल्दी, रोली (लाल सिंदूर), चावल, और फूल चढ़ाकर नाग देवता की पूजा करें।
  5. उसके बाद कच्चा दूध, घी, और चीनी को मिलाकर लकड़ी के पट्टे पर रखे सांप देवता को अर्पित करें।
  6. पूजन के बाद सर्प देवता की आरती करें।
  7. सुविधा के दृष्टिकोण से किसी सपेरे को कुछ दक्षिणा देकर सांप को दूध पिला सकते हैं।
  8. अंत में, नाग पंचमी की कथा को जरूर सुनें।
Naga Panchmi नागपंचमी 2023 | Naga Panchami 2023

तथा अगर चांदी के जोड़े के नाग नागिन को अगर नदी में बहाया जाय तो घर में लक्ष्मी जी का वास होता है। एवं जिस व्यक्ति के सर्प दोष है वह व्यक्ति ब्राह्मण देवता से नाग पंचमी के दिन प्रतिष्ठान करवा कर इस दोष को कुंडली से निकाल सकते हैं। 

नागपंचमी दिन क्या नहीं करना चाहिए?

इस दिन उपवास करने और धरती खोदने या खेत जोतने से परहेज करने की भी प्रथा है। नाग पंचमी के दिन हमें कुछ ना कुछ दान जरूर करना चाहिए। नाग पंचमी दिन किसी से झगड़ा ना करें तथा किसी सर्प को परेशान ना करें।

अंत में, नाग पंचमी एक त्योहार है जो मानव और प्रकृति के बीच संबंध का जश्न मनाता है। यह हमें जीवन के सभी रूपों का सम्मान करने और अपने परिवेश के साथ सद्भाव में रहने की याद दिलाता है।

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