नारायण सूक्तम् | Narayan Suktam

नारायण सूक्तम् | Narayan Suktam

नारायण सूक्त या नारायण सूक्तम यजुर्वेद में सर्वोच्च देवता-नारायण को प्रसन्न करने वाला एक भजन है। कुछ टीकाकार इसे पुरुष सूक्त के एक रहस्यमय परिशिष्ट के रूप में देखते हैं। नारायण, हिंदू धर्म में, सर्वोच्च सत्य (ब्राह्मण), हज़ार-सिर वाले, हज़ार-आंखों वाले, और हज़ार-अंगों वाले निर्माता के रूप में माना जाता है और इस भजन को नारायण की पूजा करने के लिए सुनाया जाता है, जो सार्वभौमिक स्व (परमात्मन) है जिसे ब्रह्मा के साथ पहचाना जाता है। नारायण सूक्त भगवान् श्री हरी विष्णु को समर्पित एक दिव्या सूक्त है जिसके माध्यम से आप भगवान् श्री विष्णु को प्रसन्न कर सकते हैं।

ॐ स॒ह ना॑ववतु । स॒ह नौ॑ भुनक्तु । स॒ह वी॒र्यं॑ करवावहै ।
ते॒ज॒स्विना॒वधी॑तमस्तु॒ मा वि॑द्विषा॒वहै᳚ ॥
ॐ शांतिः॒ शांतिः॒ शांतिः॑ ॥

ओम् ॥ स॒ह॒स्र॒शीर्॑​षं दे॒वं॒ वि॒श्वाक्षं॑-विँ॒श्वशं॑भुवम् ।
विश्वं॑ ना॒राय॑णं दे॒व॒म॒क्षरं॑ पर॒मं पदम् ।

वि॒श्वतः॒ पर॑मान्नि॒त्यं॒-विँ॒श्वं ना॑राय॒णग्ं ह॑रिम् ।
विश्व॑मे॒वेदं पुरु॑ष॒-स्तद्विश्व-मुप॑जीवति ।

पतिं॒-विँश्व॑स्या॒त्मेश्व॑र॒ग्ं॒ शाश्व॑तग्ं शि॒व-म॑च्युतम् ।
ना॒राय॒णं म॑हाज्ञे॒यं॒-विँ॒श्वात्मा॑नं प॒राय॑णम् ।

ना॒राय॒णप॑रो ज्यो॒ति॒रा॒त्मा ना॑राय॒णः प॑रः ।
ना॒राय॒णपरं॑ ब्र॒ह्म॒ तत्त्वं ना॑राय॒णः प॑रः ।

ना॒राय॒णप॑रो ध्या॒ता॒ ध्या॒नं ना॑राय॒णः प॑रः ।
यच्च॑ किं॒चिज्जगत्स॒र्वं॒ दृ॒श्यते᳚ श्रूय॒तेऽपि॑ वा ॥

अंत॑र्ब॒हिश्च॑ तत्स॒र्वं॒-व्याँ॒प्य ना॑राय॒णः स्थि॑तः ।
अनंत॒मव्ययं॑ क॒विग्ं स॑मु॒द्रेंऽतं॑-विँ॒श्वशं॑भुवम् ।

प॒द्म॒को॒श-प्र॑तीका॒श॒ग्ं॒ हृ॒दयं॑ चाप्य॒धोमु॑खम् ।
अधो॑ नि॒ष्ट्या वि॑तस्यां॒ते॒ ना॒भ्यामु॑परि॒ तिष्ठ॑ति ।

ज्वा॒ल॒मा॒लाकु॑लं भा॒ती॒ वि॒श्वस्या॑यत॒नं म॑हत् ।
संत॑तग्ं शि॒लाभि॑स्तु॒ लंब॑त्याकोश॒सन्नि॑भम् ।

तस्यांते॑ सुषि॒रग्ं सू॒क्ष्मं तस्मिन्᳚ स॒र्वं प्रति॑ष्ठितम् ।
तस्य॒ मध्ये॑ म॒हान॑ग्नि-र्वि॒श्वार्चि॑-र्वि॒श्वतो॑मुखः ।

सोऽग्र॑भु॒ग्विभ॑जंति॒ष्ठ॒-न्नाहा॑रमज॒रः क॒विः ।
ति॒र्य॒गू॒र्ध्वम॑धश्शा॒यी॒ र॒श्मय॑स्तस्य॒ संत॑ता ।

सं॒ता॒पय॑ति स्वं दे॒हमापा॑दतल॒मस्त॑कः ।
तस्य॒ मध्ये॒ वह्नि॑शिखा अ॒णीयो᳚र्ध्वा व्य॒वस्थि॑तः ।

नी॒लतो॑-यद॑मध्य॒स्था॒-द्वि॒ध्युल्ले॑खेव॒ भास्व॑रा ।
नी॒वार॒शूक॑वत्त॒न्वी॒ पी॒ता भा᳚स्वत्य॒णूप॑मा ।

तस्याः᳚ शिखा॒या म॑ध्ये प॒रमा᳚त्मा व्य॒वस्थि॑तः ।
स ब्रह्म॒ स शिवः॒ स हरिः॒ सेंद्रः॒ सोऽक्ष॑रः पर॒मः स्व॒राट् ॥

ऋतग्ं स॒त्यं प॑रं ब्र॒ह्म॒ पु॒रुषं॑ कृष्ण॒पिंग॑लम् ।
ऊ॒र्ध्वरे॑तं-विँ॑रूपा॒क्षं॒-विँ॒श्वरू॑पाय॒ वै नमो॒ नमः॑ ॥

ॐ ना॒रा॒य॒णाय॑ वि॒द्महे॑ वासुदे॒वाय॑ धीमहि ।
तन्नो॑ विष्णुः प्रचो॒दया᳚त् ॥

ॐ शांतिः॒ शांतिः॒ शांतिः॑ ॥

आइये जानते हैं भगवान श्री विष्णु की नित्य पूजा करके अपना मन भक्ति की ओर प्रेरित करने के लिए श्री विष्णु की कई प्रकार के धार्मिक ग्रंथों और पौराणिक कथाओं में बताई गई सबसे सरल पूजन विधि बता जानते हैं, जो कुछ इस प्रकार की है:-

  • सर्वप्रथम सूर्य उदय से पहले उठकर पूजा स्थान की अच्छे से साफ सफाई करें और फिर खुद स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ कपड़े धारण कर ले |
  • उसके बाद श्री विष्णु की प्रतिमा को पंचामृत से अभिषेक करके उन्हें स्वच्छ जल से स्नान कराने के पश्चात उनके शरीर के पानी को किसी स्वच्छ कपड़े से पोंछ दें, श्री विष्णु को स्नान कराने के पश्चात उन्हें स्वच्छ वस्त्र धारण कराकर उनके लिए सजाई गई चौकी पर विराजमान कर दें |
  • उसके बाद श्री विष्णु के सामने फल फूल प्रसाद स्वरूप मिठाई यह सब कुछ अर्पित करें |
  • उसके पश्चात् देसी घी का दीपक जला कर श्री विष्णु की प्रतिमा के सामने प्रज्वलित करें |
  • दीपक जलाने के बाद आप श्री विष्णु की प्रतिमा के सामने धूपबत्ती अगरबत्ती जलाएं |
  • उसके बाद आप कपूर जलाकर श्री विष्णु को भोग लगाकर इस श्लोक का पाठ करें |
  • श्री विष्णु को उनके सबसे प्रिय मोदक का भोग लगाना अवश्य याद रखें।

नारायण सूक्त के लाभ / Narayana Suktam Ke Labh

शास्त्रों और पुराणों में पूजा करने के दौरान कुछ नियमों के पालन करने के बारे में बताए गया है, नारायण सूक्तम् का पाठ करते समय जरूर ध्यान में रखना चाहिए। आइए जानते हैं कि Narayan Suktam का पाठ करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए…..

  • श्री नारायण सूक्त का पाठ व्यक्ति को मानसिक शांति प्रदान करता है।
  • इस स्तोत्र के पाठ घर में धन – धान्य किए प्रचुरता होती है।
  • भगवान् श्री हरी नारायण को प्रसन्न करने हेतु यह सूक्त सर्वाधिक सुलभ मार्ग है।
  • इस स्तोत्र के पाठ से कुंडली में बृहस्पति ग्रह किए स्थिति प्रबल होती है।
  • नारायण सूक्त का पाठ नियमित करने से घर में मांगलिक आयोजन होते हैं।
  • नारायण सूक्त का नित्य पाठ करने से आत्म ज्ञान प्राप्त होता है।

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