रुद्राष्टकम् | Rudrashtakam
रुद्राष्टकम् एक प्रसिद्ध स्तोत्र है जो भगवान शिव को समर्पित है। इसमें शिव जी के विभिन्न नामों के साथ-साथ उनकी महिमा और शक्तियों का वर्णन भी किया गया है। रुद्राष्टकम् में भगवान शिव के विभिन्न नामों के साथ-साथ उनकी महिमा और शक्तियों का वर्णन किया गया है। इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के अंदर नेत्रों के सामने अधिक ज्ञान और उदारता की भावना उत्पन्न होती है। रुद्राष्टकम् का पाठ करने से अनेक बार शिव भक्तों को उनकी श्रद्धा बढ़ती है और उन्हें दिव्यता का अनुभव होता है।
रुद्राष्टकम् | Rudrashtakam
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ 1 ॥
निराकारमोंकारमूलं तुरीयं
गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकालकालं कृपालुं
गुणागारसंसारपारं नतोऽहम् ॥ 2 ॥
तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं
मनोभूतकोटिप्रभासी शरीरम् ।
स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगंगा
लसद्भालबालेंदु कंठे भुजंगम् ॥ 3 ॥
चलत्कुंडलं शुभ्रनेत्रं विशालं
प्रसन्नाननं नीलकंठं दयालुम् ।
मृगाधीशचर्मांबरं मुंडमालं
प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥ 4 ॥
प्रचंडं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं
अखंडं भजे भानुकोटिप्रकाशम् ।
त्रयीशूलनिर्मूलनं शूलपाणिं
भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ॥ 5 ॥
कलातीतकल्याणकल्पांतकारी
सदासज्जनानंददाता पुरारी ।
चिदानंदसंदोहमोहापहारी
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥ 6 ॥
न यावदुमानाथपादारविंदं
भजंतीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावत्सुखं शांति संतापनाशं
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम् ॥ 7 ॥
न जानामि योगं जपं नैव पूजां
नतोऽहं सदा सर्वदा देव तुभ्यम् ।
जराजन्मदुःखौघतातप्यमानं
प्रभो पाहि शापान्नमामीश शंभो ॥ 8 ॥
रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतुष्टये ।
ये पठंति नरा भक्त्या तेषां शंभुः प्रसीदति ॥ 9 ॥
॥ इति श्रीरामचरितमानसे उत्तरकांडे श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं
श्रीरुद्राष्टकं संपूर्णम् ॥
सुनें रुद्राष्टकम् | Listen Rudrashtakam
रुद्राष्टकम् के लाभ | Benefits of Rudrashtakam
- शिव का सर्वशक्तिमान स्वरूप और उनकी अनंत शक्तियों का वर्णन किया गया है।
- भगवान शिव को नामांतरों से भी जाना जाता है जैसे- नीलकंठ, शंभु, विश्वेश, महेश आदि।
- भगवान शिव की शक्तियों जैसे कि महाकाल, महादेव, महायोगी, महासंसारी, महाश्र्वेताम्बर आदि का वर्णन किया गया है।
- शिव की अपार कृपा का वर्णन करते हुए, स्तोत्र में उनकी जय-जयकार और उनकी भक्ति का वर्णन भी है।
- इस स्तोत्र में शिव के गुणों की महत्ता और उनकी पूजा का महत्त्व भी बताया गया है।
- स्तोत्र के अंत में, शिव के चरणों में शरण लेने की भावना को व्यक्त करते हुए, शिव की कृपा और आशीर्वाद की प्रार्थना की गई है।
- इसके अलावा, रुद्राष्टकम् में भगवान शिव की शक्ति और उनके अनुयायियों की भक्ति का भी वर्णन है। यह स्तोत्र शिव भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है और इसका पाठ करने से उन्हें भगवान शिव के प्रति अधिक भक्ति और विश्वास की भावना होती है।
- इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव के आशीर्वाद से व्यक्ति के जीवन में शांति, सफलता, समृद्धि और समस्त संशयों से मुक्ति मिलती है।