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शिवाष्टकम् | Shivashtakam

शिवाष्टकम एक प्राचीन संस्कृत स्तोत्र है, जो भगवान शिव के सम्मान में रचा गया था। शिवाष्टकम् (Shivashtakam) का रचनाकार आदि शंकराचार्य (Adi Shankaracharya) माने जाते हैं। वे एक प्रमुख भारतीय दार्शनिक और आध्यात्मिक गुरु थे, जिनका जन्म लगभग 8वीं शताब्दी में हुआ था। अध्यात्मिक जीवन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा होने के साथ-साथ, यह स्तोत्र भक्तों को ईश्वर के प्रति श्रद्धा और समर्पण के साथ अपनी आत्मा को संयोजित करने में सहायता करता है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम शिवाष्टकम के विभिन्न पहलुओं को समझने का प्रयास करेंगे, जैसे कि इसकी उत्पत्ति, महत्व, और अध्ययन के तरीके। आइए मिलकर भगवान शिव की अनंत कृपा और आशीर्वाद को समझने की एक यात्रा पर प्रस्थान करें।

शिवाष्टकम् | Shivashtakam

प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं जगन्नाथ नाथं सदानंद भाजाम् ।
भवद्भव्य भूतेश्वरं भूतनाथं, शिवं शंकरं शंभु मीशानमीडे ॥ 1 ॥

गले रुंडमालं तनौ सर्पजालं महाकाल कालं गणेशादि पालम् ।
जटाजूट गंगोत्तरंगैर्विशालं, शिवं शंकरं शंभु मीशानमीडे ॥ 2॥

मुदामाकरं मंडनं मंडयंतं महा मंडलं भस्म भूषाधरं तम् ।
अनादिं ह्यपारं महा मोहमारं, शिवं शंकरं शंभु मीशानमीडे ॥ 3 ॥

वटाधो निवासं महाट्टाट्टहासं महापाप नाशं सदा सुप्रकाशम् ।
गिरीशं गणेशं सुरेशं महेशं, शिवं शंकरं शंभु मीशानमीडे ॥ 4 ॥

गिरींद्रात्मजा संगृहीतार्धदेहं गिरौ संस्थितं सर्वदापन्न गेहम् ।
परब्रह्म ब्रह्मादिभिर्-वंद्यमानं, शिवं शंकरं शंभु मीशानमीडे ॥ 5 ॥

कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानं पदांभोज नम्राय कामं ददानम् ।
बलीवर्धमानं सुराणां प्रधानं, शिवं शंकरं शंभु मीशानमीडे ॥ 6 ॥

शरच्चंद्र गात्रं गणानंदपात्रं त्रिनेत्रं पवित्रं धनेशस्य मित्रम् ।
अपर्णा कलत्रं सदा सच्चरित्रं, शिवं शंकरं शंभु मीशानमीडे ॥ 7 ॥

हरं सर्पहारं चिता भूविहारं भवं वेदसारं सदा निर्विकारं।
श्मशाने वसंतं मनोजं दहंतं, शिवं शंकरं शंभु मीशानमीडे ॥ 8 ॥

स्वयं यः प्रभाते नरश्शूल पाणे पठेत् स्तोत्ररत्नं त्विहप्राप्यरत्नम् ।
सुपुत्रं सुधान्यं सुमित्रं कलत्रं विचित्रैस्समाराध्य मोक्षं प्रयाति ॥

सुनें शिवाष्टकम् | Listen Shivashtakam

शिवाष्टकम् | Shivashtakam | Shiva Stotram | Madhvi Madhukar Jha

शिवाष्टकम् के लाभ | Benefits of Shivashtakam

शिवाष्टकम के पाठ से अनेक लाभ होते हैं। इसके निम्न लाभ हैं:

  1. आत्मिक शक्ति: शिवाष्टकम का पाठ करने से व्यक्ति की आत्मिक शक्ति बढ़ती है। यह भक्त को ईश्वर के प्रति समर्पण और श्रद्धा के साथ अपनी आत्मा को संयोजित करने में सहायता करता है।
  2. मानसिक शांति: यह स्तोत्र मानसिक शांति प्रदान करता है और चिंता, तनाव और अशांति को दूर करता है।
  3. अध्यात्मिक प्रगति: शिवाष्टकम के नियमित पाठ से व्यक्ति की अध्यात्मिक प्रगति होती है, और वह आत्मज्ञान की ओर अग्रसर होता है।
  4. कर्म निवृत्ति: इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के कर्मों के प्रति एक नई दृष्टिकोण मिलता है, और वह अपने कर्मों के फलों को सहजता से स्वीकार करता है।
  5. भगवान शिव की कृपा: शिवाष्टकम का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, जो व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि लाती है।

कौन, कब, कहाँ और कैसे इसे गा सकता है:

  • कौन: शिवाष्टकम का पाठ किसी भी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, लिंग, या आयु समूह का हो। यह स्तोत्र सभी के लिए समान रूप से लाभदायक है।
  • कब: शिवाष्टकम का पाठ सुबह या शाम के समय किया जा सकता है। सबसे अच्छा समय होता है प्रातःकाल (ब्रह्म मुहूर्त), जब मानव मन और चित्त सबसे शांत और सतर्क होते हैं।
  • कहाँ: आप इसका पाठ किसी भी शांत, स्वच्छ, और पवित्र स्थान पर कर सकते हैं। ध्यान करने या पूजा करने का स्थान, चाहे वह आपके घर का कोई कोना हो या एक मंदिर, इसके लिए उपयुक्त होता है।
  • कैसे: शिवाष्टकम का पाठ करने से पहले, आपको स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनना चाहिए। फिर, एक आसन पर बैठकर, आप अपनी आंखें बंद करके और अपने मन को शिव की आराधना में लगाने के लिए शिवाष्टकम का पाठ आरंभ कर सकते हैं। आप यह स्तोत्र संगीत के साथ भी पढ़ सकते हैं या ध्यानपूर्वक इसे मंत्र की तरह उच्चारण कर सकते हैं। ध्यान और समर्पण की भावना के साथ इसे गाने या पढ़ने से भी आपको इसका अधिक लाभ होता है। ध्यान करते समय, आप शिव के दिव्य गुणों का अनुभव करते हुए शांत और स्थिर हो जाएंगे।

शिवाष्टकम आपको आत्मिक और मानसिक शांति, अध्यात्मिक प्रगति, कर्म निवृत्ति, और भगवान शिव की कृपा प्रदान करता है। इसे नियमित रूप से पाठ करने से आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं।

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