श्री हनुमान चालीसा | Shri Hanuman Chalisa

श्री हनुमान चालीसा | Shri Hanuman Chalisa

हनुमान चालीसा संत गोस्वामी तुलसीदास द्वारा 16वीं शताब्दी में अवधी में लिखी एक काव्यात्मक कृति है जिसमें प्रभु श्री राम के महान भक्त श्री हनुमान जी के साहस, शक्ति, ज्ञान और भगवान राम की भक्ति के लिए उनकी प्रशंसा करने के लिए लिखा गया एक लोकप्रिय मंत्र है। Shri Hanuman Chalisa अत्यन्त लघु रचना है जिसमें पवनपुत्र श्री हनुमान जी की सुन्दर स्तुति की गई है| ‘चालीसा’ शब्द से अभिप्राय ‘चालीस’ (40) का है क्योंकि इस स्तुति में 40 छन्द हैं (परिचय के 2 दोहों को छोड़कर) ‘हनुमान चालीसा’ 40 काव्य छंदों से युक्त एक भजन है, हनुमान चालीसा भगवान हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्तों द्वारा की जाने वाली प्रार्थना हैं तथा अनंत सकारात्मक शक्ति, ज्ञान और बुराई के नाश करने वाले भगवान हनुमान की स्तुति और आह्वान करना है। हनुमान चालीसा को बहुत शक्तिशाली माना जाता है।

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श्री हनुमान चालीसा | Shri Hanuman Chalisa
Shri Hanuman Chalisa


श्री हनुमान चालीसा | Shri Hanuman Chalisa

॥ दोहा ॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥

बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ॥

॥ चौपाई ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥१॥
राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥२॥

महाबीर विक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥३॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुँचित केसा ॥४॥

हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे।
काँधे मूँज जनेऊ साजे॥५॥
शंकर स्वयम केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जगवंदन ॥६॥

विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥७॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मनबसिया ॥८॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥९॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे।
रामचंद्र के काज सवाँरे ॥१०॥

लाय सजीवन लखन जियाए।
श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥११॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई ॥१२॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावै।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥१३॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा ॥१४॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥१५॥
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥१६॥

तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना।
लंकेश्वर भये सब जग जाना॥१७॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फ़ल जानू ॥१८॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही।
जलधि लाँघि गए अचरज नाही॥१९॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥२०॥

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥२१॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना ॥२२॥

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक ते काँपै॥२३॥
भूत पिशाच निकट नहि आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै ॥२४॥

नासै रोग हरे सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥२५॥
संकट से हनुमान छुडावै।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ॥२६॥

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा॥२७॥
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै ॥२८॥

चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥२९॥
साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे ॥३०॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥३१॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सादर हे रघुपति के दासा ॥३२॥

तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥३३॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥३४॥

और देवता चित्त ना धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥३५॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६॥

जै जै जै हनुमान गोसाई।
कृपा करहु गुरु देव की नाई॥३७॥
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई ॥३८॥

जो यह पढ़े हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥३९॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ॥४०॥

॥ दोहा ॥
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

Shri Hanuman Chalisa in English

॥ Doha ॥
śrīguru carana saroja raja nija manu mukuru sudhāri ।
baranaüm̐ raghubara bimala jasu jo dāyaku phala cāri ॥

buddhihīna tanu jānike sumirauṃ pavana-kumāra ।
bala budhi bidyā dehu mohiṃ harahu kalesa bikāra ॥

॥ Chaupayee ॥
jaya hanumāna jñāna guna sāgara ।
jaya kapīsa tihum̐ loka ujāgara ॥01॥

rāma dūta atulita bala dhāmā ।
añjani-putra pavanasuta nāmā ॥02॥

mahābīra bikrama bajaraṅgī ।
kumati nivāra sumati ke saṅgī ॥03॥

kañcana barana birāja subesā ।
kānana kuṇḍala kuñcita kesā ॥04॥

hātha bajra au dhvajā birājai ।
kām̐dhe mūm̐ja janeu sājai ॥05॥

saṅkara suvana kesarīnandana ।
teja pratāpa mahā jaga bandana ॥06॥

bidyāvāna gunī ati cātura ।
rāma kāja karibe ko ātura ॥07॥

prabhu caritra sunibe ko rasiyā ।
rāma lakhana sītā mana basiyā ॥08॥

sūkṣma rūpa dhari siyahiṃ dikhāvā ।
bikaṭa rūpa dhari laṅka jarāvā ॥09॥

bhīma rūpa dhari asura sam̐hāre ।
rāmacandra ke kāja sam̐vāre ॥10॥

lāya sañjīvana lakhana jiyāye ।
śrīraghubīra haraṣi ura lāye ॥11॥

raghupati kīhnī bahuta bar̤āī ।
tuma mama priya bharatahi sama bhāī ॥12॥

sahasa badana tuhmāro jasa gāvaiṃ ।
asa kahi śrīpati kaṇṭha lagāvaiṃ ॥13॥

sanakādika brahmādi munīsā ।
nārada sārada sahita ahīsā ॥14॥

jama kubera digapāla jahām̐ te ।
kabi kobida kahi sake kahām̐ te ॥15॥

tuma upakāra sugrīvahiṃ kīhnā ।
rāma milāya rāja pada dīhnā ॥16॥

tuhmaro mantra bibhīṣana mānā ।
laṅkesvara bhae saba jaga jānā ॥17॥

juga sahasra jojana para bhānu ।
līlyo tāhi madhura phala jānū ॥18॥

prabhu mudrikā meli mukha māhīṃ ।
jaladhi lām̐ghi gaye acaraja nāhīṃ ॥19॥

durgama kāja jagata ke jete ।
sugama anugraha tuhmare tete ॥20॥

rāma duāre tuma rakhavāre ।
hota na ājñā binu paisāre ॥21॥

saba sukha lahai tuhmārī saranā ।
tuma racchaka kāhū ko ḍara nā ॥22॥

āpana teja sahmāro āpai ।
tīnoṃ loka hām̐ka teṃ kām̐pai ॥23॥

bhūta pisāca nikaṭa nahiṃ āvai ।
mahābīra jaba nāma sunāvai ॥24॥

nāsai roga harai saba pīrā ।
japata nirantara hanumata bīrā ॥25॥

saṅkaṭa teṃ hanumāna chur̤āvai ।
mana krama bacana dhyāna jo lāvai ॥26॥

saba para rāma tapasvī rājā ।
tina ke kāja sakala tuma sājā ॥27॥

aura manoratha jo koī lāvai ।
soī amita jīvana phala pāvai ॥28॥

cāroṃ juga paratāpa tuhmārā ।
hai parasiddha jagata ujiyārā ॥29॥

sādhu santa ke tuma rakhavāre ।
asura nikandana rāma dulāre ॥30॥

aṣṭasiddhi nau nidhi ke dātā ।
asa bara dīna jānakī mātā ॥31॥

rāma rasāyana tuhmare pāsā ।
sadā raho raghupati ke dāsā ॥32॥

tuhmare bhajana rāma ko pāvai ।
janama janama ke dukha bisarāvai ॥33॥

anta kāla raghubara pura jāī ।
jahām̐ janma haribhakta kahāī ॥34॥

aura devatā citta na dharaī ।
hanumata sei sarba sukha karaī ॥35॥

saṅkaṭa kaṭai miṭai saba pīrā ।
jo sumirai hanumata balabīrā ॥36॥

jaya jaya jaya hanumāna gosāīṃ ।
kṛapā karahu gurudeva kī nāīṃ ॥37॥

jo sata bāra pāṭha kara koī ।
chūṭahi bandi mahā sukha hoī ॥38॥

jo yaha par̤hai hanumāna cālīsā ।
hoya siddhi sākhī gaurīsā ॥39॥

tulasīdāsa sadā hari cerā ।
kījai nātha hṛdaya maham̐ ḍerā ॥40॥

॥ Doha ॥
pavanatanaya saṅkaṭa harana maṅgala mūrati rūpa ।
rāma lakhana sītā sahita hṛdaya basahu sura bhūpa ॥

श्री हनुमान चालिसा मराठीत | Shri Hanuman Chalisa in Marathi

॥ दोहा ॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥

बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ॥

॥ चौपाई ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥१॥
राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥२॥

महाबीर विक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥३॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुँचित केसा ॥४॥

हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे।
काँधे मूँज जनेऊ साजे॥५॥
शंकर स्वयम केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जगवंदन ॥६॥

विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥७॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मनबसिया ॥८॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥९॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे।
रामचंद्र के काज सवाँरे ॥१०॥

लाय सजीवन लखन जियाए।
श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥११॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई ॥१२॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावै।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥१३॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा ॥१४॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥१५॥
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥१६॥

तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना।
लंकेश्वर भये सब जग जाना॥१७॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फ़ल जानू ॥१८॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही।
जलधि लाँघि गए अचरज नाही॥१९॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥२०॥

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥२१॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना ॥२२॥

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक ते काँपै॥२३॥
भूत पिशाच निकट नहि आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै ॥२४॥

नासै रोग हरे सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥२५॥
संकट से हनुमान छुडावै।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ॥२६॥

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा॥२७॥
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै ॥२८॥

चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥२९॥
साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे ॥३०॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥३१॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सादर हे रघुपति के दासा ॥३२॥

तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥३३॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥३४॥

और देवता चित्त ना धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥३५॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६॥

जै जै जै हनुमान गोसाई।
कृपा करहु गुरु देव की नाई॥३७॥
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई ॥३८॥

जो यह पढ़े हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥३९॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ॥४०॥

॥ दोहा ॥
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

શ્રી હનુમાન ચાલીસા ગુજરાતીમાં | Shri Hanuman Chalisa in Gujarati

॥ દોહા॥
શ્રીગુરુ ચરન સરોજ રજ નિજ મનુ મુકુરુ સુધારિ ।
બરનઉઁ રઘુબર બિમલ જસુ જો દાયકુ ફલ ચારિ ॥

બુદ્ધિહીન તનુ જાનિકે સુમિરૌં પવન-કુમાર ।
બલ બુધિ બિદ્યા દેહુ મોહિં હરહુ કલેસ બિકાર ॥

॥ ચૌપાઈ ॥
જય હનુમાન જ્ઞાન ગુન સાગર ।
જય કપીસ તિહુઁ લોક ઉજાગર॥१॥
રામ દૂત અતુલિત બલ ધામા।
અઞ્જનિ-પુત્ર પવનસુત નામા ॥२॥

મહાબીર બિક્રમ બજરઙ્ગી।
કુમતિ નિવાર સુમતિ કે સઙ્ગી॥३॥
કઞ્ચન બરન બિરાજ સુબેસા।
કાનન કુણ્ડલ કુઞ્ચિત કેસા ॥४॥

હાથ બજ્ર ઔ ધ્વજા બિરાજૈ।
કાઁધે મૂઁજ જનેઉ સાજૈ॥५॥
સઙ્કર સુવન કેસરીનન્દન।
તેજ પ્રતાપ મહા જગ બન્દન ॥६॥

બિદ્યાવાન ગુની અતિ ચાતુર।
રામ કાજ કરિબે કો આતુર॥७॥
પ્રભુ ચરિત્ર સુનિબે કો રસિયા।
રામ લખન સીતા મન બસિયા ॥८॥

સૂક્ષ્મ રૂપ ધરિ સિયહિં દિખાવા।
બિકટ રૂપ ધરિ લઙ્ક જરાવા॥९॥
ભીમ રૂપ ધરિ અસુર સઁહારે।
રામચન્દ્ર કે કાજ સઁવારે ॥१०॥

લાય સઞ્જીવન લખન જિયાયે।
શ્રીરઘુબીર હરષિ ઉર લાયે॥११॥
રઘુપતિ કીહ્ની બહુત બડ઼ાઈ।
તુમ મમ પ્રિય ભરતહિ સમ ભાઈ ॥१२॥

સહસ બદન તુહ્મારો જસ ગાવૈં।
અસ કહિ શ્રીપતિ કણ્ઠ લગાવૈં॥१३॥
સનકાદિક બ્રહ્માદિ મુનીસા।
નારદ સારદ સહિત અહીસા ॥१४॥

જમ કુબેર દિગપાલ જહાઁ તે।
કબિ કોબિદ કહિ સકે કહાઁ તે॥१५॥
તુમ ઉપકાર સુગ્રીવહિં કીહ્ના।
રામ મિલાય રાજ પદ દીહ્ના ॥१६॥

તુહ્મરો મન્ત્ર બિભીષન માના।
લઙ્કેસ્વર ભએ સબ જગ જાના॥१७॥
જુગ સહસ્ર જોજન પર ભાનુ।
લીલ્યો તાહિ મધુર ફલ જાનૂ ॥१८॥

પ્રભુ મુદ્રિકા મેલિ મુખ માહીં।
જલધિ લાઁઘિ ગયે અચરજ નાહીં॥१९॥
દુર્ગમ કાજ જગત કે જેતે।
સુગમ અનુગ્રહ તુહ્મરે તેતે ॥२०॥

રામ દુઆરે તુમ રખવારે।
હોત ન આજ્ઞા બિનુ પૈસારે॥२१॥
સબ સુખ લહૈ તુહ્મારી સરના।
તુમ રચ્છક કાહૂ કો ડર ના ॥२२॥

આપન તેજ સહ્મારો આપૈ।
તીનોં લોક હાઁક તેં કાઁપૈ॥२३॥
ભૂત પિસાચ નિકટ નહિં આવૈ।
મહાબીર જબ નામ સુનાવૈ ॥२४॥

નાસૈ રોગ હરૈ સબ પીરા।
જપત નિરન્તર હનુમત બીરા॥२५॥
સઙ્કટ તેં હનુમાન છુડ઼ાવૈ।
મન ક્રમ બચન ધ્યાન જો લાવૈ ॥२६॥

સબ પર રામ તપસ્વી રાજા।
તિન કે કાજ સકલ તુમ સાજા॥२७॥
ઔર મનોરથ જો કોઈ લાવૈ।
સોઈ અમિત જીવન ફલ પાવૈ ॥२८॥

ચારોં જુગ પરતાપ તુહ્મારા।
હૈ પરસિદ્ધ જગત ઉજિયારા॥२९॥
સાધુ સન્ત કે તુમ રખવારે।
અસુર નિકન્દન રામ દુલારે ॥३०॥

અષ્ટસિદ્ધિ નૌ નિધિ કે દાતા।
અસ બર દીન જાનકી માતા॥३१॥
રામ રસાયન તુહ્મરે પાસા।
સદા રહો રઘુપતિ કે દાસા ॥३२॥

તુહ્મરે ભજન રામ કો પાવૈ।
જનમ જનમ કે દુખ બિસરાવૈ॥३३॥
અન્ત કાલ રઘુબર પુર જાઈ।
જહાઁ જન્મ હરિભક્ત કહાઈ ॥३४॥

ઔર દેવતા ચિત્ત ન ધરઈ।
હનુમત સેઇ સર્બ સુખ કરઈ॥३५॥
સઙ્કટ કટૈ મિટૈ સબ પીરા।
જો સુમિરૈ હનુમત બલબીરા ॥३६॥

જય જય જય હનુમાન ગોસાઈં।
કૃપા કરહુ ગુરુદેવ કી નાઈં॥३७॥
જો સત બાર પાઠ કર કોઈ।
છૂટહિ બન્દિ મહા સુખ હોઈ ॥३८॥

જો યહ પઢ઼ૈ હનુમાન ચાલીસા।
હોય સિદ્ધિ સાખી ગૌરીસા॥३९॥
તુલસીદાસ સદા હરિ ચેરા।
કીજૈ નાથ હૃદય મહઁ ડેરા ॥४०॥

॥ દોહા ॥
પવનતનય સઙ્કટ હરન મઙ્ગલ મૂરતિ રૂપ।
રામ લખન સીતા સહિત હૃદય બસહુ સુર ભૂપ॥

ஸ்ரீ ஹனுமான் சாலிசா தமிழில் | Shri Hanuman Chalisa in Tamil

தோஹா
ஶ்ரீ குரு சரண ஸரோஜ ரஜ னிஜமன முகுர ஸுதாரி ।
வரணௌ ரகுவர விமலயஶ ஜோ தாயக பலசாரி ॥

புத்திஹீன தனுஜானிகை ஸுமிரௌ பவன குமார ।
பல புத்தி வித்யா தேஹு மோஹி ஹரஹு கலேஶ விகார் ॥

சௌபாஈ
ஜய ஹனுமான ஜ்ஞான குண ஸாகர ।
ஜய கபீஶ திஹு லோக உஜாகர॥1॥
ராமதூத அதுலித பலதாமா ।
அம்ஜனி புத்ர பவனஸுத னாமா॥2॥

மஹாவீர விக்ரம பஜரங்கீ ।
குமதி னிவார ஸுமதி கே ஸங்கீ॥3॥
கம்சன வரண விராஜ ஸுவேஶா ।
கானன கும்டல கும்சித கேஶா ॥4॥

ஹாதவஜ்ர ஔ த்வஜா விராஜை ।
காம்தே மூம்ஜ ஜனேவூ ஸாஜை॥5॥
ஶம்கர ஸுவன கேஸரீ னன்தன ।
தேஜ ப்ரதாப மஹாஜக வன்தன ॥6॥

வித்யாவான குணீ அதி சாதுர ।
ராம காஜ கரிவே கோ ஆதுர॥7॥
ப்ரபு சரித்ர ஸுனிவே கோ ரஸியா ।
ராமலகன ஸீதா மன பஸியா ॥8॥

ஸூக்ஷ்ம ரூபதரி ஸியஹி திகாவா ।
விகட ரூபதரி லம்க ஜராவா॥9॥
பீம ரூபதரி அஸுர ஸம்ஹாரே ।
ராமசம்த்ர கே காஜ ஸம்வாரே ॥10॥

லாய ஸம்ஜீவன லகன ஜியாயே ।
ஶ்ரீ ரகுவீர ஹரஷி உரலாயே॥11॥
ரகுபதி கீன்ஹீ பஹுத படாயீ ।
தும மம ப்ரிய பரதஹி ஸம பாயீ ॥12॥

ஸஹஸ வதன தும்ஹரோ யஶகாவை ।
அஸ கஹி ஶ்ரீபதி கண்ட லகாவை॥13॥
ஸனகாதிக ப்ரஹ்மாதி முனீஶா ।
னாரத ஶாரத ஸஹித அஹீஶா ॥14॥

જயம குபேர திகபால ஜஹாம் தே ।
கவி கோவித கஹி ஸகே கஹாம் தே॥15॥
தும உபகார ஸுக்ரீவஹி கீன்ஹா ।
ராம மிலாய ராஜபத தீன்ஹா ॥16॥

தும்ஹரோ மன்த்ர விபீஷண மானா ।
லம்கேஶ்வர பயே ஸப ஜக ஜானா॥17॥
யுக ஸஹஸ்ர யோஜன பர பானூ ।
லீல்யோ தாஹி மதுர பல ஜானூ॥18॥

ப்ரபு முத்ரிகா மேலி முக மாஹீ ।
ஜலதி லாம்கி கயே அசரஜ னாஹீ॥19॥
துர்கம காஜ ஜகத கே ஜேதே ।
ஸுகம அனுக்ரஹ தும்ஹரே தேதே ॥20॥

ராம துஆரே தும ரகவாரே ।
ஹோத ன ஆஜ்ஞா பினு பைஸாரே॥21॥
ஸப ஸுக லஹை தும்ஹாரீ ஶரணா ।
தும ரக்ஷக காஹூ கோ டர னா ॥22॥

ஆபன தேஜ துமஹாரோ ஆபை ।
தீனோம் லோக ஹாம்க தே காம்பை॥23॥
பூத பிஶாச னிகட னஹி ஆவை ।
மஹவீர ஜப னாம ஸுனாவை ॥24॥

னாஸை ரோக ஹரை ஸப பீரா ।
ஜபத னிரம்தர ஹனுமத வீரா॥25॥
ஸம்கட ஸேம் ஹனுமான சுடாவை ।
மன க்ரம வசன த்யான ஜோ லாவை ॥26॥

ஸப பர ராம தபஸ்வீ ராஜா ।
தினகே காஜ ஸகல தும ஸாஜா॥27॥
ஔர மனோரத ஜோ கோயி லாவை ।
தாஸு அமித ஜீவன பல பாவை ॥28॥

சாரோ யுக பரிதாப தும்ஹாரா ।
ஹை பரஸித்த ஜகத உஜியாரா॥29॥
ஸாது ஸன்த கே தும ரகவாரே ।
அஸுர னிகன்தன ராம துலாரே ॥30॥

அஷ்டஸித்தி னவ னிதி கே தாதா ।
அஸ வர தீன்ஹ ஜானகீ மாதா॥31॥
ராம ரஸாயன தும்ஹாரே பாஸா ।
ஸாத ரஹோ ரகுபதி கே தாஸா ॥32॥

தும்ஹரே பஜன ராமகோ பாவை ।
ஜன்ம ஜன்ம கே துக பிஸராவை॥33॥
அம்த கால ரகுவர புரஜாயீ ।
ஜஹாம் ஜன்ம ஹரிபக்த கஹாயீ ॥34॥

ஔர தேவதா சித்த ன தரயீ ।
ஹனுமத ஸேயி ஸர்வ ஸுக கரயீ॥35॥
ஸம்கட கடை மிடை ஸப பீரா ।
ஜோ ஸுமிரை ஹனுமத பல வீரா ॥36॥

ஜை ஜை ஜை ஹனுமான கோஸாயீ ।
க்றுபா கரோ குருதேவ கீ னாயீ॥37॥
ஜோ ஶத வார பாட கர கோயீ ।
சூடஹி பன்தி மஹா ஸுக ஹோயீ ॥38॥

ஜோ யஹ படை ஹனுமான சாலீஸா ।
ஹோய ஸித்தி ஸாகீ கௌரீஶா॥39॥
துலஸீதாஸ ஸதா ஹரி சேரா ।
கீஜை னாத ஹ்றுதய மஹ டேரா ॥40॥

தோஹா
பவன தனய ஸங்கட ஹரண – மங்கள மூரதி ரூப்।
ராம லகன ஸீதா ஸஹித – ஹ்றுதய பஸஹு ஸுரபூப்॥

श्री हनुमान चालीसा पाठ विधि | Shri Hanuman Chalisa Path Vidhi

जो भक्त जन प्रतिदिन नियमित रूप से श्री हनुमान जी की पूजा करते हैं और Shri Hanuman Chalisa का पाठ करते हैं, Bajrang Bali उनके कष्टों का निवारण करते हैं| हनुमान चालीसा आपको अपने डर पर काबू पाने में मदद करती है, बुराई को दूर रखती है, सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती है और सबसे महत्वपूर्ण रूप से आपको जीवन में बाधाओं को दूर करने के लिए आवश्यक आंतरिक शक्ति और शक्ति प्रदान करती है। हर सुबह या जब भी आप उदास या डरे हुए महसूस करते हैं तो हनुमान चालीसा का पाठ करने की सलाह दी जाती है।

हर शनिवार को एक हनुमान मंदिर में जाना और भगवान हनुमान का आह्वान करने और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बरगद के पत्तों की माला और तिल के तेल में काली दाल (काली उड़द की दाल) और सिंदूर (सिंदूर) मिलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करना सबसे अच्छा है।

श्री हनुमान चालीसा का पाठ सही विधि से करना चाहिए जिस से कि श्री हनुमान जी की शीघ्र कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। आइए समझते हैं श्री हनुमान चालीसा का पाठ करने की सही विधि क्या है :-

  • मंगलवार के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा करने से पहले स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
  • पूजा स्थान पर भगवान हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करें।
  • हनुमान चालीसा पाठ से पहले सर्वप्रथम गणेश जी की आराधना करें।
  • इसके बाद भगवान राम और माता सीता का ध्यान करें।
  • उसके बाद हनुमान जी को प्रणाम करके हनुमान चालीसा पाठ का संकल्प लें।
  • हनुमान जी को फूल अर्पित करें और उनके समक्ष धूप, दीप जलाएं।
  • कुश से बना आसन बिछाएं और उसपर बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ आरंभ करें।
  • हनुमान जी को प्रसाद के रूप में चूरमा, लड्डू और अन्य मौसमी फल आदि अर्पित कर सकते हैं।

श्री हनुमान चालीसा पाठ के लिए सावधानियां | Shri Hanuman Chalisa Path ke lie Savdhaniyan

सभी आराध्यों की अराधना करते समय कुछ सावधानियाँ अवश्य बरतनी चाहिए| आइये जानते हैं कि श्री हनुमान चालीसा का पाठ करते समय क्या क्या सावधानियाँ हमें रखनी चाहिए|

  • श्री हनुमान चालीसा का पाठ के समय हमेशा साफ़ सुथरे और धुले वस्त्र ही पहनें।
  • श्री हनुमान चालीसा का पाठ करते समय मन में किसी प्रकार की बुरे विचार नहीं आने चाहिए|
  • श्री हनुमान चालीसा पाठ के समय लाल कपड़ा बिछाकर श्री हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  • श्री हनुमान चालीसा का पाठ करते समय यह सुनिश्चित करले कि आप किस दिशा की ओर मुख करके बैठे हैं, हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख रखें।
  • श्री हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रभु श्री राम और माता सीता का ध्यान भी अवश्य करना चाहिए।

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