श्री लक्ष्मी चालीसा | Shri Lakshmi Chalisa

Shri Lakshmi Chalisa

लक्ष्मी हिन्दू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं। वह भगवान विष्णु की पत्नी हैं। पार्वती और सरस्वती के साथ, वह त्रिदेवियाँ में से एक है और धन, सम्पदा, शान्ति और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। दीपावली के त्योहार में उनकी गणेश सहित पूजा की जाती है। जिनका उल्लेख सबसे पहले ऋग्वेद के श्री सूक्त में मिलता है। माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए Shri Lakshmi Chalisa का पाठ करना चाहिए क्योंकि अपने इष्ट को प्रसन्न करने के लिए सबसे सरल उपाय चालीसा को ही बताया गया है। माँ लक्ष्मी जिनको धन, समृद्धि और वैभव की देवी माना जाता है। जैन धर्म में भी लक्ष्मी एक महत्वपूर्ण देवता हैं और जैन मंदिरों में पाए जाते हैं। लक्ष्मी भी बौद्धों के लिए प्रचुरता और भाग्य की देवी रही हैं, और उन्हें बौद्ध धर्म के सबसे पुराने जीवित स्तूपों और गुफा मंदिरों का प्रतिनिधित्व किया गया था। और यह माना जाता है की जो कोई भी जातक अगर सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ माता लक्ष्मी की चालीसा का पाठ करे तो उसके पास कभी भी दरिद्रता नहीं आती।


श्री लक्ष्मी चालीसा | Shri Lakshmi Chalisa

॥ सोरठा॥
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं ।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका ॥

॥ चौपाई ॥

सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही ।
ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही ॥

तुम समान नहिं कोई उपकारी ।
सब विधि पुरवहु आस हमारी ॥

जय जय जगत जननि जगदम्बा ।
सबकी तुम ही हो अवलम्बा ॥

तुम ही हो सब घट घट वासी ।
विनती यही हमारी खासी ॥

जगजननी जय सिन्धु कुमारी ।
दीनन की तुम हो हितकारी ॥

विनवौं नित्य तुमहिं महारानी ।
कृपा करौ जग जननि भवानी ॥

केहि विधि स्तुति करौं तिहारी ।
सुधि लीजै अपराध बिसारी ॥

कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी ।
जगजननी विनती सुन मोरी ॥

ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता ।
संकट हरो हमारी माता ॥

क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो ।
चौदह रत्न सिन्धु में पायो ॥ 10

चौदह रत्न में तुम सुखरासी ।
सेवा कियो प्रभु बनि दासी ॥

जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा ।
रुप बदल तहं सेवा कीन्हा ॥

स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा ।
लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा ॥

तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं ।
सेवा कियो हृदय पुलकाहीं ॥

अपनाया तोहि अन्तर्यामी ।
विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी ॥

तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी ।
कहं लौ महिमा कहौं बखानी ॥

मन क्रम वचन करै सेवकाई ।
मन इच्छित वांछित फल पाई ॥

तजि छल कपट और चतुराई ।
पूजहिं विविध भांति मनलाई ॥

और हाल मैं कहौं बुझाई ।
जो यह पाठ करै मन लाई ॥

ताको कोई कष्ट नोई ।
मन इच्छित पावै फल सोई ॥ 20

त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि ।
त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी ॥

जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै ।
ध्यान लगाकर सुनै सुनावै ॥

ताकौ कोई न रोग सतावै ।
पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै ॥

पुत्रहीन अरु संपति हीना ।
अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना ॥

विप्र बोलाय कै पाठ करावै ।
शंका दिल में कभी न लावै ॥

पाठ करावै दिन चालीसा ।
ता पर कृपा करैं गौरीसा ॥

सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै ।
कमी नहीं काहू की आवै ॥

बारह मास करै जो पूजा ।
तेहि सम धन्य और नहिं दूजा ॥

प्रतिदिन पाठ करै मन माही ।
उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं ॥

बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई ।
लेय परीक्षा ध्यान लगाई ॥ 30

करि विश्वास करै व्रत नेमा ।
होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा ॥

जय जय जय लक्ष्मी भवानी ।
सब में व्यापित हो गुण खानी ॥

तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं ।
तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं ॥

मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै ।
संकट काटि भक्ति मोहि दीजै ॥

भूल चूक करि क्षमा हमारी ।
दर्शन दजै दशा निहारी ॥

बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी ।
तुमहि अछत दुःख सहते भारी ॥

नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में ।
सब जानत हो अपने मन में ॥

रुप चतुर्भुज करके धारण ।
कष्ट मोर अब करहु निवारण ॥

केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई ।
ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई ॥

॥ दोहा॥
त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास ।
जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश ॥

रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर ।
मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर ॥

श्री लक्ष्मी चालीसा पाठ विधि | Shri Lakshmi Chalisa Path Vidhi

जो भक्त जन प्रतिदिन नियमित रूप से श्री लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं और Shri Lakshmi Chalisa का पाठ करते हैं उनके जीवन से दुःख और दरिद्रता दूर होती है| श्री गणेश चालीसा का पाठ सही विधि से करना चाहिए जिस से कि श्री लक्ष्मी जी की शीघ्र कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति को मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। आइए समझते हैं श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने की सही विधि क्या है :-

  • हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी की आराधना करने के लिए प्रातःकाल उठे।
  • स्नान के बाद श्वेत या गुलाबी वस्त्र धारण करें।
  • अब पूजा स्थल पर कमल पर बैठी माँ लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति को साफ़ लाल रेशमी कपड़े पर रखें। देवी लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की भी एक तस्वीर या मूर्ति रखें।
  • कुमकुम, घी का दीपक, गुलाब की सुगंध वाली धुप, कमल का फूल, इत्र, चंदन, अबीर, गुलाल, अक्षत आदि से माँ लक्ष्मी की पूजा करें।
  • माँ लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएँ।
  • इसके बाद माता लक्ष्मी की आरती करें।
  • अब सच्चे मन से श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें।

श्री लक्ष्मी चालीसा पाठ के लिए सावधानियां | Shri Lakshmi Chalisa Path ke lie Savdhaniyan

सभी आराध्यों की अराधना करते समय कुछ सावधानियाँ अवश्य बरतनी चाहिए| आइये जानते हैं कि श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ करते समय क्या क्या सावधानियाँ हमें रखनी चाहिए|

  • देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए लाल रंग के ही दीपक की बाती का प्रयोग करना चाहिये, दीपक को हमेशा माँ लक्ष्मी के दायीं और रखें।
  • दीपक को बायीं और नहीं रखना चाहिए. इसका कारण यह है कि भगवान विष्णु अग्नि और प्रकाश स्वरूप हैं। भगवान विष्णु का स्वरूप होने के कारण ही लक्ष्मी पूजन में दीपक को दायी और रखना चाहिए।
  • धूप, धूमन धुएँ वाली सभी चीजों को हमेशा बायीं और रखें। बायीं और धूप-धूमन और अगरबत्ती जलने भगवान विष्णु की वामांगी देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
  • श्री लक्ष्मी चालीसा पाठ के शुक्रवार के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा का दिन माना जाता है।
  • श्री लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भगवान गणेश का ध्यान भी अवश्य करना चाहिए।

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