यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष को अष्टमी को किया जाता है। जिस दिन (वार) की दीपावली होती है, उससे ठीक एक सप्ताह पूर्व उसी दिन (वार) को अहोई अष्टमी पड़ती है। व्रत करने वाली स्त्री को इस दिन उपवास रखना चाहिए। सायंकाल दीवार पर अष्ट कोष्ठक की अहोई की पुतली रंग भरकर बनाएं। पुतली के पास सेई व सेई के बच्चे भी बनाएं, चाहें तो बना-बनाया चार्ट खरीद सकती हैं।
अहोई अष्टमी भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन महिलाएं अपने सन्तान की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं और पूजा करती हैं। अहोई अष्टमी के नियम अलग-अलग जगहों के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। इस साल अहोई अष्टमी 28 अक्टूबर को है। अगर आप भी इस साल पहली बार व्रत रखने जा रही हैं तो जान लें पूजन साम्रगी, पूजा विधि –
अहोई अष्टमी पूजन के लिए सामग्री-
अहोई माता मूर्ति/चित्र स्याहु माला दीपक करवा पूजा रोली, अक्षत तिलक के लिए रोली दूब कलावा पुत्रों को देने के लिए श्रीफल माता को चढ़ावे के लिए श्रृंगार का सामान बयाना सात्विक भोजन चौदह पूरी और आठ पुओं का भोग चावल की कटोरी, मूली, सिंघाड़े, फल खीर दूध व भात वस्त्र बयाना में देने के लिए नेग (पैसे)|
अहोई अष्टमी पूजन शुभ मुहूर्त 2021-
अष्टमी तिथि का व्रत – 28 अक्टूबर 2021, दिन बृहस्पतिवार।
पूजा का शुभ समय व मुहूर्त – शाम को 05 बजकर 39 मिनट से 06 बजकर 56 मिनट तक।
पूजा की अवधि – 01 घंटा 17 मिनट तक
अहोई व्रत का उजमन
जिस स्त्री के बेटा अथवा बेटे का विवाह हुआ हो, उसे अहोई माता का उजमन करना चाहिए। एक थाल में चार-चार पूडियाँ सात जगह रखें। फिर उन पर थोड़ा-थोड़ा हलवा रख दें। थाल में एक तीयल (साड़ी, ब्लाउज) और सामर्थ्यानुसार रुपये रखकर, थाल के चारों ओर हाथ फेरकर सासूजी के चरण स्पर्श करें तथा उसे सादर उन्हें दे दें। सासूजी तीयल व रुपये स्वयं रख लें एवं हलवा-पूरी प्रसाद के रूप में बांट दें। हलवा-पूरी का बायना बहन-बेटी के यहाँ भी भेजना चाहिए।