अन्नपूर्णा माँ चालीसा- पोषण और प्रचुरता की देवी के लिए एक मधुर स्तोत्र | Maa Annapurna Chalisa

माँ अन्नपूर्णा चालीसा, पोषण और प्रचुरता का प्रतीक दिव्य माँ को हार्दिक भेंट, एक पवित्र भजन है जो प्रेम, कृतज्ञता और भक्ति के साथ प्रतिध्वनित होता है। भारत की विशाल और कालातीत आध्यात्मिक विरासत से उत्पन्न, यह शक्तिशाली मंत्र भोजन और जीविका की देवी माँ अन्नपूर्णा की वंदना करता है, जो हमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक पोषण का आशीर्वाद देती हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम माँ अन्नपूर्णा चालीसा की सुंदरता और महत्व के बारे में जानेंगे, इसकी उत्पत्ति, रहस्यमय अर्थ और हमारे जीवन पर इसके गहरे प्रभाव की जानकारी प्राप्त करेंगे।

चालीस छंदों (इसलिए नाम चालीसा) से युक्त, यह भक्ति भजन माँ अन्नपूर्णा के विभिन्न पहलुओं, विशेषताओं और आशीर्वादों को समाहित करता है। जैसा कि हम मधुर पंक्तियों के माध्यम से यात्रा करते हैं, हम उस प्राचीन ज्ञान और दिव्य अनुग्रह को उजागर करेंगे जो मंत्र उन लोगों को प्रदान करता है जो इसे विश्वास और श्रद्धा के साथ ग्रहण करते हैं। इस आध्यात्मिक सफ़र में हमारे साथ शामिल हों, क्योंकि हम माँ अन्नपूर्णा चालीसा के मंत्रमुग्ध छंदों के माध्यम से माँ अन्नपूर्णा के पोषण आशीर्वाद में डूब जाते हैं, और यह अनुभव करते हैं कि यह हमें बहुतायत, कृतज्ञता और आध्यात्मिक विकास का जीवन जीने के लिए कैसे प्रेरित कर सकता है।

माँ अन्नपूर्णा चालीसा | Maa Annapurna Chalisa

विश्वेश्वर पदपदम की रज निज शीश लगाय ।
अन्नपूर्णे, तव सुयश बरनौं कवि मतिलाय ।

॥ चौपाई ॥
नित्य आनंद करिणी माता,
वर अरु अभय भाव प्रख्याता ॥

जय ! सौंदर्य सिंधु जग जननी,
अखिल पाप हर भव-भय-हरनी ॥

श्वेत बदन पर श्वेत बसन पुनि,
संतन तुव पद सेवत ऋषिमुनि ॥

काशी पुराधीश्वरी माता,
माहेश्वरी सकल जग त्राता ॥

वृषभारुढ़ नाम रुद्राणी,
विश्व विहारिणि जय ! कल्याणी ॥

पतिदेवता सुतीत शिरोमणि,
पदवी प्राप्त कीन्ह गिरी नंदिनि ॥

पति विछोह दुःख सहि नहिं पावा,
योग अग्नि तब बदन जरावा ॥

देह तजत शिव चरण सनेहू,
राखेहु जात हिमगिरि गेहू ॥

प्रकटी गिरिजा नाम धरायो,
अति आनंद भवन मँह छायो ॥

नारद ने तब तोहिं भरमायहु,
ब्याह करन हित पाठ पढ़ायहु ॥ 10 ॥

ब्रहमा वरुण कुबेर गनाये,
देवराज आदिक कहि गाये ॥

सब देवन को सुजस बखानी,
मति पलटन की मन मँह ठानी ॥

अचल रहीं तुम प्रण पर धन्या,
कीहनी सिद्ध हिमाचल कन्या ॥

निज कौ तब नारद घबराये,
तब प्रण पूरण मंत्र पढ़ाये ॥

करन हेतु तप तोहिं उपदेशेउ,
संत बचन तुम सत्य परेखेहु ॥

गगनगिरा सुनि टरी न टारे,
ब्रहां तब तुव पास पधारे ॥

कहेउ पुत्रि वर माँगु अनूपा,
देहुँ आज तुव मति अनुरुपा ॥

तुम तप कीन्ह अलौकिक भारी,
कष्ट उठायहु अति सुकुमारी ॥

अब संदेह छाँड़ि कछु मोसों,
है सौगंध नहीं छल तोसों ॥

करत वेद विद ब्रहमा जानहु,
वचन मोर यह सांचा मानहु ॥ 20 ॥

तजि संकोच कहहु निज इच्छा,
देहौं मैं मनमानी भिक्षा ॥

सुनि ब्रहमा की मधुरी बानी,
मुख सों कछु मुसुकाय भवानी ॥

बोली तुम का कहहु विधाता,
तुम तो जगके स्रष्टाधाता ॥

मम कामना गुप्त नहिं तोंसों,
कहवावा चाहहु का मोंसों ॥

दक्ष यज्ञ महँ मरती बारा,
शंभुनाथ पुनि होहिं हमारा ॥

सो अब मिलहिं मोहिं मनभाये,
कहि तथास्तु विधि धाम सिधाये ॥

तब गिरिजा शंकर तव भयऊ,
फल कामना संशयो गयऊ ॥

चन्द्रकोटि रवि कोटि प्रकाशा,
तब आनन महँ करत निवासा ॥

माला पुस्तक अंकुश सोहै,
कर मँह अपर पाश मन मोहै ॥

अन्न्पूर्णे ! सदापूर्णे,
अज अनवघ अनंत पूर्णे ॥ 30 ॥

कृपा सागरी क्षेमंकरि माँ,
भव विभूति आनंद भरी माँ ॥

कमल विलोचन विलसित भाले,
देवि कालिके चण्डि कराले ॥

तुम कैलास मांहि है गिरिजा,
विलसी आनंद साथ सिंधुजा ॥

स्वर्ग महालक्ष्मी कहलायी,
मर्त्य लोक लक्ष्मी पदपायी ॥

विलसी सब मँह सर्व सरुपा,
सेवत तोहिं अमर पुर भूपा ॥

जो पढ़िहहिं यह तव चालीसा,
फल पाइंहहि शुभ साखी ईसा ॥

प्रात समय जो जन मन लायो,
पढ़िहहिं भक्ति सुरुचि अघिकायो ॥

स्त्री कलत्र पति मित्र पुत्र युत,
परमैश्रवर्य लाभ लहि अद्भुत ॥

राज विमुख को राज दिवावै,
जस तेरो जन सुजस बढ़ावै ॥

पाठ महा मुद मंगल दाता,
भक्त मनोवांछित निधि पाता ॥ 40 ॥

॥ दोहा ॥
जो यह चालीसा सुभग, पढ़ि नावैंगे माथ ।
तिनके कारज सिद्ध सब, साखी काशी नाथ ॥

सुनें माँ अन्नपूर्णा चालीसा | Listen Maa Annapurna Chalisa

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माँ अन्नपूर्णा चालीसा पाठ के लाभ | Benefits of Maa Annapurna Chalisa

अन्नपूर्णा चालीसा के जप के लाभ:

  • दिव्य आशीर्वाद: भजन माँ अन्नपूर्णा की कृपा को आमंत्रित करता है, जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक पोषण प्रदान करता है।
  • प्रचुरता और समृद्धि: चालीसा का पाठ करने से भौतिक संपदा, सफलता और पूर्ति के लिए देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • कृतज्ञता और संतोष: भजन कृतज्ञता की भावना पैदा करता है, जीवन में आंतरिक शांति और संतोष को बढ़ावा देता है।
  • बाधाओं का निवारण मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद जीवन के विभिन्न पहलुओं में चुनौतियों और बाधाओं पर काबू पाने में मदद करता है।
  • आध्यात्मिक विकास: चालीसा का जाप आध्यात्मिक संबंध को गहरा करता है, साधक को उच्च चेतना की ओर ले जाता है।

अन्नपूर्णा चालीसा का जाप करने के नियम:

  • कौन: मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद लेने वाला कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी उम्र, लिंग या पृष्ठभूमि का हो, इस मंत्र का जाप कर सकता है।
  • कब: जप करने का आदर्श समय सुबह या शाम के समय के दौरान होता है। इसका पाठ प्रतिदिन या विशेष अवसरों पर, जैसे नवरात्रि या अन्नपूर्णा जयंती पर किया जा सकता है।
  • कहा: जप के लिए एक स्वच्छ, शांत और शांत स्थान का चयन करें, अधिमानतः अपने घर में एक समर्पित प्रार्थना या ध्यान क्षेत्र।
  • कैसे: जप से पहले स्नान करके और साफ कपड़े पहनकर खुद को शुद्ध करें। शांत और एकाग्र मन से पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके एक आरामदायक आसन में बैठें।

श्रद्धा और भक्ति के साथ अन्नपूर्णा चालीसा का जप इच्छानुसार या अपनी व्यक्तिगत साधना के अनुसार कई बार करें।

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