बृहस्पति अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम् | Brihaspati Ashtottara Shat Naam Stotram

“बृहस्पति अष्टोत्तरशत नाम स्तोत्रम” गुरु ग्रह की पूजा और ध्यान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस स्तोत्रमें गुरु ग्रह के सौ विशेष नाम होते हैं, जिनका जाप भक्तों को उनकी कृपा और आशीर्वाद में सहायक होता है।

बृहस्पति अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम् | Brihaspati Ashtottara Shat Naam Stotram

गुरुर्गुणवरो गोप्ता गोचरो गोपतिप्रियः
गुणी गुणवतांश्रेष्ठो गुरूणांगुरुरव्ययः ॥ 1 ॥

जेता जयंतो जयदो जीवोऽनंतो जयावहः
आंगीरसोऽध्वरासक्तो विविक्तोऽध्वरकृत्परः ॥ 2 ॥

वाचस्पतिर्वशी वश्यो वरिष्ठो वाग्विचक्षणः
चित्तशुद्धिकरः श्रीमान् चैत्रः चित्रशिखंडिजः ॥ 3 ॥

बृहद्रथो बृहद्भानुः बृहस्पतिरभीष्टदः
सुराचार्यः सुराराध्यः सुरकार्यहितंकरः ॥ 4 ॥

गीर्वाणपोषको धन्यो गीष्पतिर्गिरिशोऽनघः
धीवरो धिषणो दिव्यभूषणो देवपूजितः ॥ 5 ॥

धनुर्धरो दैत्यहंता दयासारो दयाकरः
दारिद्र्यनाशको धन्यो दक्षिणायनसंभवः ॥ 6 ॥

धनुर्मीनाधिपो देवो धनुर्बाणधरो हरिः
आंगीरसाब्जसंजातः आंगीरसकुलोद्भवः ॥ 7 ॥

सिंधुदेशाधिपो धीमान् स्वर्णवर्णः चतुर्भुजः
हेमांगदो हेमवपुर्हेमभूषणभूषितः ॥ 8 ॥

पुष्यनाथः पुष्यरागमणिमंडनमंडितः
काशपुष्पसमानाभः कलिदोषनिवारकः ॥ 9 ॥

इंद्राधिदेवो देवेशो देवताभीष्टदायकः
असमानबलः सत्त्वगुणसंपद्विभासुरः ॥ 10 ॥

भूसुराभीष्टदो भूरियशः पुण्यविवर्धनः
धर्मरूपो धनाध्यक्षो धनदो धर्मपालनः ॥ 11 ॥

सर्ववेदार्थतत्त्वज्ञः सर्वापद्विनिवारकः
सर्वपापप्रशमनः स्वमतानुगतामरः ॥ 12 ॥

ऋग्वेदपारगो ऋक्षराशिमार्गप्रचारकः
सदानंदः सत्यसंधः सत्यसंकल्पमानसः ॥ 13 ॥

सर्वागमज्ञः सर्वज्ञः सर्ववेदांतविद्वरः
ब्रह्मपुत्रो ब्राह्मणेशो ब्रह्मविद्याविशारदः ॥ 14 ॥

समानाधिकनिर्मुक्तः सर्वलोकवशंवदः
ससुरासुरगंधर्ववंदितः सत्यभाषणः ॥ 15 ॥

नमः सुरेंद्रवंद्याय देवाचार्याय ते नमः
नमस्तेऽनंतसामर्थ्य वेदसिद्धांतपारगः ॥ 16 ॥

सदानंद नमस्तेस्तु नमः पीडाहराय च
नमो वाचस्पते तुभ्यं नमस्ते पीतवाससे ॥ 17 ॥

नमोऽद्वितीयरूपाय लंबकूर्चाय ते नमः
नमः प्रहृष्टनेत्राय विप्राणांपतये नमः ॥ 18 ॥

नमो भार्गवशिष्याय विपन्नहितकारिणे
नमस्ते सुरसैन्यानांविपत्तित्राणहेतवे ॥ 19 ॥

बृहस्पतिः सुराचार्यो दयावान् शुभलक्षणः
लोकत्रयगुरुः श्रीमान् सर्वगः सर्वतोविभुः ॥ 20 ॥

सर्वेशः सर्वदातुष्टः सर्वदः सर्वपूजितः
अक्रोधनो मुनिश्रेष्ठो नीतिकर्ता जगत्पिता ॥ 21 ॥

विश्वात्मा विश्वकर्ता च विश्वयोनिरयोनिजः
भूर्भुवोधनदाता च भर्ताजीवो महाबलः ॥ 22 ॥

बृहस्पतिः काश्यपेयो दयावान् शुभलक्षणः
अभीष्टफलदः श्रीमान् शुभग्रह नमोस्तु ते ॥ 23 ॥

बृहस्पतिस्सुराचार्यो देवासुरसुपूजितः
आचार्योदानवारिश्च सुरमंत्री पुरोहितः ॥ 24 ॥

कालज्ञः कालृग्वेत्ता चित्तगश्च प्रजापतिः
विष्णुः कृष्णस्तदा सूक्ष्मः प्रतिदेवोज्ज्वलग्रहः ॥ 25 ॥

बृहस्पति अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम् सुनें | Listen Brihaspati Ashtottara Shat Naam Stotram

बृहस्पति अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र।brihaspati stotra Satnam। बृहस्पति को बलवान बनाने के लिए श्रवण करें

बृहस्पति अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम् के लाभ | Benefits of Brihaspati Ashtottara Shat Naam Stotram

  1. ज्ञान और विद्या में वृद्धि: बृहस्पति ग्रह के नामों का जाप करने से उपयोगकर्ता को ज्ञान, विद्या, और शिक्षा में वृद्धि होती है।
  2. धर्म और नैतिकता में सुधार: इस स्तोत्रम का पाठ करने से उपयोगकर्ता को धर्म और नैतिकता में सुधार होता है और वह ईमानदारी और उदारता के मार्ग पर चलता है।
  3. गुरु ग्रह की कृपा: गुरु ग्रह के नामों का जाप करने से उपयोगकर्ता को गुरु ग्रह की कृपा मिलती है, जिससे उन्हें ज्ञान, बुद्धि, और सफलता में सहायता मिलती है।

सावधानियां:

  1. श्रद्धा और निष्ठा से पूजें: बृहस्पति अष्टोत्तरशत नाम स्तोत्रम का जाप करने से पहले उपयोगकर्ता को श्रद्धा और निष्ठा से पूजन करना चाहिए।
  2. समय पर नियमित रूप से करें: स्तोत्रम का नियमित रूप से एक विशेष समय पर पठना चाहिए, जिससे योग्यता और पूजन का प्रभाव महसूस हो सके।
  3. पवित्रता बनाए रखें: इस नाम स्तोत्रम के पठन में पवित्रता बनाए रखने के लिए उपयोगकर्ता को शुद्ध मानसिकता और पवित्र वातावरण बनाए रखना चाहिए।

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