दशावतार स्तुति | Dashavtar Stuti

ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु ने अलग अलग समय पर आवश्यकतानुसार अवतार धारण किये थे। दशावतार स्तुति इस स्तोत्र में भगवान विष्णु के दस अवतारों की महिमा का वर्णन किया गया है। दशावतार स्तुति स्तोत्र श्री हरी भक्तों के लिए काफी लाभकारी है। पुराणों में भगवान श्री हरी के 10 अवतार का वर्णन पाया जाता है जो इस प्रकार हैं मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, वराह अवतार, नृसिंह अवतार, वामन अवतार, परशुराम अवतार, राम अवतार. कृष्ण अवतार, बुद्ध अवतार, कल्कि अवतार |

दशावतार स्तुति | Dashavtar Stuti

नामस्मरणादन्योपायं न हि पश्यामो भवतरणे ।
राम हरे कृष्ण हरे तव नाम वदामि सदा नृहरे ॥

वेदोद्धारविचारमते सोमकदानवसंहरणे ।
मीनाकारशरीर नमो भक्तं ते परिपालय माम् ॥ 1 ॥

मंथानाचलधारणहेतो देवासुर परिपाल विभो ।
कूर्माकारशरीर नमो भक्तं ते परिपालय माम् ॥ 2 ॥|

भूचोरकहर पुण्यमते क्रीडोद्धृतभूदेवहरे ।
क्रोडाकारशरीर नमो भक्तं ते परिपालय माम् ॥ 3 ॥

हिरण्यकशिपुच्छेदनहेतो प्रह्लादाऽभयधारणहेतो ।
नरसिंहाच्युतरूप नमो भक्तं ते परिपालय माम् ॥ 4 ॥|

भवबंधनहर विततमते पादोदकविहताघतते ।
वटुपटुवेषमनोज्ञ नमो भक्तं ते परिपालय माम् ॥ 5 ॥

क्षितिपतिवंशक्षयकरमूर्ते क्षितिपतिकर्ताहरमूर्ते ।
भृगुकुलराम परेश नमो भक्तं ते परिपालय माम् ॥ 6 ॥

सीतावल्लभ दाशरथे दशरथनंदन लोकगुरो ।
रावणमर्दन राम नमो भक्तं ते परिपालय माम् ॥ 7 ॥

कृष्णानंत कृपाजलधे कंसारे कमलेश हरे ।
कालियमर्दन लोकगुरो भक्तं ते परिपालय माम् ॥ 8 ॥

दानवसतिमानापहर त्रिपुरविजयमर्दनरूप ।
बुद्धज्ञाय च बौद्ध नमो भक्तं ते परिपालय माम् ॥ 9 ॥

शिष्टजनावन दुष्टहर खगतुरगोत्तमवाहन ते ।
कल्किरूपपरिपाल नमो भक्तं ते परिपालय माम् ॥ 10 ॥

नामस्मरणादन्योपायं न हि पश्यामो भवतरणे ।
राम हरे कृष्ण हरे तव नाम वदामि सदा नृहरे ॥

इति दशावतार स्तुतिः ।

सुने दशावतार स्तुति | Listen Dashavtar Stuti

Dasavatara Stotram | Shloka by Indira Ganti

दशावतार स्तुति पाठ के लाभ | Benefits of Dashavtar Stuti

दशावतार स्तुति के पाठ से अनेक लाभ होते हैं। इसके निम्न लाभ हैं:

  1. दशावतारों का वर्णन : एक ही स्तोत्र में भगवान विष्णु के दस अवतारों का वर्णन मिलता है। दशावतार स्तुति स्तोत्र का पाठ करने से साधक को समस्त चिंताओं से छुटकारा मिलता है।
  2. शुभ फलों की प्राप्ति: दशावतार स्तुति का पाठ करने से शुभ फल प्राप्त होता है। यह श्लोक संग्रह व्यक्ति के जीवन में खुशी, सफलता, शांति, सुख, समृद्धि और सम्पन्नता आदि के लिए वरदान होता है।
  3. वराह अवतार : पुरातन समय में दैत्य हिरण्याक्ष ने जब पृथ्वी को ले जाकर समुद्र में छिपा दिया तब ब्रह्मा की नाक से भगवान विष्णु वराह रूप में अवतार लिया।
  4. मत्स्य अवतार : भगवान विष्णु ने सृष्टि को प्रलय से बचाने के लिए मत्स्यावतार धारण किया ।मत्स्यरूपधारी भगवान विष्णु ने राजा सत्यव्रत को तत्वज्ञान का उपदेश दिया, जो मत्स्यपुराण नाम से प्रसिद्ध है।
  5. कूर्म अवतार : धर्म ग्रंथों के अनुसार समुद्र मंथन में सहायता के लिए भगवान विष्णु ने कूर्म (कछुए) का अवतार लेकर समुद्र मंथन में सहायता की थी। भगवान विष्णु के कूर्म अवतार को कच्छप अवतार भी कहते हैं।
  6. मोहिनी अवतार: धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर शक्तिशाली दैत्य का नाश करने के लिए करके देवताओं का भला किया।
  7. भगवान नृसिंह : भगवान श्रीहरि ने नृसिंह अवतार लेकर दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप का वध किया था |
  8. वामन अवतार : जब राजा बलि ने समस्त लोकों को जीत लिया तब भगवान् विष्णु ने वामन अवतार लिया।
  9. परशुराम अवतार : हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार परशुराम भगवान विष्णु के प्रमुख अवतारों में से एक थे।
  10. श्रीराम अवतार : त्रेतायुग में राम रूप में अवतरित हुए। श्री राम रूप धारण कर राक्षस रावण का अंत किया।
  11. श्रीकृष्ण अवतार : द्वापरयुग में भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण अवतार लेकर अधर्मियों का नाश किया। कंस का वध भी भगवान श्रीकृष्ण ने ही किया। महाभारत के समय कुरुक्षेत्र में गीता का उपदेश दिया।
  12. कल्कि अवतार : धर्म ग्रंथों के अनुसार कलयुग में भगवान विष्णु कल्कि रूप में अवतार लेंगे। कल्कि अवतार कलियुग व सतयुग के संधिकाल में होगा। यह अवतार 64 कलाओं से युक्त होगा।

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