देवी माहात्म्यं देवी सूक्तम् | Devi Mahatmya Devi Suktam

देवी माहात्म्यं त्रिशती (Durga Saptashati) या चण्डीपाठ (Chandi Path) के रूप में भी जाना जाता है। यह पौराणिक ग्रंथ मार्कण्डेय पुराण का एक अध्याय है और मां दुर्गा की उपासना और पूजा में प्रयोग किया जाता है।

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देवी माहात्म्यं देवी सूक्तम् | Devi Mahatmya Devi Suktam

ॐ अ॒हं रु॒द्रेभि॒र्वसु॑भिश्चराम्य॒हमा᳚दि॒त्यैरु॒त वि॒श्वदे᳚वैः ।
अ॒हं मि॒त्रावरु॑णो॒भा बि॑भर्म्य॒हमिं᳚द्रा॒ग्नी अ॒हम॒श्विनो॒भा ॥1॥

अ॒हं सोम॑माह॒नसं᳚ बिभर्म्य॒हं त्वष्टा᳚रमु॒त पू॒षणं॒ भगम्᳚ ।
अ॒हं द॑धामि॒ द्रवि॑णं ह॒विष्म॑ते सुप्रा॒व्ये॒ ये॑ ​3 यज॑मानाय सुन्व॒ते ॥2॥

अ॒हं राष्ट्री᳚ सं॒गम॑नी॒ वसू᳚नां चिकि॒तुषी᳚ प्रथ॒मा य॒ज्ञिया᳚नाम् ।
तां मा᳚ दे॒वा व्य॑दधुः पुरु॒त्रा भूरि॑स्थात्रां॒ भू~र्या᳚वे॒शयंती᳚म् ॥3॥

मया॒ सो अन्न॑मत्ति यो वि॒पश्य॑ति॒ यः प्राणि॑ति॒ य ईं᳚ शृ॒णोत्यु॒क्तम् ।
अ॒मं॒त॒वो॒मांत उप॑क्षियंति॒ श्रु॒धि श्रु॑तं श्रद्धि॒वं ते᳚ वदामि ॥4॥

अ॒हमे॒व स्व॒यमि॒दं-वँदा॑मि॒ जुष्टं᳚ दे॒वेभि॑रु॒त मानु॑षेभिः ।
यं का॒मये॒ तं त॑मु॒ग्रं कृ॑णोमि॒ तं ब्र॒ह्माणं॒ तमृषिं॒ तं सु॑मे॒धाम् ॥5॥

अ॒हं रु॒द्राय॒ धनु॒रात॑नोमि ब्रह्म॒द्विषे॒ शर॑वे हंत॒ वा उ॑ ।
अ॒हं जना᳚य स॒मदं᳚ कृणोम्य॒हं द्यावा᳚पृथि॒वी आवि॑वेश ॥6॥

अ॒हं सु॑वे पि॒तर॑मस्य मू॒र्धन् मम॒ योनि॑र॒प्स्वं॒तः स॑मु॒द्रे ।
ततो॒ विति॑ष्ठे॒ भुव॒नानु॒ विश्वो॒तामूं द्यां-वँ॒र्​ष्मणोप॑ स्पृशामि ॥7॥

अ॒हमे॒व वात॑ इव॒ प्रवा᳚म्या॒-रभ॑माणा॒ भुव॑नानि॒ विश्वा᳚ ।
प॒रो दि॒वापर॒ ए॒ना पृ॑थि॒व्यै-ताव॑ती महि॒ना संब॑भूव ॥8॥

ॐ शांतिः॒ शांतिः॒ शांतिः॑ ॥

॥ इति ऋग्वेदोक्तं देवीसूक्तं समाप्तम् ॥
॥तत् सत् ॥

सुने देवी माहात्म्यं देवी सूक्तम् | Listen Devi Mahatmya Devi Suktam

Devi Suktam | Ya Devi Sarva Bhuteshu | with Sanskrit lyrics

देवी माहात्म्यं देवी सूक्तम् के लाभ | Benefits of Devi Mahatmya Devi Suktam

  1. मां देवी की महिमा: देवी माहात्म्यं में मां देवी की महिमा का वर्णन किया गया है। उन्हें सर्वशक्तिमान और सृष्टि की संहारकारिणी माना जाता है।
  2. देवी के रूप: इस सूक्त में देवी के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है। वे मां दुर्गा, मां लक्ष्मी और मां सरस्वती के रूप में प्रकट होती हैं।
  3. देवी के गुण: देवी माहात्म्यं में मां देवी के गुणों का वर्णन किया गया है। उन्हें दयालु, करुणामयी, माँगल्यकारी, धैर्यवान, शांतिप्रदायिनी, विजयी, और सर्वशक्तिमान माना जाता है।
  4. देवी की उपासना: यह सूक्त देवी की उपासना और पूजा का महत्त्व प्रकट करती है। इसे पठने, गाने, और सुनने के माध्यम से देवी की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
  5. देवी के विजय: देवी माहात्म्यं में देवी की विजय की कथा भी वर्णित है।

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