देवी माहात्म्यं मंगल हारति | Devi Mahatmya Mangal Harati

देवी माहात्म्यं मंगल हारति एक विशेष आरती है जो देवी चामुंडेश्वरी की महिमा को स्तुति करती है। यह आरती देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम् के अंत में पठी जाती है और उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्रार्थना की जाती है। यहां नीचे देवी माहात्म्यं मंगल हारति के मुख्य पंक्तियां दी गई हैं |
देवी माहात्म्यं मंगल हारति | Devi Mahatmya Mangal Harati
श्री चक्र पुर मंदु स्थिरमैन श्री ललित पसिडि पादालकिदॆ नीराजनं
बंगारुतल्लिकिदॆ नीराजनं
बंगारु हारालु सिंगारमॊलकिंचु अंबिका हृदयकु नीराजनं
बंगारुतल्लिकिदॆ नीराजनं
श्री गौरि श्रीमात श्रीमहाराज्ञि श्री सिंहासनेश्वरिकि नीराजनं
बंगारुतल्लिकिदॆ नीराजनं
कल्पतरुवै मम्मु कापाडु करमुलकु कवकंबु कासुलतो नीराजनं
बंगारुतल्लिकिदॆ नीराजनं
पाशांकुश पुष्प बाणचापधरिकि परम पावनमैन नीराजनं
बंगारुतल्लिकिदॆ नीराजनं
कांति किरणालतो कलिकि मॆडलो मॆरिसॆ कल्याण सूत्रम्मु नीराजनं
बंगारुतल्लिकिदॆ नीराजनं
चिरुनव्वु लॊलिकिंचु श्रीदेवि अधरान शतको टि नक्षत्र नीराजनं
बंगारुतल्लिकिदॆ नीराजनं
कलुवरेकुल वंटि कन्नुल तल्लि श्रीराजराजेश्वरिकि नीराजनं
बंगारुतल्लिकिदॆ नीराजनं
मुदमार मोमुन मुच्चटग दरियिंचु कस्तूरि कुंकुमकु नीराजनं
बंगारुतल्लिकिदॆ नीराजनं
चंद्रवंकनिकिदॆ नीराजनं
शुक्रवारमुनाडु शुभमुलॊसगे तल्लि श्री महालक्ष्मि किदॆ नीराजनं
बंगारुतल्लिकिदॆ नीराजनं
मुग्गुरम्मलकुनु मूलमगु पॆद्दम्म मुत्यालतो नित्य नीराजनं
बंगारुतल्लिकिदॆ नीराजनं
शृंगेरि पीठान सुंदराकारिणि सौंदर्यलहरिकिदॆ नीराजनं
बंगारुतल्लिकिदॆ नीराजनं
सकल हृदयाललो बुद्धिप्रेरण जेयु तल्लि गायत्रिकिदॆ नीराजनं
बंगारुतल्लिकिदॆ नीराजनं
दान नरसिंहुनि दयतोड रक्षिंचु दयगल तल्लिकिदॆ नीराजनं
आत्मार्पणतो नित्य नीराजनं
श्री चक्र पुर मंदु स्थिरमैन श्री ललित पसिडि पादालकिदॆ नीराजनं
बंगारुतल्लिकिदॆ नीराजनं
सुने देवी माहात्म्यं मंगल हारति | Listen Devi Mahatmya Mangal Harati
देवी माहात्म्यं मंगल हारति के लाभ | Benefits of Devi Mahatmya Mangal Harati
- करुणानिधि देवी: आरती की प्रार्थना शुरू होती है जिसमें देवी चामुंडेश्वरी को ‘करुणानिधि’ यानी करुणा का सागर कहा जाता है। भक्त देवी से दया और कृपा की प्रार्थना करता है।
- जय जगदंबे मातरम्: आरती के मध्य में जगदंबे मातर की जयजयकार की गाथा होती है। इसके माध्यम से भक्त देवी की महिमा और शक्ति का स्तुति करता है।
- ज्योति जगमगाते हैं: आरती में उत्पन्न होने वाली ज्योति के बारे में बताया जाता है जो भक्तों के मन को प्रकाशित करती है और उन्हें भक्तिभाव से उठने का प्रेरणा प्रदान करती है।
- मांगल्य सुबह पहले भोरी: आरती में उठते हुए सूर्य की प्रथम किरणों के समान मांगलिक अर्थपूर्ण संगीत गाया जाता है। यह प्रार्थना करता है कि देवी अपनी कृपा और आशीर्वाद के साथ सुबह के समय आएं और भक्त को सुख संपन्न करें।
