गायत्री कवचम् | Gayatri Kavacham

“गायत्री कवचम” एक पौराणिक कवच है जो दिव्य गायत्री मंत्र की रक्षा, सुरक्षा, और आशीर्वाद के लिए प्रयुक्त होता है। इस कवच का पाठ करने से भक्त अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, आत्मिक शक्ति, और भगवान की कृपा का अनुभव करते हैं।

गायत्री कवचम् | Gayatri Kavacham

नारद उवाच

स्वामिन् सर्वजगन्नाध संशयोऽस्ति मम प्रभो
चतुषष्टि कलाभिज्ञ पातका द्योगविद्वर

मुच्यते केन पुण्येन ब्रह्मरूपः कथं भवेत्
देहश्च देवतारूपो मंत्र रूपो विशेषतः

कर्मत च्छ्रोतु मिच्छामि न्यासं च विधिपूर्वकम्
ऋषि श्छंदोऽधि दैवंच ध्यानं च विधिव त्प्रभो

नारायण उवाच

अस्य्तेकं परमं गुह्यं गायत्री कवचं तथा
पठना द्धारणा न्मर्त्य स्सर्वपापैः प्रमुच्यते

सर्वांकामानवाप्नोति देवी रूपश्च जायते
गायत्त्री कवचस्यास्य ब्रह्मविष्णुमहेश्वराः

ऋषयो ऋग्यजुस्सामाथर्व च्छंदांसि नारद
ब्रह्मरूपा देवतोक्ता गायत्री परमा कला

तद्बीजं भर्ग इत्येषा शक्ति रुक्ता मनीषिभिः
कीलकंच धियः प्रोक्तं मोक्षार्धे विनियोजनम्

चतुर्भिर्हृदयं प्रोक्तं त्रिभि र्वर्णै श्शिर स्स्मृतम्
चतुर्भिस्स्याच्छिखा पश्चात्त्रिभिस्तु कवचं स्स्मुतम्

चतुर्भि र्नेत्र मुद्धिष्टं चतुर्भिस्स्यात्तदस्र्तकम्
अथ ध्यानं प्रवक्ष्यामि साधकाभीष्टदायकम्

मुक्ता विद्रुम हेमनील धवल च्छायैर्मुखै स्त्रीक्षणैः
युक्तामिंदु निबद्ध रत्न मकुटां तत्वार्ध वर्णात्मिकाम् ।
गायत्त्रीं वरदाभयां कुशकशाश्शुभ्रं कपालं गदां
शंखं चक्र मथारविंद युगलं हस्तैर्वहंतीं भजे ॥

गायत्त्री पूर्वतः पातु सावित्री पातु दक्षिणे
ब्रह्म संध्यातु मे पश्चादुत्तरायां सरस्वती

पार्वती मे दिशं राक्षे त्पावकीं जलशायिनी
यातूधानीं दिशं रक्षे द्यातुधानभयंकरी

पावमानीं दिशं रक्षेत्पवमान विलासिनी
दिशं रौद्रींच मे पातु रुद्राणी रुद्र रूपिणी

ऊर्ध्वं ब्रह्माणी मे रक्षे दधस्ता द्वैष्णवी तथा
एवं दश दिशो रक्षे त्सर्वांगं भुवनेश्वरी

तत्पदं पातु मे पादौ जंघे मे सवितुःपदम्
वरेण्यं कटि देशेतु नाभिं भर्ग स्तथैवच

देवस्य मे तद्धृदयं धीमहीति च गल्लयोः
धियः पदं च मे नेत्रे यः पदं मे ललाटकम्

नः पदं पातु मे मूर्ध्नि शिखायां मे प्रचोदयात्
तत्पदं पातु मूर्धानं सकारः पातु फालकम्

चक्षुषीतु विकारार्णो तुकारस्तु कपोलयोः
नासापुटं वकारार्णो रकारस्तु मुखे तथा

णिकार ऊर्ध्व मोष्ठंतु यकारस्त्वधरोष्ठकम्
आस्यमध्ये भकारार्णो गोकार श्चुबुके तथा

देकारः कंठ देशेतु वकार स्स्कंध देशकम्
स्यकारो दक्षिणं हस्तं धीकारो वाम हस्तकम्

मकारो हृदयं रक्षेद्धिकार उदरे तथा
धिकारो नाभि देशेतु योकारस्तु कटिं तथा

गुह्यं रक्षतु योकार ऊरू द्वौ नः पदाक्षरम्
प्रकारो जानुनी रक्षे च्छोकारो जंघ देशकम्

दकारं गुल्फ देशेतु याकारः पदयुग्मकम्
तकार व्यंजनं चैव सर्वांगे मे सदावतु

इदंतु कवचं दिव्यं बाधा शत विनाशनम्
चतुष्षष्टि कला विद्यादायकं मोक्षकारकम्

मुच्यते सर्व पापेभ्यः परं ब्रह्माधिगच्छति
पठना च्छ्रवणा द्वापि गो सहस्र फलं लभेत्

श्री देवीभागवतांतर्गत गायत्त्री कवचं संपूर्णं

गायत्री कवचम् सुनें | Listen Gayatri Kavacham

Complete GAYATRI KAVACH : Gayatri Kavacham : सम्पूर्ण गायत्री कवचं

गायत्री कवचम् के लाभ | Benefits of Gayatri Kavacham

  1. गायत्री मंत्र की रक्षा: “गायत्री कवचम” का पाठ करने से भक्त गायत्री मंत्र की रक्षा में रहता है।
  2. ऊर्जा और शक्ति: इस कवच का जाप करने से भक्त को ऊर्जा और शक्ति मिलती है।
  3. सुरक्षा और आशीर्वाद: गायत्री कवचम का उच्चारण करने से भक्त को सुरक्षा और भगवान की कृपा मिलती है।

सावधानियां:

  1. नियमितता: इस कवच का नियमित जप करने से ही पूर्ण फल प्राप्त होता है।
  2. पवित्रता की आवश्यकता: कवच का पाठ करने से पहले शरीर और मन की पवित्रता का ध्यान रखें।
  3. श्रद्धाभावना: कवच का जाप करते समय श्रद्धाभावना और प्रेम भाव के साथ करें।

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