गोदा देवी अष्टोत्तर शत स्तोत्रम् | Goda Devi Ashtottar Shat Stotram

गोदा देवी को धरती माता का अवतार मन जाता है। गोदा देवी की जयंती देवरिया शहर के बालाजी मंदिर में सावन के महीने में चतुर्थी के दिन धूमधाम से मनाई जाती है। इस श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ण करने के इस दिन भारी मात्रा में दूर दूर से आते है। माना जाता है कि गोदा देवी का विवाह भगवान श्री कृष्ण के साथ हुआ था। श्री कृष्ण के जाने के बाद माता उनके विग्रह में प्रवेश कर गई थी।

गोदा देवी अष्टोत्तर शत स्तोत्रम् | Goda Devi Ashtottar Shat Stotram

ध्यानम् ।
शतमखमणि नीला चारुकल्हारहस्ता
स्तनभरनमितांगी सांद्रवात्सल्यसिंधुः ।
अलकविनिहिताभिः स्रग्भिराकृष्टनाथा
विलसतु हृदि गोदा विष्णुचित्तात्मजा नः ॥

अथ स्तोत्रम् ।
श्रीरंगनायकी गोदा विष्णुचित्तात्मजा सती ।
गोपीवेषधरा देवी भूसुता भोगशालिनी ॥ 1 ॥

तुलसीकाननोद्भूता श्रीधन्विपुरवासिनी ।
भट्टनाथप्रियकरी श्रीकृष्णहितभोगिनी ॥ 2 ॥

आमुक्तमाल्यदा बाला रंगनाथप्रिया परा ।
विश्वंभरा कलालापा यतिराजसहोदरी ॥ 3 ॥

कृष्णानुरक्ता सुभगा सुलभश्रीः सुलक्षणा ।
लक्ष्मीप्रियसखी श्यामा दयांचितदृगंचला ॥ 4 ॥

फल्गुन्याविर्भवा रम्या धनुर्मासकृतव्रता ।
चंपकाशोकपुन्नागमालतीविलसत्कचा ॥ 5 ॥

आकारत्रयसंपन्ना नारायणपदाश्रिता ।
श्रीमदष्टाक्षरीमंत्रराजस्थितमनोरथा ॥ 6 ॥

मोक्षप्रदाननिपुणा मनुरत्नाधिदेवता ।
ब्रह्मण्या लोकजननी लीलामानुषरूपिणी ॥ 7 ॥

ब्रह्मज्ञानप्रदा माया सच्चिदानंदविग्रहा ।
महापतिव्रता विष्णुगुणकीर्तनलोलुपा ॥ 8 ॥

प्रपन्नार्तिहरा नित्या वेदसौधविहारिणी ।
श्रीरंगनाथमाणिक्यमंजरी मंजुभाषिणी ॥ 9 ॥

पद्मप्रिया पद्महस्ता वेदांतद्वयबोधिनी ।
सुप्रसन्ना भगवती श्रीजनार्दनदीपिका ॥ 10 ॥

सुगंधावयवा चारुरंगमंगलदीपिका ।
ध्वजवज्रांकुशाब्जांकमृदुपादलतांचिता ॥ 11 ॥

तारकाकारनखरा प्रवालमृदुलांगुली ।
कूर्मोपमेयपादोर्ध्वभागा शोभनपार्ष्णिका ॥ 12 ॥

वेदार्थभावतत्त्वज्ञा लोकाराध्यांघ्रिपंकजा ।
आनंदबुद्बुदाकारसुगुल्फा परमाणुका ॥ 13 ॥

तेजःश्रियोज्ज्वलधृतपादांगुलिसुभूषिता ।
मीनकेतनतूणीरचारुजंघाविराजिता ॥ 14 ॥

ककुद्वज्जानुयुग्माढ्या स्वर्णरंभाभसक्थिका ।
विशालजघना पीनसुश्रोणी मणिमेखला ॥ 15 ॥

आनंदसागरावर्तगंभीरांभोजनाभिका ।
भास्वद्वलित्रिका चारुजगत्पूर्णमहोदरी ॥ 16 ॥

नववल्लीरोमराजी सुधाकुंभायितस्तनी ।
कल्पमालानिभभुजा चंद्रखंडनखांचिता ॥ 17 ॥

सुप्रवाशांगुलीन्यस्तमहारत्नांगुलीयका ।
नवारुणप्रवालाभपाणिदेशसमंचिता ॥ 18 ॥

कंबुकंठी सुचुबुका बिंबोष्ठी कुंददंतयुक् ।
कारुण्यरसनिष्यंदनेत्रद्वयसुशोभिता ॥ 19 ॥

मुक्ताशुचिस्मिता चारुचांपेयनिभनासिका ।
दर्पणाकारविपुलकपोलद्वितयांचिता ॥ 20 ॥

अनंतार्कप्रकाशोद्यन्मणिताटंकशोभिता ।
कोटिसूर्याग्निसंकाशनानाभूषणभूषिता ॥ 21 ॥

सुगंधवदना सुभ्रू अर्धचंद्रललाटिका ।
पूर्णचंद्रानना नीलकुटिलालकशोभिता ॥ 22 ॥

सौंदर्यसीमा विलसत्कस्तूरीतिलकोज्ज्वला ।
धगद्धगायमानोद्यन्मणिसीमंतभूषणा ॥ 23 ॥

जाज्वल्यमानसद्रत्नदिव्यचूडावतंसका ।
सूर्यार्धचंद्रविलसत् भूषणांचितवेणिका ॥ 24 ॥

अत्यर्कानलतेजोधिमणिकंचुकधारिणी ।
सद्रत्नांचितविद्योतविद्युत्कुंजाभशाटिका ॥ 25 ॥

नानामणिगणाकीर्णहेमांगदसुभूषिता ।
कुंकुमागरुकस्तूरीदिव्यचंदनचर्चिता ॥ 26 ॥

स्वोचितौज्ज्वल्यविविधविचित्रमणिहारिणी ।
असंख्येयसुखस्पर्शसर्वातिशयभूषणा ॥ 27 ॥

मल्लिकापारिजातादिदिव्यपुष्पस्रगंचिता ।
श्रीरंगनिलया पूज्या दिव्यदेशसुशोभिता ॥ 28 ॥

इति श्रीगोदाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् ।

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Goda Devi Ashtottar Shat Stotram || SS Bhakti

गोदा देवी अष्टोत्तर शत स्तोत्रम् पाठ के लाभ | Benefits of Goda Devi Ashtottar Shat Stotram

गोदा देवी अष्टोत्तर शत स्तोत्रम् के पाठ से अनेक लाभ होते हैं। इसके निम्न लाभ हैं:

  1. शुभ फलों की प्राप्ति: गोदा देवी अष्टोत्तर शत स्तोत्रम् का पाठ करने से शुभ फल प्राप्त होता है। यह श्लोक संग्रह व्यक्ति के जीवन में खुशी, सफलता, शांति, सुख, समृद्धि और सम्पन्नता आदि के लिए वरदान होता है।
  2. शरीर और मन को शुद्ध करना: गोदा देवी अष्टोत्तर शत स्तोत्रम् का पाठ करने से मानसिक चंचलता, तनाव और चिंताओं से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा, यह श्लोक संग्रह व्यक्ति के शरीर को भी शुद्ध करता है और उसे रोगों से बचाता है।
  3. संयम बढ़ाना: गोदा देवी अष्टोत्तर शत स्तोत्रम् का पाठ करने से व्यक्ति का संयम बढ़ता है|
  4. मानसिक शांति: गोदा देवी अष्टोत्तर शत स्तोत्रम् के पाठ से मन शांत होता है और तनाव कम होता है।
  5. संतुलित जीवन: गोदा देवी अष्टोत्तर शत स्तोत्रम् के पाठ से जीवन में संतुलितता आती है और अंतरंग शांति होती है।

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