मेधा सूक्तम् | Medha Suktam

मेधा सूक्त में, मेधा (धारणा शक्ति, ज्ञान, बुद्धि) को देवी के रूप में प्रार्थना की जाती है। मेधा सूक्त देवी सरस्वती की स्तुति में एक प्रसिद्ध मंत्र है क्योंकि मेधा देवी को देवी सरस्वती का एक रूप माना जाता है। मेधा सूक्त कम से कम दो संस्करणों में उपलब्ध है। इनमें से एक रूप में महानारायण उपनिषद के छह मंत्र हैं। यह उपनिषद कृष्ण यजुर्वेद के तैत्तिरीय आरण्यक का एक भाग है। दूसरे रूप में ऋग्वेद के खील सूक्त के नौ मंत्र हैं। एक तीसरा रूप भी है जिसमें अथर्ववेद के पाँच मंत्र हैं। ‘मेधा’ बुद्धि की एक विशेष शक्ति है। जो अन्तर्निहित ज्ञान को आत्मसात करता है और उचित समय पर उसे अभिव्यक्त भी करता है। इस पुण्य की प्राप्ति के लिए इन मन्त्रों में अग्नि, वरुण-देव, प्रजापति, इन्द्र, वायु, धाता आदि की प्रार्थना की गई है। इन मंत्रों को विधि-विधान से जपने से बुद्धि तेज होती है और उसमें पवित्रता का संचार होता है। इस सूक्त का एक मंत्र बहुत प्रसिद्ध है |

मेधा सूक्तम् स्तोत्र | Medha Suktam Stotra

तैत्तिरीयारण्यकम् – 4, प्रपाठकः – 10, अनुवाकः – 41-44

ॐ-यँश्छंद॑सामृष॒भो वि॒श्वरू॑पः । छंदो॒भ्योऽध्य॒मृता᳚थ्संब॒भूव॑ । स मेंद्रो॑ मे॒धया᳚ स्पृणोतु । अ॒मृत॑स्य देव॒धार॑णो भूयासम् । शरी॑रं मे॒ विच॑र्​षणम् । जि॒ह्वा मे॒ मधु॑मत्तमा । कर्णा᳚भ्यां॒ भूरि॒विश्रु॑वम् । ब्रह्म॑णः को॒शो॑ऽसि मे॒धया पि॑हितः । श्रु॒तं मे॑ गोपाय ॥

ॐ शांतिः॒ शांतिः॒ शांतिः॑ ॥

ॐ मे॒धादे॒वी जु॒षमा॑णा न॒ आगा᳚-द्वि॒श्वाची॑ भ॒द्रा सु॑मन॒स्य मा॑ना । त्वया॒ जुष्टा॑ नु॒दमा॑ना दु॒रुक्ता᳚न् बृ॒हद्व॑देम वि॒दथे॑ सु॒वीराः᳚ । त्वया॒ जुष्ट॑ ऋ॒षिर्भ॑वति देवि॒ त्वया॒ ब्रह्मा॑ऽऽग॒तश्री॑रु॒त त्वया᳚ । त्वया॒ जुष्ट॑श्चि॒त्रं-विँं॑दते वसु॒ सा नो॑ जुषस्व॒ द्रवि॑णो न मेधे ॥

मे॒धां म॒ इंद्रो॑ ददातु मे॒धां दे॒वी सर॑स्वती । मे॒धां मे॑ अ॒श्विना॑वु॒भा-वाध॑त्तां॒ पुष्क॑रस्रजा । अ॒प्स॒रासु॑ च॒ या मे॒धा गं॑ध॒र्वेषु॑ च॒ यन्मनः॑ । दैवीं᳚ मे॒धा सर॑स्वती॒ सा मां᳚ मे॒धा सु॒रभि॑-र्जुषता॒ग्॒ स्वाहा᳚ ॥

आमां᳚ मे॒धा सु॒रभि॑-र्वि॒श्वरू॑पा॒ हिर॑ण्यवर्णा॒ जग॑ती जग॒म्या । ऊर्ज॑स्वती॒ पय॑सा॒ पिन्व॑माना॒ सा मां᳚ मे॒धा सु॒प्रती॑का जुषंताम् ॥

मयि॑ मे॒धां मयि॑ प्र॒जां मय्य॒ग्नि-स्तेजो॑ दधातु॒,
मयि॑ मे॒धां मयि॑ प्र॒जां मयींद्र॑ इंद्रि॒यं द॑धातु॒,
मयि॑ मे॒धां मयि॑ प्र॒जां मयि॒ सूर्यो॒ भ्राजो॑ दधातु ॥

[ॐ हं॒स॒ हं॒साय॑ वि॒द्महे॑ परमहं॒साय॑ धीमहि । तन्नो॑ हंसः प्रचो॒दया᳚त् ॥ (हंसगायत्री)]

ॐ शांतिः॒ शांतिः॒ शांतिः॑ ॥

सुनें मेधा सूक्तम् | Listen Medha Suktam

Medha Suktam | Vedic Chant for Good Memory & Intelligence | Produced by Sri K. Suresh | The Ghanapati

मेधा सूक्तम् का अर्थ | Medha Suktam Meaning in Hindi

प्रसन्न होती हुई देवी मेधा और सुन्दर मनवाली कल्याणकारिणी देवी विश्वाची हमारे पास आयें । आपसे अनुगृहित तथा प्रेरित होते हुए हम असद्भाषीजनों से श्रेष्ठ वचन बोलें और महापराक्रमी बनें । हे देवि ! आपका कृपा-पात्र व्यक्ति ऋषि (मन्त्र-द्रष्टा) हो जाता है, वह ब्रह्न-ज्ञानी और श्री-सम्पन्न हो जाता है। आप जिस पर कृपा करती हैं, उसे अद्भुत सम्पत्ति प्राप्त हो जाती है। हे मेधे ! आप हम पर प्रसन्न होवो और हमें द्रव्य से सम्पन्न करें |
इन्द्र हमें मेधा प्रदान करें, देवी सरस्वती हमें मेधा-सम्पन्न करें, कमल की माला धारण करने वाले दोनों अश्विनीकुमार हमें मेधा-युक्त करें। अप्सराओं में जो मेधा प्राप्त होती है, गन्धर्वों के चित्त में जो मेधा प्रकाशित होती है, सुगन्ध की तरह व्यापिनी भगवती सरस्वती की वह दैवी मेधा-शक्ति मुझपर प्रसन्न हों ।
अनेक रुपों में प्रकट सुरभि-रुपिणी, स्वर्ण के समान तेजोमयी, जगत् में सर्व-व्यापिनी, ऊर्जा-मयी और सुन्दर चिह्नों से सुसज्जित देवी मेधा ज्ञानरुपी दुग्ध का पान कराती हुई मुझ पर प्रसन्न हों ॥ ३ ॥

मेधा सूक्तम् स्तोत्र के लाभ | Medha Suktam Stotra Ke Labh

इस प्रकार मेधा की वृद्धि की दृष्टि से इस ‘मेधा-सूक्त’ के मन्त्रों का बड़ा ही महत्त्व है । बुद्धि के मन्दता-रुपी दोष के निवारण के लिये इन मन्त्रों का पाठ बहुत उपयोगी सिद्ध होता है । कृष्ण-यजुर्वेदीय महानारायणोपनिषद् में भी एक मेधा-सूक्त प्राप्त होता है, उसमें भी मेधा-प्राप्ति की प्रार्थना है । मेधा सूक्तम मेधा के लिए एक प्रार्थना है – स्मरण शक्ति, एकाग्रता और बुद्धि। मेधा शक्ति विशेष रूप से सभी संभावित कोणों से देखते हुए बहुआयामी विषयों को बनाए रखने के लिए मस्तिष्क के कार्यों को प्रभावित करती है। सीखने के दौरान व्यक्ति विचलित या थकेगा नहीं और सीखे गए विषय को बनाए रखने में मदद करेगा।

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