श्री संतोषी माता चालीसा | Shri Santoshi Mata Chalisa
श्री संतोषी माता सनातन धर्म में एक देवी हैं जो भगवान शंकर तथा देवी पार्वती की पौत्री , उनके सबसे छोटे पुत्र भगवान गणेश और गणेश जी की पत्नी ऋद्धि , सिद्धि की पुत्री , कार्तिकेय , अशोकसुन्दरी , अय्यापा , ज्योति और मनसा की भतीजी और क्षेम , लाभ की बहन तथा संतोष की देवी हैं। इनका दिवस शुक्रवार माना गया है। इन्हें खीर तथा गुड़ चने का प्रसाद चढ़ाया जाता है। संतोषी माता की चालीसा का पाठ जो व्यक्ति करेगा उसको संतोषी माँ सुख सौभाग्य में वृद्धि करतीं हैं। Shri Santoshi Mata Chalisa पढ़ने से सिद्धि-बुद्धि,धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है।संतोषी माँ का भक्त पद प्रतिष्ठा और जीवन में तरक़्क़ी करता है।
श्री संतोषी माता चालीसा | Shri Santoshi Mata Chalisa
॥ दोहा ॥
बन्दौं सन्तोषी चरण रिद्धि-सिद्धि दातार ।
ध्यान धरत ही होत नर दुःख सागर से पार ॥
भक्तन को सन्तोष दे सन्तोषी तव नाम ।
कृपा करहु जगदम्ब अब आया तेरे धाम ॥
॥ चौपाई ॥
जय सन्तोषी मात अनूपम ।
शान्ति दायिनी रूप मनोरम ॥
सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा ।
वेश मनोहर ललित अनुपा ॥
श्वेताम्बर रूप मनहारी ।
माँ तुम्हारी छवि जग से न्यारी ॥
दिव्य स्वरूपा आयत लोचन ।
दर्शन से हो संकट मोचन ॥ 4 ॥
जय गणेश की सुता भवानी ।
रिद्धि- सिद्धि की पुत्री ज्ञानी ॥
अगम अगोचर तुम्हरी माया ।
सब पर करो कृपा की छाया ॥
नाम अनेक तुम्हारे माता ।
अखिल विश्व है तुमको ध्याता ॥
तुमने रूप अनेकों धारे ।
को कहि सके चरित्र तुम्हारे ॥ 8 ॥
धाम अनेक कहाँ तक कहिये ।
सुमिरन तब करके सुख लहिये ॥
विन्ध्याचल में विन्ध्यवासिनी ।
कोटेश्वर सरस्वती सुहासिनी ॥
कलकत्ते में तू ही काली ।
दुष्ट नाशिनी महाकराली ॥
सम्बल पुर बहुचरा कहाती ।
भक्तजनों का दुःख मिटाती ॥ 12 ॥
ज्वाला जी में ज्वाला देवी ।
पूजत नित्य भक्त जन सेवी ॥
नगर बम्बई की महारानी ।
महा लक्ष्मी तुम कल्याणी ॥
मदुरा में मीनाक्षी तुम हो ।
सुख दुख सबकी साक्षी तुम हो ॥
राजनगर में तुम जगदम्बे ।
बनी भद्रकाली तुम अम्बे ॥ 16 ॥
पावागढ़ में दुर्गा माता ।
अखिल विश्व तेरा यश गाता ॥
काशी पुराधीश्वरी माता ।
अन्नपूर्णा नाम सुहाता ॥
सर्वानन्द करो कल्याणी ।
तुम्हीं शारदा अमृत वाणी ॥
तुम्हरी महिमा जल में थल में ।
दुःख दारिद्र सब मेटो पल में ॥ 20 ॥
जेते ऋषि और मुनीशा ।
नारद देव और देवेशा ।
इस जगती के नर और नारी ।
ध्यान धरत हैं मात तुम्हारी ॥
जापर कृपा तुम्हारी होती ।
वह पाता भक्ति का मोती ॥
दुःख दारिद्र संकट मिट जाता ।
ध्यान तुम्हारा जो जन ध्याता ॥ 24 ॥
जो जन तुम्हरी महिमा गावै ।
ध्यान तुम्हारा कर सुख पावै ॥
जो मन राखे शुद्ध भावना ।
ताकी पूरण करो कामना ॥
कुमति निवारि सुमति की दात्री ।
जयति जयति माता जगधात्री ॥
शुक्रवार का दिवस सुहावन ।
जो व्रत करे तुम्हारा पावन ॥ 28 ॥
गुड़ छोले का भोग लगावै ।
कथा तुम्हारी सुने सुनावै ॥
विधिवत पूजा करे तुम्हारी ।
फिर प्रसाद पावे शुभकारी ॥
शक्ति-सामरथ हो जो धनको ।
दान-दक्षिणा दे विप्रन को ॥
वे जगती के नर औ नारी ।
मनवांछित फल पावें भारी ॥ 32 ॥
जो जन शरण तुम्हारी जावे ।
सो निश्चय भव से तर जावे ॥
तुम्हरो ध्यान कुमारी ध्यावे ।
निश्चय मनवांछित वर पावै ॥
सधवा पूजा करे तुम्हारी ।
अमर सुहागिन हो वह नारी ॥
विधवा धर के ध्यान तुम्हारा ।
भवसागर से उतरे पारा ॥ 36 ॥
जयति जयति जय संकट हरणी ।
विघ्न विनाशन मंगल करनी ॥
हम पर संकट है अति भारी ।
वेगि खबर लो मात हमारी ॥
निशिदिन ध्यान तुम्हारो ध्याता ।
देह भक्ति वर हम को माता ॥
यह चालीसा जो नित गावे ।
सो भवसागर से तर जावे ॥ 40 ॥
॥ दोहा ॥
संतोषी माँ के सदा बंदहूँ पग निश वास ।
पूर्ण मनोरथ हो सकल मात हरौ भव त्रास ॥
॥ इति श्री संतोषी माता चालीसा ॥
संतोषी मां की कृपा बनाए रखने के लिए संतोषी माता चालीसा बहुत लाभदायी है. इससे जीवन की हर परेशानी दूर हो सकती है. इतना ही नहीं, भक्तों में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। आइये जानते हैं कि मानसिक शक्तियों व सकारात्मक ऊर्जा पाने के लिए संतोषी माता चालीसा पाठ की विधि जो इस प्रकार है :-
- सूर्योदय से पहले उठकर सबसे पहले घर की सफाई करें और नित्यक्रिया तथा स्नान आदि से निवृत होकर घर के मंदिर माता संतोषी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें तथा उनके सामने कलश रखें |
- संतोषी माता को गुड़ व चने का भोग लगाना सबसे उत्तम माना गया है अन्यथा आप अच्छी भावना के साथ कुछ भी मीठा भोग लगा सकते हैं |
- कलश के ऊपर कटोरी में गुड़ व चना रखकर सामने घी का दीपक जलाएं | माता को यथाशक्ति रोली, अक्षत, फूल, नारियल, लाल वस्त्र या चुनरी आदि अर्पित करें |
- अब चालीसा का पाठ प्रारंभ करें |
- चालीसा पाठ तथा अन्य पूजा के बाद माँ को भोग लगाकर, प्रसाद ग्रहण करें |
यदि आप संतोषी माता चालीसा व् पूजन विधि की विस्तृत जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके पुस्तक जरुर पढ़ें:-
संतोषी माता पूजन हवन पद्धति हिंदी पुस्तक
श्री संतोषी माता चालीसा पाठ के लिए सावधानियां | Shri Santoshi Mata Chalisa Path ke lie Savdhaniyan
शास्त्रों और पुराणों में पूजा करने के दौरान कुछ नियमों के पालन करने के बारे में बताए गया है, श्री संतोषी माता चालीसा का पाठ करते समय जरूर ध्यान में रखना चाहिए। आइए जानते हैं कि चालीसा का पाठ करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए…..
- इस दिन व्रत करने वाले जातकों को खट्टी चीज न ही स्पर्श करनी चाहिए और न ही खानी।
- दुर्गा चालीसा का पाठ करते समय मन में किसी प्रकार की बुरे विचार नहीं आने चाहिए |
- शास्त्रों के अनुसार, जप करते समय हमेशा दाहिने हाथ को कपड़े से या फिर गौमुखी से ढककर रखना चाहिए। जप के बाद आसन के नीचे की भूमि को स्पर्श कर पूजना चाहिए।
- हमेशा ध्यान रखें कि दीपक को कभी भी दीपक से नहीं जलाना चाहिए। दीपक को हमेशा माचिस या फिर किसी अन्य चीज से प्रज्वलित करना चाहिए।
- बिना सिर ढके भी पूजा नहीं करनी चाहिए। पूजा के दौरान सिर ढकना भगवान के प्रति श्रद्धाभाव को दर्शाता है. पूजा के दौरान सिर ढकने के धार्मिक के साथ वैज्ञानिक कारण भी बताए गए हैं. इसलिए स्त्री हो या पुरुष सिर ढककर ही पूजा, पाठ करें।
- पूजा करते समय आपका मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए. पूजा के दौरान जलाए गए घी के दीपक को बाईं ओर रखना चाहिए.