सरस्वती अष्टोत्तर शत नामावलि | Saraswati Ashtottara Shat Namavali


सरस्वती अष्टोत्तर शतनामावलि एक प्रमुख पौराणिक मंत्र है जिसमें भगवान सरस्वती के 108 नामों का संग्रह है। यह नामावलि सरस्वती की पूजा, ध्यान और उपासना में प्रयोग की जाती है और भक्तों को उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में सहायता करती है। इसका पाठ विशेष रूप से विद्यार्थी और कला-संबंधित क्षेत्रों में रुचि रखने वाले लोगों द्वारा किया जाता है।

सरस्वती अष्टोत्तर शत नामावलि | Saraswati Ashtottara Shat Namavali

ॐ श्री सरस्वत्यै नमः
ॐ महाभद्रायै नमः
ॐ महामायायै नमः
ॐ वरप्रदायै नमः
ॐ श्रीप्रदायै नमः
ॐ पद्मनिलयायै नमः
ॐ पद्माक्ष्यै नमः
ॐ पद्मवक्त्रिकायै नमः
ॐ शिवानुजायै नमः
ॐ पुस्तकहस्तायै नमः (10)

ॐ ज्ञानमुद्रायै नमः
ॐ रमायै नमः
ॐ कामरूपायै नमः
ॐ महाविद्यायै नमः
ॐ महापातक नाशिन्यै नमः
ॐ महाश्रयायै नमः
ॐ मालिन्यै नमः
ॐ महाभोगायै नमः
ॐ महाभुजायै नमः
ॐ महाभागायै नमः (20)

ॐ महोत्साहायै नमः
ॐ दिव्यांगायै नमः
ॐ सुरवंदितायै नमः
ॐ महाकाल्यै नमः
ॐ महापाशायै नमः
ॐ महाकारायै नमः
ॐ महांकुशायै नमः
ॐ सीतायै नमः
ॐ विमलायै नमः
ॐ विश्वायै नमः (30)

ॐ विद्युन्मालायै नमः
ॐ वैष्णव्यै नमः
ॐ चंद्रिकायै नमः
ॐ चंद्रलेखाविभूषितायै नमः
ॐ महाफलायै नमः
ॐ सावित्र्यै नमः
ॐ सुरसायै नमः
ॐ देव्यै नमः
ॐ दिव्यालंकार भूषितायै नमः
ॐ वाग्देव्यै नमः (40)

ॐ वसुधायै नमः
ॐ तीव्रायै नमः
ॐ महाभद्रायै नमः
ॐ महाबलायै नमः
ॐ भोगदायै नमः
ॐ भारत्यै नमः
ॐ भामायै नमः
ॐ गोमत्यै नमः
ॐ जटिलायै नमः
ॐ विंध्यावासायै नमः (50)

ॐ चंडिकायै नमः
ॐ सुभद्रायै नमः
ॐ सुरपूजितायै नमः
ॐ विनिद्रायै नमः
ॐ वैष्णव्यै नमः
ॐ ब्राह्म्यै नमः
ॐ ब्रह्मज्ञानैकसाधनायै नमः
ॐ सौदामिन्यै नमः
ॐ सुधामूर्तये नमः
ॐ सुवीणायै नमः (60)

ॐ सुवासिन्यै नमः
ॐ विद्यारूपायै नमः
ॐ ब्रह्मजायायै नमः
ॐ विशालायै नमः
ॐ पद्मलोचनायै नमः
ॐ शुंभासुर प्रमथिन्यै नमः
ॐ धूम्रलोचन मर्दिन्यै नमः
ॐ सर्वात्मिकायै नमः
ॐ त्रयीमूर्त्यै नमः
ॐ शुभदायै नमः (70)

ॐ शास्त्ररूपिण्यै नमः
ॐ सर्वदेवस्तुतायै नमः
ॐ सौम्यायै नमः
ॐ सुरासुर नमस्कृतायै नमः
ॐ रक्तबीज निहंत्र्यै नमः
ॐ चामुंडायै नमः
ॐ मुंडकांबिकायै नमः
ॐ कालरात्र्यै नमः
ॐ प्रहरणायै नमः
ॐ कलाधारायै नमः (80)

ॐ निरंजनायै नमः
ॐ वरारोहायै नमः
ॐ वाग्देव्यै नमः
ॐ वाराह्यै नमः
ॐ वारिजासनायै नमः
ॐ चित्रांबरायै नमः
ॐ चित्रगंधायै नमः
ॐ चित्रमाल्य विभूषितायै नमः
ॐ कांतायै नमः
ॐ कामप्रदायै नमः (90)

ॐ वंद्यायै नमः
ॐ रूपसौभाग्यदायिन्यै नमः
ॐ श्वेताननायै नमः
ॐ रक्त मध्यायै नमः
ॐ द्विभुजायै नमः
ॐ सुरपूजितायै नमः
ॐ निरंजनायै नमः
ॐ नीलजंघायै नमः
ॐ चतुर्वर्गफलप्रदायै नमः
ॐ चतुरानन साम्राज्ज्यै नमः (100)

ॐ ब्रह्मविष्णु शिवात्मिकायै नमः
ॐ हंसासनायै नमः
ॐ महाविद्यायै नमः
ॐ मंत्रविद्यायै नमः
ॐ सरस्वत्यै नमः
ॐ महासरस्वत्यै नमः
ॐ विद्यायै नमः
ॐ ज्ञानैकतत्परायै नमः (108)

इति श्रीसरस्वत्यष्टोत्तरशतनामावलिः समाप्ता ॥

सुने सरस्वती अष्टोत्तर शत नामावलि | Listen Saraswati Ashtottara Shat Namavali

सरस्वती अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् Sri Saraswati Ashtottar Shatnam-Hindi(Easy Recitation Series)

सरस्वती अष्टोत्तर शत नामावलि के लाभ | Benefits of Saraswati Ashtottara Shat Namavali

  1. सरस्वती: सरस्वती का अर्थ होता है “ज्ञान की देवी”।
  2. वागीश्वरी: जिसकी वाणी पर जगती बसती है।
  3. ज्ञानमाता: सबके लिए ज्ञान की माता होने के कारण।
  4. विद्या दायिनी: जो विद्या की प्रदान करने वाली है।
  5. सरस्वती जय: सरस्वती की जय करने वाली देवी होने के कारण।
  6. ज्ञानदा: ज्ञान की देने वाली।
  7. शारदा: जो शारदा नदी के समान तेजस्वी है।
  8. ज्ञानशक्ति: जो ज्ञान की शक्ति प्रदान करती है।
  9. विज्ञानमयी: जिसकी धर्म है विज्ञान और ज्ञान।
  10. मातृरूपिणी: जो माता के समान संवारती है।
  11. शारदा प्रिया: जो शारदा (सरस्वती) की प्रिय हैं।
  12. श्रुतिविद्या: जो वेदों की विद्या को जानती हैं।
  13. ब्रह्मविद्या: जो ब्रह्म की विद्या को प्रदान करती हैं।
  14. देवी सरस्वती: जो देवी के रूप में हैं।
  15. जगतीश्वरी: जगत की ईश्वरी होने के कारण।
  16. ब्रह्माणी: ब्रह्मा की पत्नी रूपी हैं।
  17. वीणा वादिनी: जो वीणा बजाने वाली हैं।
  18. वागवादिनी: जो वाणी के माध्यम से बोलती हैं।
  19. सर्वज्ञा: जो सबको ज्ञान रखती हैं।

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