सरस्वती कवचम् | Saraswati Kavacham

सरस्वती कवच (Saraswati Kavach) एक पौराणिक मंत्र है जिसे सरस्वती देवी की कृपा प्राप्ति, ज्ञान, बुद्धि, वाणी और विद्या की रक्षा के लिए प्रयोग किया जाता है। यह कवच उन लोगों के लिए उपयोगी होता है जो शिक्षा, कला और ज्ञान के क्षेत्र में अपनी योग्यता और सफलता को बढ़ाना चाहते हैं।
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सरस्वती कवचम् | Saraswati Kavacham
(ब्रह्मवैवर्त महापुराणांतर्गतं)
भृगुरुवाच ।
ब्रह्मन्ब्रह्मविदांश्रेष्ठ ब्रह्मज्ञानविशारद ।
सर्वज्ञ सर्वजनक सर्वपूजकपूजित ॥ 60
सरस्वत्याश्च कवचं ब्रूहि विश्वजयं प्रभो ।
अयातयाममंत्राणां समूहो यत्र संयुतः ॥ 61 ॥
ब्रह्मोवाच ।
शृणु वत्स प्रवक्ष्यामि कवचं सर्वकामदम् ।
श्रुतिसारं श्रुतिसुखं श्रुत्युक्तं श्रुतिपूजितम् ॥ 62 ॥
उक्तं कृष्णेन गोलोके मह्यं वृंदावने वने ।
रासेश्वरेण विभुना रासे वै रासमंडले ॥ 63 ॥
अतीव गोपनीयंच कल्पवृक्षसमं परम् ।
अश्रुताद्भुतमंत्राणां समूहैश्च समन्वितम् ॥ 64 ॥
यद्धृत्वा पठनाद्ब्रह्मन्बुद्धिमांश्च बृहस्पतिः ।
यद्धृत्वा भगवांछुक्रः सर्वदैत्येषु पूजितः ॥ 65 ॥
पठनाद्धारणाद्वाग्मी कवींद्रो वाल्मिकी मुनिः ।
स्वायंभुवो मनुश्चैव यद्धृत्वा सर्वपूजिताः ॥ 66 ॥
कणादो गौतमः कण्वः पाणिनिः शाकटायनः ।
ग्रंथं चकार यद्धृत्वा दक्षः कात्यायनः स्वयम् ॥ 67 ॥
धृत्वा वेदविभागंच पुराणान्यखिलानि च ।
चकार लीलामात्रेण कृष्णद्वैपायनः स्वयम् ॥ 68 ॥
शातातपश्च संवर्तो वसिष्ठश्च पराशरः ।
यद्धृत्वा पठनाद्ग्रंथं याज्ञवल्क्यश्चकार सः ॥ 69 ॥
ऋष्यशृंगो भरद्वाजश्चास्तीको देवलस्तथा ।
जैगीषव्योऽथ जाबालिर्यद्धृत्वा सर्वपूजितः ॥ 70 ॥
कवचस्यास्य विप्रेंद्र ऋषिरेष प्रजापतिः ।
स्वयं बृहस्पतिश्छंदो देवो रासेश्वरः प्रभुः ॥ 71 ॥
सर्वतत्त्वपरिज्ञाने सर्वार्थेऽपि च साधने ।
कवितासु च सर्वासु विनियोगः प्रकीर्तितः ॥ 72 ॥
( कवचं )
ॐ ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा शिरो मे पातु सर्वतः ।
श्रीं वाग्देवतायै स्वाहा भालं मे सर्वदाऽवतु ॥ 73 ॥
ॐ सरस्वत्यै स्वाहेति श्रोत्रं पातु निरंतरम् ।
ॐ श्रीं ह्रीं भारत्यै स्वाहा नेत्रयुग्मं सदाऽवतु ॥ 74 ॥
ॐ ह्रीं वाग्वादिन्यै स्वाहा नासां मे सर्वतोऽवतु ।
ह्रीं विद्याधिष्ठातृदेव्यै स्वाहा श्रोत्रं सदाऽवतु ॥ 75 ॥
ॐ श्रीं ह्रीं ब्राह्म्यै स्वाहेति दंतपंक्तीः सदाऽवतु ।
ऐमित्येकाक्षरो मंत्रो मम कंठं सदाऽवतु ॥ 76 ॥
ॐ श्रीं ह्रीं पातु मे ग्रीवां स्कंधं मे श्रीं सदाऽवतु ।
श्रीं विद्याधिष्ठातृदेव्यै स्वाहा वक्षः सदाऽवतु ॥ 77 ॥
ॐ ह्रीं विद्यास्वरूपायै स्वाहा मे पातु नाभिकाम् ।
ॐ ह्रीं ह्रीं वाण्यै स्वाहेति मम पृष्ठं सदाऽवतु ॥ 78 ॥
ॐ सर्ववर्णात्मिकायै पादयुग्मं सदाऽवतु ।
ॐ रागाधिष्ठातृदेव्यै सर्वांगं मे सदाऽवतु ॥ 79 ॥
ॐ सर्वकंठवासिन्यै स्वाहा प्रच्यां सदाऽवतु ।
ॐ ह्रीं जिह्वाग्रवासिन्यै स्वाहाऽग्निदिशि रक्षतु ॥ 80 ॥
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं सरस्वत्यै बुधजनन्यै स्वाहा ।
सततं मंत्रराजोऽयं दक्षिणे मां सदाऽवतु ॥ 81 ॥
ॐ ह्रीं श्रीं त्र्यक्षरो मंत्रो नैरृत्यां मे सदाऽवतु ।
कविजिह्वाग्रवासिन्यै स्वाहा मां वारुणेऽवतु ॥ 82 ॥
ॐ सदंबिकायै स्वाहा वायव्ये मां सदाऽवतु ।
ॐ गद्यपद्यवासिन्यै स्वाहा मामुत्तरेऽवतु ॥ 83 ॥
ॐ सर्वशास्त्रवासिन्यै स्वाहैशान्यां सदाऽवतु ।
ॐ ह्रीं सर्वपूजितायै स्वाहा चोर्ध्वं सदाऽवतु ॥ 84 ॥
ऐं ह्रीं पुस्तकवासिन्यै स्वाहाऽधो मां सदावतु ।
ॐ ग्रंथबीजरूपायै स्वाहा मां सर्वतोऽवतु ॥ 85 ॥
इति ते कथितं विप्र सर्वमंत्रौघविग्रहम् ।
इदं विश्वजयं नाम कवचं ब्रह्मारूपकम् ॥ 86 ॥
पुरा श्रुतं धर्मवक्त्रात्पर्वते गंधमादने ।
तव स्नेहान्मयाऽऽख्यातं प्रवक्तव्यं न कस्यचित् ॥ 87 ॥
गुरुमभ्यर्च्य विधिवद्वस्त्रालंकारचंदनैः ।
प्रणम्य दंडवद्भूमौ कवचं धारयेत्सुधीः ॥ 88 ॥
पंचलक्षजपेनैव सिद्धं तु कवचं भवेत् ।
यदि स्यात्सिद्धकवचो बृहस्पति समो भवेत् ॥ 89 ॥
महावाग्मी कवींद्रश्च त्रैलोक्यविजयी भवेत् ।
शक्नोति सर्वं जेतुं स कवचस्य प्रभावतः ॥ 90 ॥
इदं ते काण्वशाखोक्तं कथितं कवचं मुने ।
स्तोत्रं पूजाविधानं च ध्यानं वै वंदनं तथा ॥ 91 ॥
इति श्री ब्रह्मवैवर्ते महापुराणे प्रकृतिखंडे नारदनारायणसंवादे सरस्वतीकवचं नाम चतुर्थोऽध्यायः ।
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सरस्वती कवचम् के लाभ | Benefits of Saraswati Kavacham
- ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति: सरस्वती कवच का पाठ ज्ञान और बुद्धि को बढ़ाने में मदद करता है। यह आपको समझ, अवधारणा और ज्ञान की दृष्टि में स्थिरता प्रदान कर सकता है।
- शिक्षा और पढ़ाई में सफलता: सरस्वती कवच के पाठ से शिक्षा और पढ़ाई में सफलता मिल सकती है। यह आपके अध्ययन को समृद्ध करके आपकी शिक्षा क्षेत्र में सफलता का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
- वाणी और कला की विकास: सरस्वती कवच वाणी और कला के क्षेत्र में आपके कौशल को प्रशस्त करने में सहायता कर सकता है। यह आपको संगीत, कविता, वाणिज्यिक भाषण और अन्य कलात्मक क्षेत्रों में माहिर बना सकता है।
- बुद्धि की रक्षा: सरस्वती कवच का पाठ बुद्धि की रक्षा कर सकता है और आपको नकारात्मक शक्तियों और विघ्नों से बचा सकता है। यह आपको दृढ़ता, संयम और निर्णय लेने में मदद कर सकता है।
