श्री देवी खड्गमाला स्तोत्रम् | Shri Devi Khadgamala Stotram

श्री देवी खड्गमाला स्तोत्रम्, जो देवी भगवती के श्रीचक्र के विषय में है, एक प्रसिद्ध स्तोत्र है। यह स्तोत्र देवी भगवती की महिमा, आराधना, शक्तियाँ और उनके संपूर्ण स्वरूप की महानता को प्रशंसा करता है। यह स्तोत्र पठने वाले को ध्यान और मन को स्थिर और समाधान करने, शान्ति और सुख की प्राप्ति करने में मदद करता है। इसका उच्चारण और सुनना देवी भगवती की कृपा को प्राप्त करने में मदद करता है।
श्री देवी खड्गमाला स्तोत्रम् | Shri Devi Khadgamala Stotram
श्री देवी प्रार्थन
ह्रींकारासनगर्भितानलशिखां सौः क्लीं कलां बिभ्रतीं
सौवर्णांबरधारिणीं वरसुधाधौतां त्रिनेत्रोज्ज्वलाम् ।
वंदे पुस्तकपाशमंकुशधरां स्रग्भूषितामुज्ज्वलां
त्वां गौरीं त्रिपुरां परात्परकलां श्रीचक्रसंचारिणीम् ॥
अस्य श्री शुद्धशक्तिमालामहामंत्रस्य, उपस्थेंद्रियाधिष्ठायी वरुणादित्य ऋषयः देवी गायत्री छंदः सात्विक ककारभट्टारकपीठस्थित कामेश्वरांकनिलया महाकामेश्वरी श्री ललिता भट्टारिका देवता, ऐं बीजं क्लीं शक्तिः, सौः कीलकं मम खड्गसिद्ध्यर्थे सर्वाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः, मूलमंत्रेण षडंगन्यासं कुर्यात् ।
ध्यानम्
आरक्ताभांत्रिणेत्रामरुणिमवसनां रत्नताटंकरम्याम्
हस्तांभोजैस्सपाशांकुशमदनधनुस्सायकैर्विस्फुरंतीम् ।
आपीनोत्तुंगवक्षोरुहकलशलुठत्तारहारोज्ज्वलांगीं
ध्यायेदंभोरुहस्थामरुणिमवसनामीश्वरीमीश्वराणाम् ॥
लमित्यादिपंच पूजां कुर्यात्, यथाशक्ति मूलमंत्रं जपेत् ।
लं – पृथिवीतत्त्वात्मिकायै श्री ललितात्रिपुरसुंदरी पराभट्टारिकायै गंधं परिकल्पयामि – नमः
हं – आकाशतत्त्वात्मिकायै श्री ललितात्रिपुरसुंदरी पराभट्टारिकायै पुष्पं परिकल्पयामि – नमः
यं – वायुतत्त्वात्मिकायै श्री ललितात्रिपुरसुंदरी पराभट्टारिकायै धूपं परिकल्पयामि – नमः
रं – तेजस्तत्त्वात्मिकायै श्री ललितात्रिपुरसुंदरी पराभट्टारिकायै दीपं परिकल्पयामि – नमः
वं – अमृततत्त्वात्मिकायै श्री ललितात्रिपुरसुंदरी पराभट्टारिकायै अमृतनैवेद्यं परिकल्पयामि – नमः
सं – सर्वतत्त्वात्मिकायै श्री ललितात्रिपुरसुंदरी पराभट्टारिकायै तांबूलादिसर्वोपचारान् परिकल्पयामि – नमः
श्री देवी संबोधनं (1)
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ऐं क्लीं सौः ॐ नमस्त्रिपुरसुंदरी,
न्यासांगदेवताः (6)
हृदयदेवी, शिरोदेवी, शिखादेवी, कवचदेवी, नेत्रदेवी, अस्त्रदेवी,
तिथिनित्यादेवताः (16)
कामेश्वरी, भगमालिनी, नित्यक्लिन्ने, भेरुंडे, वह्निवासिनी, महावज्रेश्वरी, शिवदूती, त्वरिते, कुलसुंदरी, नित्ये, नीलपताके, विजये, सर्वमंगले, ज्वालामालिनी, चित्रे, महानित्ये,
दिव्यौघगुरवः (7)
परमेश्वर, परमेश्वरी, मित्रेशमयी, उड्डीशमयी, चर्यानाथमयी, लोपामुद्रमयी, अगस्त्यमयी,
सिद्धौघगुरवः (4)
कालतापशमयी, धर्माचार्यमयी, मुक्तकेशीश्वरमयी, दीपकलानाथमयी,
मानवौघगुरवः (8)
विष्णुदेवमयी, प्रभाकरदेवमयी, तेजोदेवमयी, मनोजदेवमयि, कल्याणदेवमयी, वासुदेवमयी, रत्नदेवमयी, श्रीरामानंदमयी,
श्रीचक्र प्रथमावरणदेवताः
अणिमासिद्धे, लघिमासिद्धे, गरिमासिद्धे, महिमासिद्धे, ईशित्वसिद्धे, वशित्वसिद्धे, प्राकाम्यसिद्धे, भुक्तिसिद्धे, इच्छासिद्धे, प्राप्तिसिद्धे, सर्वकामसिद्धे, ब्राह्मी, माहेश्वरी, कौमारि, वैष्णवी, वाराही, माहेंद्री, चामुंडे, महालक्ष्मी, सर्वसंक्षोभिणी, सर्वविद्राविणी, सर्वाकर्षिणी, सर्ववशंकरी, सर्वोन्मादिनी, सर्वमहांकुशे, सर्वखेचरी, सर्वबीजे, सर्वयोने, सर्वत्रिखंडे, त्रैलोक्यमोहन चक्रस्वामिनी, प्रकटयोगिनी,
श्रीचक्र द्वितीयावरणदेवताः
कामाकर्षिणी, बुद्ध्याकर्षिणी, अहंकाराकर्षिणी, शब्दाकर्षिणी, स्पर्शाकर्षिणी, रूपाकर्षिणी, रसाकर्षिणी, गंधाकर्षिणी, चित्ताकर्षिणी, धैर्याकर्षिणी, स्मृत्याकर्षिणी, नामाकर्षिणी, बीजाकर्षिणी, आत्माकर्षिणी, अमृताकर्षिणी, शरीराकर्षिणी, सर्वाशापरिपूरक चक्रस्वामिनी, गुप्तयोगिनी,
श्रीचक्र तृतीयावरणदेवताः
अनंगकुसुमे, अनंगमेखले, अनंगमदने, अनंगमदनातुरे, अनंगरेखे, अनंगवेगिनी, अनंगांकुशे, अनंगमालिनी, सर्वसंक्षोभणचक्रस्वामिनी, गुप्ततरयोगिनी,
श्रीचक्र चतुर्थावरणदेवताः
सर्वसंक्षोभिणी, सर्वविद्राविनी, सर्वाकर्षिणी, सर्वह्लादिनी, सर्वसम्मोहिनी, सर्वस्तंभिनी, सर्वजृंभिणी, सर्ववशंकरी, सर्वरंजनी, सर्वोन्मादिनी, सर्वार्थसाधिके, सर्वसंपत्तिपूरिणी, सर्वमंत्रमयी, सर्वद्वंद्वक्षयंकरी, सर्वसौभाग्यदायक चक्रस्वामिनी, संप्रदाययोगिनी,
श्रीचक्र पंचमावरणदेवताः
सर्वसिद्धिप्रदे, सर्वसंपत्प्रदे, सर्वप्रियंकरी, सर्वमंगलकारिणी, सर्वकामप्रदे, सर्वदुःखविमोचनी, सर्वमृत्युप्रशमनि, सर्वविघ्ननिवारिणी, सर्वांगसुंदरी, सर्वसौभाग्यदायिनी, सर्वार्थसाधक चक्रस्वामिनी, कुलोत्तीर्णयोगिनी,
श्रीचक्र षष्टावरणदेवताः
सर्वज्ञे, सर्वशक्ते, सर्वैश्वर्यप्रदायिनी, सर्वज्ञानमयी, सर्वव्याधिविनाशिनी, सर्वाधारस्वरूपे, सर्वपापहरे, सर्वानंदमयी, सर्वरक्षास्वरूपिणी, सर्वेप्सितफलप्रदे, सर्वरक्षाकरचक्रस्वामिनी, निगर्भयोगिनी,
श्रीचक्र सप्तमावरणदेवताः
वशिनी, कामेश्वरी, मोदिनी, विमले, अरुणे, जयिनी, सर्वेश्वरी, कौलिनि, सर्वरोगहरचक्रस्वामिनी, रहस्ययोगिनी,
श्रीचक्र अष्टमावरणदेवताः
बाणिनी, चापिनी, पाशिनी, अंकुशिनी, महाकामेश्वरी, महावज्रेश्वरी, महाभगमालिनी, सर्वसिद्धिप्रदचक्रस्वामिनी, अतिरहस्ययोगिनी,
श्रीचक्र नवमावरणदेवताः
श्री श्री महाभट्टारिके, सर्वानंदमयचक्रस्वामिनी, परापररहस्ययोगिनी,
नवचक्रेश्वरी नामानि
त्रिपुरे, त्रिपुरेशी, त्रिपुरसुंदरी, त्रिपुरवासिनी, त्रिपुराश्रीः, त्रिपुरमालिनी, त्रिपुरसिद्धे, त्रिपुरांबा, महात्रिपुरसुंदरी,
श्रीदेवी विशेषणानि – नमस्कारनवाक्षरीच
महामहेश्वरी, महामहाराज्ञी, महामहाशक्ते, महामहागुप्ते, महामहाज्ञप्ते, महामहानंदे, महामहास्कंधे, महामहाशये, महामहा श्रीचक्रनगरसाम्राज्ञी, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमः ।
फलश्रुतिः
एषा विद्या महासिद्धिदायिनी स्मृतिमात्रतः ।
अग्निवातमहाक्षोभे राजाराष्ट्रस्यविप्लवे ॥
लुंठने तस्करभये संग्रामे सलिलप्लवे ।
समुद्रयानविक्षोभे भूतप्रेतादिके भये ॥
अपस्मारज्वरव्याधिमृत्युक्षामादिजेभये ।
शाकिनी पूतनायक्षरक्षःकूष्मांडजे भये ॥
मित्रभेदे ग्रहभये व्यसनेष्वाभिचारिके ।
अन्येष्वपि च दोषेषु मालामंत्रं स्मरेन्नरः ॥
तादृशं खड्गमाप्नोति येन हस्तस्थितेनवै ।
अष्टादशमहाद्वीपसम्राड्भोक्ताभविष्यति ॥
सर्वोपद्रवनिर्मुक्तस्साक्षाच्छिवमयोभवेत् ।
आपत्काले नित्यपूजां विस्तारात्कर्तुमारभेत् ॥
एकवारं जपध्यानं सर्वपूजाफलं लभेत् ।
नवावरणदेवीनां ललिताया महौजनः ॥
एकत्र गणनारूपो वेदवेदांगगोचरः ।
सर्वागमरहस्यार्थः स्मरणात्पापनाशिनी ॥
ललितायामहेशान्या माला विद्या महीयसी ।
नरवश्यं नरेंद्राणां वश्यं नारीवशंकरम् ॥
अणिमादिगुणैश्वर्यं रंजनं पापभंजनम् ।
तत्तदावरणस्थायि देवताबृंदमंत्रकम् ॥
मालामंत्रं परं गुह्यं परं धाम प्रकीर्तितम् ।
शक्तिमाला पंचधास्याच्छिवमाला च तादृशी ॥
तस्माद्गोप्यतराद्गोप्यं रहस्यं भुक्तिमुक्तिदम् ॥
॥ इति श्री वामकेश्वरतंत्रे उमामहेश्वरसंवादे देवीखड्गमालास्तोत्ररत्नं समाप्तम् ॥
सुने श्री देवी खड्गमाला स्तोत्रम् | Listen Shri Devi Khadgamala Stotram
श्री देवी खड्गमाला स्तोत्रम् के लाभ | Benefits of Shri Devi Khadgamala Stotram
- प्रार्थना और अभिवादन: स्तोत्र की शुरुआत एक प्रार्थना और देवी भगवती के प्रति आदर्श भक्ति के साथ होती है।
- देवी की महिमा: स्तोत्रम् में देवी भगवती की महिमा का वर्णन किया गया है। इसमें उनकी शक्ति, कृपा, प्रेम, कारुण्य और विशेषताएं स्पष्ट की गई हैं।
- देवी के स्वरूप: स्तोत्रम् में देवी भगवती के विभिन्न स्वरूपों, रूपों और नामों का वर्णन किया गया है। यह स्वरूप उनकी शक्तियों, सामर्थ्यों और महत्त्व को दर्शाता है।
- खड्गमाला मंत्र: स्तोत्रम् में खड्गमाला मंत्र का जाप करने की महत्त्वपूर्णता बताई गई है। यह मंत्र देवी की कृपा, सुरक्षा और संरक्षण के लिए प्रभावशाली माना जाता है।
- फलश्रुति: स्तोत्रम् के अंत में फलश्रुति दी गई है, जो बताती है कि स्तोत्र का पाठ करने से क्या लाभ मिल सकता है।
- प्रार्थना और अभिवादन: स्तोत्र की शुरुआत एक प्रार्थना और देवी भगवती के प्रति आदर्श भक्ति के साथ होती है। भक्त देवी से कृपा, आशीर्वाद और समृद्धि की प्रार्थना करता है।
- देवी की महिमा: स्तोत्रम् में देवी भगवती की महिमा का वर्णन किया गया है। उनकी शक्ति, प्रेम, करुणा, सौंदर्य और महानता की प्रशंसा की गई है। इसके माध्यम से भक्त उनकी महिमा को गाते हैं और उन्हें स्तुति करते हैं।
- देवी के स्वरूप: स्तोत्रम् में देवी भगवती के विभिन्न स्वरूपों, रूपों और नामों का वर्णन किया गया है। इससे उनके सामर्थ्य, शक्ति और महत्त्व का प्रकट होता है। भक्त इसे सुनकर और उत्साहपूर्वक देवी की आराधना करते हैं।
- खड्गमाला मंत्र: स्तोत्रम् में खड्गमाला मंत्र का जाप करने की महत्त्वपूर्णता बताई गई है।
