श्री गोरक्ष चालीसा | Shri Gorakha Chalisa

नमस्ते! गोरख चालीसा महान संत और रहस्यवादी गुरु गोरखनाथ को समर्पित एक भक्तिपूर्ण प्रार्थना है। उन्हें नाथ परंपरा में सबसे सम्मानित आध्यात्मिक नेताओं में से एक माना जाता है, जो शैववाद का एक संप्रदाय है। चालीसा 40 छंदों का एक समूह है जो गुरु गोरखनाथ की पूजा करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए पढ़ा जाता है।

श्री गोरक्ष चालीसा | Shri Gorakha Chalisa

दोहा-
गणपति गिरिजा पुत्र को, सिमरूँ बारम्बार ।
हाथ जोड़ विनती करूँ, शारद नाम अधार । ।

चौपाई-
जय जय जय गोरख अविनाशी,
कृपा करो गुरुदेव प्रकाशी ।
जय जय जय गोरख गुणज्ञानी,
इच्छा रूप योगी वरदानी । ।
अलख निरंजन तुम्हरो नामा,
सदा करो भक्तन हित कामा ।
नाम तुम्हारा जो कोई गावे,
जन्म जन्म के दुःख नशावे ।
जो कोई गोरक्ष नाम सुनावे,
भूत पिशाच निकट नहीं आवे ।
ज्ञान तुम्हारा योग से पावे,
रूप तुम्हार लख्या ना जावे ।
निराकार तुम हो निर्वाणी,
महिमा तुम्हरी वेद बखानी ।
घट घट के तुम अन्तर्यामी,
सिद्ध चौरासी करें प्रणामी ।
भस्म अङ्ग गले नाद विराजे,
जटा सीस अति सुन्दर साजे ।

तुम बिन देव और नहीं दूजा,
देव मुनी जन करते पूजा ।
चिदानन्द सन्तन हितकारी,
मङ़्गल करे अमङ़्गल हारी ।
पूरण ब्रह्म सकल घट वासी,
गोरक्षनाथ सकल प्रकासी ।
गोरक्ष गोरक्ष जो कोई ध्यावे,
ब्रह्म रूप के दर्शन पावे ।
शङ़्कर रूप धर डमरू बाजे,
कानन कुण्डल सुन्दर साजे ।
नित्यानन्द है नाम तुम्हारा,
असुर मार भक्तन रखवारा ।
अति विशाल है रूप तुम्हारा,
सुर नर मुनि जन पावं न पारा ।
दीन बन्धु दीनन हितकारी,
हरो पाप हम शरण तुम्हारी ।
योग युक्ति में हो प्रकाशा,
सदा करो सन्तन तन वासा ।
प्रातःकाल ले नाम तुम्हारा,
सिद्धि बढ़े अरु योग प्रचारा ।
हठ हठ हठ गोरक्ष हठीले,
मार मार वैरी के कीले ।
चल चल चल गोरक्ष विकराला,
दुश्मन मान करो बेहाला ।
जय जय जय गोरक्ष अविनासी,
अपने जन की हरो चौरासी ।
अचल अगम हैं गोरक्ष योगी,
सिद्धि देवो हरो रस भोगी ।
काटो मार्ग यम की तुम आई,
तुम बिन मेरा कौन सहाई ।
अजर अमर है तुम्हरो देहा,
सनकादिक सब जोहहिं नेहा ।
कोटि न रवि सम तेज तुम्हारा,
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ।
योगी लखें तुम्हारी माया,
पार ब्रह्म से ध्यान लगाया ।
ध्यान तुम्हारा जो कोई लावे,
अष्ट सिद्धि नव निधि घर पावे ।
शिव गोरक्ष है नाम तुम्हारा,
पापी दुष्ट अधम को तारा ।
अगम अगोचर निर्भय नाथा,
सदा रहो सन्तन के साथा ।
शङ़्कर रूप अवतार तुम्हारा,
गोपीचन्द भर्तृहरि को तारा ।
सुन लीजो गुरु अरज हमारी,
कृपा सिन्धु योगी ब्रह्मचारी ।
पूर्ण आस दास की कीजे,
सेवक जान ज्ञान को दीजे ।
पतित पावन अधम अधारा,
तिनके हेतु तुम लेत अवतारा ।
अलख निरंजन नाम तुम्हारा,
अगम पंथ जिन योग प्रचारा ।
जय जय जय गोरक्ष भगवाना,
सदा करो भक्तन कल्याना ।
जय जय जय गोरक्ष अविनाशी,
सेवा करें सिद्ध चौरासी ।
जो पढ़ही गोरक्ष चालीसा,
होय सिद्ध साक्षी जगदीशा ।
बारह पाठ पढ़े नित्य जोई,
मनोकामना पूरण होई ।
और श्रद्धा से रोट चढ़ावे,
हाथ जोड़कर ध्यान लगावे ।

दोहा –
सुने सुनावे प्रेमवश, पूजे अपने हाथ
मन इच्छा सब कामना, पूरे गोरक्षनाथ ।
अगम अगोचर नाथ तुम, पारब्रह्म अवतार ।
कानन कुण्डल सिर जटा, अंग विभूति अपार ।
सिद्ध पुरुष योगेश्वरों, दो मुझको उपदेश ।
हर समय सेवा करूँ, सुबह शाम आदेश ।

सुने श्री गोरक्ष चालीसा | Listen Shri Gorakha Chalisa

श्री गोरखनाथ चालीसा Shree Gorakhnath Chalisa I SANJAY GIRI I Gorakhnath Bhajan I Full Audio Song

श्री गोरक्ष चालीसा के लाभ | Benefits of Shri Gorakha Chalisa

माना जाता है कि गोरख चालीसा का पाठ करने से भक्तों को विभिन्न लाभ मिलते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • आध्यात्मिक उत्थान: चालीसा के छंद आध्यात्मिक शिक्षाओं और प्रतीकों से युक्त हैं जो आध्यात्मिक विकास और आंतरिक शांति प्राप्त करने में मदद करते हैं।
  • नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा: माना जाता है कि गोरख चालीसा का जाप भक्त के चारों ओर एक सुरक्षा कवच बनाता है, उन्हें बुरे प्रभाव और नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है।
  • इच्छाओं की पूर्ति: ऐसा माना जाता है कि गोरख चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति की इच्छाओं और इच्छाओं को प्रकट करने में मदद मिल सकती है।
  • बाधाओं को दूर करना: माना जाता है कि चालीसा जीवन में बाधाओं और कठिनाइयों पर काबू पाने में मदद करती है, चुनौतियों का सामना करने के लिए शक्ति और समर्थन प्रदान करती है।
  • शारीरिक और मानसिक कल्याण: माना जाता है कि चालीसा के जप से उत्पन्न होने वाले कंपन का शरीर और मन पर उपचार प्रभाव पड़ता है, जिससे समग्र कल्याण को बढ़ावा मिलता है।

गोरख चालीसा का जाप कोई भी व्यक्ति कर सकता है जो आध्यात्मिक उत्थान चाहता है और गुरु गोरखनाथ की शिक्षाओं से जुड़ना चाहता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए अनुशंसित है जो शैव धर्म की नाथ परंपरा का पालन करते हैं। चालीसा का पाठ दिन के किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन माना जाता है कि अगर सुबह के समय या सूर्यास्त के समय इसका जाप किया जाए तो यह अधिक प्रभावी होता है।

गोरख चालीसा का जाप करने के लिए दीया और अगरबत्ती जलाकर किसी शांत जगह पर शांत और एकाग्र मन से बैठकर जाप कर सकते हैं। इसके बाद भक्त भक्ति और श्रद्धा के साथ चुपचाप या जोर से चालीसा के 40 श्लोकों का पाठ कर सकता है। इसके पूर्ण लाभ का अनुभव करने के लिए, नियमित रूप से, आदर्श रूप से दैनिक या सप्ताह में कम से कम एक बार चालीसा का जाप करने की सलाह दी जाती है।

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