श्री ललिता चालीसा | Shri Lalita Chalisa

शास्त्रों के अनुसार माता ललिता देवी पार्वती का रूप है। हिन्दू धर्म की 10 प्रमुख देवियों में माता ललिता का विशेष स्थान है। ललिता मां के तीन स्वरूप हैं। 8 वर्ष की बालिका के रूप में त्रिपुर सुंदरी, 16 वर्ष की अवस्था में षोडशी तथा मां का युवा स्वरूप ललिता त्रिपुर सुंदरी है। मां ललिता त्रिपुर सुंदरी 16 कलाओं में निपुण है इसलिए इन्हें षोडशी कहा जाता है।
श्री ललिता चालीसा | Shri Lalita Chalisa
ललितामाता शंभुप्रिया जगतिकि मूलं नीवम्मा
श्री भुवनेश्वरि अवतारं जगमंतटिकी आधारम् ॥ 1 ॥
हेरंबुनिकि मातवुगा हरिहरादुलु सेविंप
चंडुनिमुंडुनि संहारं चामुंडेश्वरि अवतारम् ॥ 2 ॥
पद्मरेकुल कांतुललो बालात्रिपुरसुंदरिगा
हंसवाहनारूढिणिगा वेदमातवै वच्चितिवि ॥ 3 ॥
श्वेतवस्त्रमु धरियिंचि अक्षरमालनु पट्टुकॊनि
भक्तिमार्गमु चूपितिवि ज्ञानज्योतिनि निंपितिवि ॥ 4 ॥
नित्य अन्नदानेश्वरिगा काशीपुरमुन कॊलुवुंड
आदिबिक्षुवै वच्चाडु साक्षादापरमेश्वरुडु ॥ 5 ॥
कदंबवन संचारिणिगा कामेश्वरुनि कलत्रमुगा
कामितार्थ प्रदायिनिगा कंचि कामाक्षिवैनावु ॥ 6 ॥
श्रीचक्रराज निलयिनिगा श्रीमत् त्रिपुरसुंदरिगा
सिरि संपदलु इव्वम्मा श्रीमहालक्ष्मिगा रावम्मा ॥ 7 ॥
मणिद्वीपमुन कॊलुवुंडि महाकालि अवतारमुलो
महिषासुरुनि चंपितिवि मुल्लोकालनु एलितिवि ॥ 8 ॥
पसिडि वॆन्नॆल कांतुललो पट्टुवस्त्रपुधारणलो
पारिजातपु मालललो पार्वति देविगा वच्चितिवि ॥ 9 ॥
रक्तवस्त्रमु धरियिंचि रणरंगमुन प्रवेशिंचि
रक्तबीजुनि हतमार्चि रम्यकपर्दिनिवैनावु ॥ 10 ॥
कार्तिकेयुनिकि मातवुगा कात्यायिनिगा करुणिंचि
कलियुगमंता कापाड कनकदुर्गवै वॆलिसितिवि ॥ 11 ॥
रामलिंगेश्वरु राणिविगा रविकुल सोमुनि रमणिविगा
रमा वाणि सेवितगा राजराजेश्वरिवैनावु ॥ 12 ॥
खड्गं शूलं धरियिंचि पाशुपतास्त्रमु चेबूनि
शुंभ निशुंभुल दुनुमाडि वच्चिंदि श्रीश्यामलगा ॥ 13 ॥
महामंत्राधिदेवतगा ललितात्रिपुरसुंदरिगा
दरिद्र बाधलु तॊलिगिंचि महदानंदमु कलिगिंचे ॥ 14 ॥
अर्तत्राण परायणिवे अद्वैतामृत वर्षिणिवे
आदिशंकर पूजितवे अपर्णादेवि रावम्मा ॥ 15 ॥
विष्णु पादमुन जनियिंचि गंगावतारमु ऎत्तितिवि
भागीरथुडु निनु कॊलुव भूलोकानिकि वच्चितिवि ॥ 16 ॥
आशुतोषुनि मॆप्पिंचि अर्धशरीरं दाल्चितिवि
आदिप्रकृति रूपिणिगा दर्शनमिच्चॆनु जगदंबा ॥ 17 ॥
दक्षुनि इंट जनियिंचि सतीदेविगा चालिंचि
अष्टादश पीठेश्वरिगा दर्शनमिच्चॆनु जगदंबा ॥ 18 ॥
शंखु चक्रमु धरियिंचि राक्षस संहारमुनु चेसि
लोकरक्षण चेसावु भक्तुल मदिलो निलिचावु ॥ 19 ॥
पराभट्टारिक देवतगा परमशांत स्वरूपिणिगा
चिरुनव्वुलनु चिंदिस्तू चॆऋकु गडनु धरयिंचितिवि ॥ 20 ॥
पंचदशाक्षरि मंत्राधितगा परमेश्वर परमेश्वरितो
प्रमथगणमुलु कॊलुवुंड कैलासंबे पुलकिंचे ॥ 21 ॥
सुरुलु असुरुलु अंदरुनु शिरसुनु वंचि म्रॊक्कंगा
माणिक्याल कांतुलतो नी पादमुलु मॆरिसिनवि ॥ 22 ॥
मूलाधार चक्रमुलो योगिनुलकु आदीश्वरियै
अंकुशायुध धारिणिगा भासिल्लॆनु श्री जगदंबा ॥ 23 ॥
सर्वदेवतल शक्तुलचे सत्य स्वरूपिणि रूपॊंदि
शंखनादमु चेसितिवि सिंहवाहिनिगा वच्चितिवि ॥ 24 ॥
महामेरुवु निलयिनिवि मंदार कुसुम माललतो
मुनुलंदरु निनु कॊलवंग मोक्षमार्गमु चूपितिवि ॥ 25 ॥
चिदंबरेश्वरि नी लील चिद्विलासमे नी सृष्टि
चिद्रूपी परदेवतगा चिरुनव्वुलनु चिंदिंचे ॥ 26 ॥
अंबा शांभवि अवतारं अमृतपानं नी नामं
अद्भुतमैनदि नी महिम अतिसुंदरमु नी रूपम् ॥ 27 ॥
अम्मलगन्न अम्मवुगा मुग्गुरम्मलकु मूलमुगा
ज्ञानप्रसूना रावम्मा ज्ञानमुनंदरिकिव्वम्मा ॥ 28 ॥
निष्ठतो निन्ने कॊलिचॆदमु नी पूजलने चेसॆदमु
कष्टमुलन्नी कडतेर्चि कनिकरमुतो ममु कापाडु ॥ 29 ॥
राक्षस बाधलु पडलेक देवतलंता प्रार्थिंप
अभयहस्तमु चूपितिवि अवतारमुलु दाल्चितिवि ॥ 30 ॥
अरुणारुणपु कांतुललो अग्नि वर्णपु ज्वालललो
असुरुलनंदरि दुनुमाडि अपराजितवै वच्चितिवि ॥ 31 ॥
गिरिराजुनिकि पुत्रिकगा नंदनंदुनि सोदरिगा
भूलोकानिकि वच्चितिवि भक्तुल कोर्कॆलु तीर्चितिवि ॥ 32 ॥
परमेश्वरुनिकि प्रियसतिगा जगमंतटिकी मातवुगा
अंदरि सेवलु अंदुकॊनि अंतट नीवे निंडितिवि ॥ 33 ॥
करुणिंचम्मा ललितम्मा कापाडम्मा दुर्गम्मा
दर्शनमिय्यग रावम्मा भक्तुल कष्टं तीर्चम्मा ॥ 34 ॥
ए विधमुगा निनु कॊलिचिननु ए पेरुन निनु पिलिचिननु
मातृहृदयवै दयचूपु करुणामूर्तिगा कापाडु ॥ 35 ॥
मल्लॆलु मॊल्ललु तॆच्चितिमि मनसुनु नीके इच्चितिमि
मगुवलमंता चेरितिमि नी पारायण चेसितिमि ॥ 36 ॥
त्रिमातृरूपा ललितम्मा सृष्टि स्थिति लयकारिणिवि
नी नाममुलु ऎन्नॆन्नो लॆक्किंचुट मा तरमवुना ॥ 37 ॥
आश्रितुलंदरु रारंडि अम्मरूपमु चूडंडि
अम्मकु नीराजनमिच्चि अम्म दीवॆन पॊंदुदमु ॥ 38 ॥
सदाचार संपन्नवुगा सामगान प्रियलोलिनिवि
सदाशिव कुटुंबिनिवि सौभाग्यमिच्चे देवतवु ॥ 39 ॥
मंगलगौरी रूपमुनु मनसुल निंडा निंपंडि
महादेविकि मनमंता मंगल हारतुलिद्दामु ॥ 40 ॥
सुने श्री ललिता चालीसा | Listen Shri Lalita Chalisa
श्री ललिता चालीसा पाठ के लाभ | Benefits of Shri Lalita Chalisa
श्री ललिता चालीसा के पाठ से अनेक लाभ होते हैं। इसके निम्न लाभ हैं:
- शुभ फलों की प्राप्ति: श्री ललिता चालीसा का पाठ करने से शुभ फल प्राप्त होता है। यह श्लोक संग्रह व्यक्ति के जीवन में खुशी, सफलता, शांति, सुख, समृद्धि और सम्पन्नता आदि के लिए वरदान होता है।
- माता ललिता के नाम का स्मरण: माता ललिता के नाम का स्मरण करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, यह श्लोक संग्रह व्यक्ति के शरीर को भी शुद्ध करता है और उसे रोगों से बचाता है।
- संयम बढ़ाना: श्री ललिता चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति का संयम बढ़ता है|
- माता ललिता की आराधना : माता ललिता की आराधना कभी भी कर सकते है। लेकिन ललिता जयंती या ललिता पंचमी के दिन आराधना का विशेष महत्व है।
- भगवान शिव तथा माता पार्वती की कृपा: ऐसा कहा जाता है कि माता ललिता माँ पारवती का ही रूप है इसलिए श्री ललिता चालीसा के पाठ से भगवान शिव व माता पार्वती की कृपा मिलती है और उनकी आशीर्वाद से जीवन में सफलता मिलती है।
