श्री नर्मदा चालीसा | Shri Narmada Chalisa

Narmada Chalisa

पुराणों के अनुसार भगवान शिव जी के पसीने से मेकल पर्वत पर नर्मदा नदी उत्पन्न हुई थी। माता नर्मदा नदी ही एक मात्र ऐसी नदी हैं जो कल-कल की आवाज करते हुए बहती है। नर्मदा नदी को मध्यप्रदेश की जीवन-रेखा कहा जाता है। चार नदियों को चार वेदों के रूप में माना गया है। गंगा को ऋग्वेद, यमुना को यजुर्वेद, सरस्वती को अथर्ववेद और नर्मदा को सामदेव। सामदेव कलाओं का प्रतीक है। पुण्यदायिनी मां नर्मदा का जन्मदिवस प्रतिवर्ष माघ शुक्ल सप्तमी को ‘नर्मदा जयंती महोत्सव’ के रूप में मनाया जाता है।

श्री नर्मदा चालीसा | Shri Narmada Chalisa

श्री नर्मदा चालीसा:
॥ दोहा॥
देवि पूजित, नर्मदा, महिमा बड़ी अपार ।
चालीसा वर्णन करत, कवि अरु भक्त उदार॥

इनकी सेवा से सदा, मिटते पाप महान ।
तट पर कर जप दान नर, पाते हैं नित ज्ञान ॥

॥ चौपाई ॥
जय-जय-जय नर्मदा भवानी,
तुम्हरी महिमा सब जग जानी ।

अमरकण्ठ से निकली माता,
सर्व सिद्धि नव निधि की दाता ।

कन्या रूप सकल गुण खानी,
जब प्रकटीं नर्मदा भवानी ।

सप्तमी सुर्य मकर रविवारा,
अश्वनि माघ मास अवतारा ॥4

वाहन मकर आपको साजैं,
कमल पुष्प पर आप विराजैं ।

ब्रह्मा हरि हर तुमको ध्यावैं,
तब ही मनवांछित फल पावैं ।

दर्शन करत पाप कटि जाते,
कोटि भक्त गण नित्य नहाते ।

जो नर तुमको नित ही ध्यावै,
वह नर रुद्र लोक को जावैं ॥8

मगरमच्छा तुम में सुख पावैं,
अंतिम समय परमपद पावैं ।

मस्तक मुकुट सदा ही साजैं,
पांव पैंजनी नित ही राजैं ।

कल-कल ध्वनि करती हो माता,
पाप ताप हरती हो माता ।

पूरब से पश्चिम की ओरा,
बहतीं माता नाचत मोरा ॥12

शौनक ऋषि तुम्हरौ गुण गावैं,
सूत आदि तुम्हरौं यश गावैं ।

शिव गणेश भी तेरे गुण गवैं,
सकल देव गण तुमको ध्यावैं ।

कोटि तीर्थ नर्मदा किनारे,
ये सब कहलाते दु:ख हारे ।

मनोकमना पूरण करती,
सर्व दु:ख माँ नित ही हरतीं ॥16

कनखल में गंगा की महिमा,
कुरुक्षेत्र में सरस्वती महिमा ।

पर नर्मदा ग्राम जंगल में,
नित रहती माता मंगल में ।

एक बार कर के स्नाना,
तरत पिढ़ी है नर नारा ।

मेकल कन्या तुम ही रेवा,
तुम्हरी भजन करें नित देवा ॥20

जटा शंकरी नाम तुम्हारा,
तुमने कोटि जनों को है तारा ।

समोद्भवा नर्मदा तुम हो,
पाप मोचनी रेवा तुम हो ।

तुम्हरी महिमा कहि नहीं जाई,
करत न बनती मातु बड़ाई ।

जल प्रताप तुममें अति माता,
जो रमणीय तथा सुख दाता ॥24

चाल सर्पिणी सम है तुम्हारी,
महिमा अति अपार है तुम्हारी ।

तुम में पड़ी अस्थि भी भारी,
छुवत पाषाण होत वर वारि ।

यमुना मे जो मनुज नहाता,
सात दिनों में वह फल पाता ।

सरस्वती तीन दीनों में देती,
गंगा तुरत बाद हीं देती ॥28

पर रेवा का दर्शन करके
मानव फल पाता मन भर के ।

तुम्हरी महिमा है अति भारी,
जिसको गाते हैं नर-नारी ।

जो नर तुम में नित्य नहाता,
रुद्र लोक मे पूजा जाता ।

जड़ी बूटियां तट पर राजें,
मोहक दृश्य सदा हीं साजें ॥32

वायु सुगंधित चलती तीरा,
जो हरती नर तन की पीरा ।

घाट-घाट की महिमा भारी,
कवि भी गा नहिं सकते सारी ।

नहिं जानूँ मैं तुम्हरी पूजा,
और सहारा नहीं मम दूजा ।

हो प्रसन्न ऊपर मम माता,
तुम ही मातु मोक्ष की दाता ॥35

जो मानव यह नित है पढ़ता,
उसका मान सदा ही बढ़ता ।

जो शत बार इसे है गाता,
वह विद्या धन दौलत पाता ।

अगणित बार पढ़ै जो कोई,
पूरण मनोकामना होई ।

सबके उर में बसत नर्मदा,
यहां वहां सर्वत्र नर्मदा ॥40

॥ दोहा ॥
भक्ति भाव उर आनि के, जो करता है जाप ।
माता जी की कृपा से, दूर होत संताप॥

॥ इति श्री नर्मदा चालीसा ॥

सुनें श्री नर्मदा चालीसा | Listen Shri Narmada Chalisa

नर्मदा चालीसा || Narmada Chalisa || by Spiritual Activity

श्री नर्मदा चालीसा पाठ के लाभ | Benefits of Chanting Shri Narmada Chalisa

माना जाता है कि श्री नर्मदा चालीसा का पाठ करने से भक्त को कई लाभ मिलते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • मन और शरीर को शुद्ध करना
  • दिव्य आशीर्वाद और कृपा को आकर्षित करना
  • इच्छाओं और इच्छाओं को पूरा करना
  • बाधाओं और कठिनाइयों पर काबू पाना
  • आध्यात्मिक विकास और कल्याण को बढ़ाना
  • व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में शांति और सद्भाव लाना

श्री नर्मदा चालीसा का पाठ कोई भी स्त्री या पुरुष कर सकता है। नर्मदा जयंती या कार्तिक पूर्णिमा जैसे नर्मदा को समर्पित विशेष अवसरों पर या दैनिक रूप से चालीसा का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

भक्त स्वयं या समूह में चालीसा का जाप कर सकते हैं। नर्मदा नदी के आशीर्वाद में भक्ति, एकाग्रता और विश्वास के साथ चालीसा का पाठ करना महत्वपूर्ण है। चालीसा का पाठ करने के साथ, भक्त पवित्र नदी नर्मदा में डुबकी भी लगा सकते हैं, फूल और धूप चढ़ा सकते हैं और अपनी पूजा के एक भाग के रूप में नदी की आरती कर सकते हैं।

श्री नर्मदा चालीसा का पाठ नर्मदा नदी का आशीर्वाद और कृपा प्राप्त करने का एक प्रभावी साधन माना जाता है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह अपने भक्तों को आध्यात्मिक और भौतिक लाभ प्रदान करती है।

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