श्री राज राजेश्वरी अष्टकम् | Shri Raj Rajeshvari Ashtakam
राज राजेश्वरी अष्टकम में राजराजेश्वरी की स्तुति की गई है। राजराजेश्वरी अष्टकम की रचना श्री आदि शंकराचार्य द्वारा की गई है। यह स्तोत्र आठ छंदों में रचित है। इस स्तोत्र का पाठ का महत्व विजया दशमी व दुर्गा नवरात्री में विशेष है। पोलाली राजराजेश्वरी मंदिर कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के पोलाली में स्थित एक मंदिर है।
श्री राज राजेश्वरी अष्टकम् | Shri Raj Rajeshvari Ashtakam
अंबा शांभवि चंद्रमौलिरबलाऽपर्णा उमा पार्वती
काली हैमवती शिवा त्रिनयनी कात्यायनी भैरवी
सावित्री नवयौवना शुभकरी साम्राज्यलक्ष्मीप्रदा
चिद्रूपी परदेवता भगवती श्रीराजराजेश्वरी ॥ 1 ॥
अंबा मोहिनि देवता त्रिभुवनी आनंदसंदायिनी
वाणी पल्लवपाणि वेणुमुरलीगानप्रिया लोलिनी
कल्याणी उडुराजबिंबवदना धूम्राक्षसंहारिणी
चिद्रूपी परदेवता भगवती श्रीराजराजेश्वरी ॥ 2 ॥
अंबा नूपुररत्नकंकणधरी केयूरहारावली
जातीचंपकवैजयंतिलहरी ग्रैवेयकैराजिता
वीणावेणुविनोदमंडितकरा वीरासनेसंस्थिता
चिद्रूपी परदेवता भगवती श्रीराजराजेश्वरी ॥ 3 ॥
अंबा रौद्रिणि भद्रकाली बगला ज्वालामुखी वैष्णवी
ब्रह्माणी त्रिपुरांतकी सुरनुता देदीप्यमानोज्ज्वला
चामुंडा श्रितरक्षपोषजननी दाक्षायणी पल्लवी
चिद्रूपी परदेवता भगवती श्रीराजराजेश्वरी ॥ 4 ॥
अंबा शूल धनुः कुशांकुशधरी अर्धेंदुबिंबाधरी
वाराही मधुकैटभप्रशमनी वाणीरमासेविता
मल्लद्यासुरमूकदैत्यमथनी माहेश्वरी अंबिका
चिद्रूपी परदेवता भगवती श्रीराजराजेश्वरी ॥ 5 ॥
अंबा सृष्टविनाशपालनकरी आर्या विसंशोभिता
गायत्री प्रणवाक्षरामृतरसः पूर्णानुसंधीकृता
ॐकारी विनुतासुतार्चितपदा उद्दंडदैत्यापहा
चिद्रूपी परदेवता भगवती श्रीराजराजेश्वरी ॥ 6 ॥
अंबा शाश्वत आगमादिविनुता आर्या महादेवता
या ब्रह्मादिपिपीलिकांतजननी या वै जगन्मोहिनी
या पंचप्रणवादिरेफजननी या चित्कलामालिनी
चिद्रूपी परदेवता भगवती श्रीराजराजेश्वरी ॥ 7 ॥
अंबापालित भक्तराजदनिशं अंबाष्टकं यः पठेत्
अंबालोककटाक्षवीक्ष ललितं चैश्वर्यमव्याहतम्
अंबा पावनमंत्रराजपठनादंते च मोक्षप्रदा
चिद्रूपी परदेवता भगवती श्रीराजराजेश्वरी ॥ 8 ॥
सुने श्री राज राजेश्वरी अष्टकम् | Listen Shri Raj Rajeshvari Ashtakam
श्री राज राजेश्वरी अष्टकम् पाठ के लाभ | Benefits of Shri Raj Rajeshvari Ashtakam
श्री राज राजेश्वरी अष्टकम् के पाठ से अनेक लाभ होते हैं। इसके निम्न लाभ हैं:
- शरीर और मन को शुद्ध करना: माना जाता है कि मंत्रों का नियमित जप भय, क्रोध और अवसाद को मिटा देता है और श्वसन, पाचन, प्रजनन, परिसंचरण, भाषण, बौद्धिक और संज्ञानात्मक तंत्र के विकारों को दूर करने में मदद करता है।
- पोलाली राजराजेश्वरी मंदिर: पोलाली राजराजेश्वरी मंदिर कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के पोलाली में स्थित एक मंदिर है। मंदिर के प्राथमिक देवता श्री राजराजेश्वरी हैं। मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी ईस्वी में राजा सुरथा द्वारा किया गया था |
- पोलाली चेंडू उत्सव: पोलाली चेंडू उत्सव एक महत्वपूर्ण त्योहारी घटना है जहां बुराई पर अच्छाई की लड़ाई का प्रतिनिधित्व करने के लिए फुटबॉल खेला जाता है।
- समस्त दुःखों से मुक्ति: श्री राज राजेश्वरी अष्टकम् के पाठ से समस्त दुःखों से मुक्ति मिलती है।
- संघर्ष का समाधान: श्री राज राजेश्वरी अष्टकम् के पाठ से संघर्षों का समाधान होता है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
इसका पाठ भगवान शिव की पूजा और उनकी महिमा के गुणगान के लिए किया जाता है। तोटकाष्टकम का पाठ किसी भी समय और किसी भी स्थान पर किया जा सकता है। इसे विशेष अवसरों पर जैसे महाशिवरात्रि, शिवरात्रि, कार्तिक पूर्णिमा आदि पर पाठ किया जाता है। यह श्लोक संग्रह हिंदू धर्म के विभिन्न पाठ्यक्रमों में उपयोग किया जाता है।