श्री शनि चालीसा | Shri Shani Chalisa
शनि ग्रह के प्रति अनेक आख्यान पुराणों में प्राप्त होते हैं। शनिदेव को सूर्यदेव का पुत्र एवं कर्मफल दाता माना जाता है। ज्योतिष विद्वानों के अनुसार अच्छे कर्म करते हुए शनि चालीसा का पाठ करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी भी कष्ट नहीं पाता। वैसे तो श्री शनि चालीसा कभी भी पढ़ी जा सकती है लेकिन शनिवार और मंगलवार की शाम 5 बजे के बाद शनि मंदिर, हनुमान मंदिर या पीपल के पेड़ की छाया में आसन बिछाकर बैठ कर पढ़ना शुभ फल देता है। संभव हो तो सरसों के तेल का दीपक लगाकर इसे पढ़ें।
श्री शनि चालीसा | Shri Shani Chalisa
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल ।
दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल ॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज ।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज ॥
॥ चौपाई ॥
जयति जयति शनिदेव दयाला ।
करत सदा भक्तन प्रतिपाला ॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै ।
माथे रतन मुकुट छबि छाजै ॥
परम विशाल मनोहर भाला ।
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला ॥
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके ।
हिय माल मुक्तन मणि दमके ॥ ४॥
कर में गदा त्रिशूल कुठारा ।
पल बिच करैं अरिहिं संहारा ॥
पिंगल, कृष्णों, छाया नन्दन ।
यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन ॥
सौरी, मन्द, शनी, दश नामा ।
भानु पुत्र पूजहिं सब कामा ॥
जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं ।
रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं ॥ ८॥
पर्वतहू तृण होई निहारत ।
तृणहू को पर्वत करि डारत ॥
राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो ।
कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो ॥
बनहूँ में मृग कपट दिखाई ।
मातु जानकी गई चुराई ॥
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा ।
मचिगा दल में हाहाकारा ॥ १२॥
रावण की गतिमति बौराई ।
रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई ॥
दियो कीट करि कंचन लंका ।
बजि बजरंग बीर की डंका ॥
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा ।
चित्र मयूर निगलि गै हारा ॥
हार नौलखा लाग्यो चोरी ।
हाथ पैर डरवाय तोरी ॥ १६॥
भारी दशा निकृष्ट दिखायो ।
तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो ॥
विनय राग दीपक महं कीन्हयों ।
तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों ॥
हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी ।
आपहुं भरे डोम घर पानी ॥
तैसे नल पर दशा सिरानी ।
भूंजीमीन कूद गई पानी ॥ २०॥
श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई ।
पारवती को सती कराई ॥
तनिक विलोकत ही करि रीसा ।
नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा ॥
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी ।
बची द्रौपदी होति उघारी ॥
कौरव के भी गति मति मारयो ।
युद्ध महाभारत करि डारयो ॥ २४॥
रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला ।
लेकर कूदि परयो पाताला ॥
शेष देवलखि विनती लाई ।
रवि को मुख ते दियो छुड़ाई ॥
वाहन प्रभु के सात सजाना ।
जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना ॥
जम्बुक सिंह आदि नख धारी ।
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी ॥ २८॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं ।
हय ते सुख सम्पति उपजावैं ॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा ।
सिंह सिद्धकर राज समाजा ॥
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै ।
मृग दे कष्ट प्राण संहारै ॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी ।
चोरी आदि होय डर भारी ॥ ३२॥
तैसहि चारि चरण यह नामा ।
स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा ॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं ।
धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं ॥
समता ताम्र रजत शुभकारी ।
स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी ॥
जो यह शनि चरित्र नित गावै ।
कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै ॥ ३६॥
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला ।
करैं शत्रु के नशि बलि ढीला ॥
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई ।
विधिवत शनि ग्रह शांति कराई ॥
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत ।
दीप दान दै बहु सुख पावत ॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा ।
शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा ॥ ४०॥
॥ दोहा ॥
पाठ शनिश्चर देव को, की हों भक्त तैयार ।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार ॥
श्री शनि चालीसा पाठ विधि | Shri Shani Chalisa Path Vidhi
शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है. इस दिन विधि-विधान से Shani Dev की पूजा-अर्चना करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी दुख-दर्द और कष्ट दूर कर देते हैं। मान्यता है कि शनिवार के दिन शनि चालीसा का पाठ अगर विधिपूर्वक किया जाए, तो व्यक्ति को साढ़े साती, ढैय्या से मुक्ति मिलती है. आइए जानें शनि चालीसा करने की सही विधि:-
- घर में सुख-समृद्धि के लिए शनि चालीसा का पाठ रोज करना उत्तम माना गया है. अगर ये संभव न हो शनिवार के दिन शनि मंदिर या पीपल के पेड़ के नीचे शनि चालीसा का पाठ करें |
- पूजा करने से पहले स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
- शनिवार को घर में पूजा स्थान पर सरसों के तेल का दीपक लगाकर शनि देव का ध्यान करें. शांत मन से शनि चालीसा आरंभ करें. शनि चालीसा का पाठ करने से शनि देव के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है |
- इसके बाद शनि देव की प्रतिमा के पास बैठकर शनि चालीसा का पाठ अवश्य करें |
- अगर आप शनिदेव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो इस दिन शनिदेव को तिल, गुड या खिचड़ी का भोग लगाना काफी अच्छा माना जाता है |
श्री शनि चालीसा पाठ के लिए सावधानियां | Shri Shani Chalisa Path ke lie Savdhaniyan
सभी आराध्यों की अराधना करते समय कुछ सावधानियाँ अवश्य बरतनी चाहिए| आइये जानते हैं कि श्री शनिदेव चालीसा का पाठ करते समय क्या क्या सावधानियाँ हमें रखनी चाहिए:-
- शनिदेव की पूजा में कभी भी तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. तांबे का संबंध सूर्य देव से होता है और भले ही शनिदेव सूर्य पुत्र हैं लेकिन वह परम शत्रु हैं. ऐसे में शनिदेव की पूजा में हमेशा लोहे के बर्तनों का ही इस्तेमाल करना चाहिए.
- श्री शनिदेव चालीसा का पाठ करते समय मन में किसी प्रकार की बुरे विचार नहीं आने चाहिए |
- शनिदेव को काला रंग प्रिय हैं ऐसे में इस दिन काले या नीले रंग के कपड़े ही पहनने चाहिए |
- शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा करते समय पश्चिम दिशा की ओर मुख करके पूजा करनी चाहिए |
- शनिदेव की पूजा करते समय उनकी प्रतिमा के सामने खड़े होकर पूजा नहीं करनी चाहिए. इसके अलावा पूजा के समय शनिदेव की आंखों में नहीं देखना चाहिए |