श्यामला दंडकम् | Shyamala Dandakam

श्यामला दंडकम्, हिंदू पौराणिक कथाओं में एक प्रमुख स्थान है, जो रामायण के अयोध्या काण्ड में उल्लेखित है। यह एक वन है जिसमें प्रभु राम, सीता, और लक्ष्मण चराया करते थे। श्यामला दंडकम् वन, वाल्मीकि ऋषि के वन में वास करने के लिए चुने जाने के लिए प्रस्तावित था।

श्यामला दंडकम् | Shyamala Dandakam

ध्यानम्
माणिक्यवीणामुपलालयंतीं मदालसां मंजुलवाग्विलासाम् ।
माहेंद्रनीलद्युतिकोमलांगीं मातंगकन्यां मनसा स्मरामि ॥ 1 ॥

चतुर्भुजे चंद्रकलावतंसे कुचोन्नते कुंकुमरागशोणे ।
पुंड्रेक्षुपाशांकुशपुष्पबाणहस्ते नमस्ते जगदेकमातः ॥ 2 ॥

विनियोगः
माता मरकतश्यामा मातंगी मदशालिनी ।
कुर्यात्कटाक्षं कल्याणी कदंबवनवासिनी ॥ 3 ॥

स्तुति
जय मातंगतनये जय नीलोत्पलद्युते ।
जय संगीतरसिके जय लीलाशुकप्रिये ॥ 4 ॥

दंडकम्
जय जननि सुधासमुद्रांतरुद्यन्मणीद्वीपसंरूढ बिल्वाटवीमध्यकल्पद्रुमाकल्पकादंबकांतारवासप्रिये कृत्तिवासप्रिये सर्वलोकप्रिये, सादरारब्धसंगीतसंभावनासंभ्रमालोलनीपस्रगाबद्धचूलीसनाथत्रिके सानुमत्पुत्रिके, शेखरीभूतशीतांशुरेखामयूखावलीबद्धसुस्निग्धनीलालकश्रेणिशृंगारिते लोकसंभाविते कामलीलाधनुस्सन्निभभ्रूलतापुष्पसंदोहसंदेहकृल्लोचने वाक्सुधासेचने चारुगोरोचनापंककेलीललामाभिरामे सुरामे रमे, प्रोल्लसद्वालिकामौक्तिकश्रेणिकाचंद्रिकामंडलोद्भासि लावण्यगंडस्थलन्यस्तकस्तूरिकापत्ररेखासमुद्भूत सौरभ्यसंभ्रांतभृंगांगनागीतसांद्रीभवन्मंद्रतंत्रीस्वरे सुस्वरे भास्वरे, वल्लकीवादनप्रक्रियालोलतालीदलाबद्ध-ताटंकभूषाविशेषान्विते सिद्धसम्मानिते, दिव्यहालामदोद्वेलहेलालसच्चक्षुरांदोलनश्रीसमाक्षिप्तकर्णैकनीलोत्पले श्यामले पूरिताशेषलोकाभिवांछाफले श्रीफले, स्वेदबिंदूल्लसद्फाललावण्य निष्यंदसंदोहसंदेहकृन्नासिकामौक्तिके सर्वविश्वात्मिके सर्वसिद्ध्यात्मिके कालिके मुग्धमंदस्मितोदारवक्त्रस्फुरत् पूगतांबूलकर्पूरखंडोत्करे ज्ञानमुद्राकरे सर्वसंपत्करे पद्मभास्वत्करे श्रीकरे, कुंदपुष्पद्युतिस्निग्धदंतावलीनिर्मलालोलकल्लोलसम्मेलन स्मेरशोणाधरे चारुवीणाधरे पक्वबिंबाधरे,

सुललित नवयौवनारंभचंद्रोदयोद्वेललावण्यदुग्धार्णवाविर्भवत्कंबुबिंबोकभृत्कंथरे सत्कलामंदिरे मंथरे दिव्यरत्नप्रभाबंधुरच्छन्नहारादिभूषासमुद्योतमानानवद्यांगशोभे शुभे, रत्नकेयूररश्मिच्छटापल्लवप्रोल्लसद्दोल्लताराजिते योगिभिः पूजिते विश्वदिङ्मंडलव्याप्तमाणिक्यतेजस्स्फुरत्कंकणालंकृते विभ्रमालंकृते साधुभिः पूजिते वासरारंभवेलासमुज्जृंभ
माणारविंदप्रतिद्वंद्विपाणिद्वये संततोद्यद्दये अद्वये दिव्यरत्नोर्मिकादीधितिस्तोम संध्यायमानांगुलीपल्लवोद्यन्नखेंदुप्रभामंडले सन्नुताखंडले चित्प्रभामंडले प्रोल्लसत्कुंडले,

तारकाराजिनीकाशहारावलिस्मेर चारुस्तनाभोगभारानमन्मध्यवल्लीवलिच्छेद वीचीसमुद्यत्समुल्लाससंदर्शिताकारसौंदर्यरत्नाकरे वल्लकीभृत्करे किंकरश्रीकरे, हेमकुंभोपमोत्तुंग वक्षोजभारावनम्रे त्रिलोकावनम्रे लसद्वृत्तगंभीर नाभीसरस्तीरशैवालशंकाकरश्यामरोमावलीभूषणे मंजुसंभाषणे, चारुशिंचत्कटीसूत्रनिर्भत्सितानंगलीलधनुश्शिंचिनीडंबरे दिव्यरत्नांबरे,

पद्मरागोल्लस न्मेखलामौक्तिकश्रोणिशोभाजितस्वर्णभूभृत्तले चंद्रिकाशीतले विकसितनवकिंशुकाताम्रदिव्यांशुकच्छन्न चारूरुशोभापराभूतसिंदूरशोणायमानेंद्रमातंग हस्तार्गले वैभवानर्गले श्यामले कोमलस्निग्ध नीलोत्पलोत्पादितानंगतूणीरशंकाकरोदार जंघालते चारुलीलागते नम्रदिक्पालसीमंतिनी कुंतलस्निग्धनीलप्रभापुंचसंजातदुर्वांकुराशंक सारंगसंयोगरिंखन्नखेंदूज्ज्वले प्रोज्ज्वले निर्मले प्रह्व देवेश लक्ष्मीश भूतेश तोयेश वाणीश कीनाश दैत्येश यक्षेश वाय्वग्निकोटीरमाणिक्य संहृष्टबालातपोद्दाम लाक्षारसारुण्यतारुण्य लक्ष्मीगृहितांघ्रिपद्मे सुपद्मे उमे,

सुरुचिरनवरत्नपीठस्थिते सुस्थिते रत्नपद्मासने रत्नसिंहासने शंखपद्मद्वयोपाश्रिते विश्रुते तत्र विघ्नेशदुर्गावटुक्षेत्रपालैर्युते मत्तमातंग कन्यासमूहान्विते भैरवैरष्टभिर्वेष्टिते मंचुलामेनकाद्यंगनामानिते देवि वामादिभिः शक्तिभिस्सेविते धात्रि लक्ष्म्यादिशक्त्यष्टकैः संयुते मातृकामंडलैर्मंडिते यक्षगंधर्वसिद्धांगना मंडलैरर्चिते, भैरवी संवृते पंचबाणात्मिके पंचबाणेन रत्या च संभाविते प्रीतिभाजा वसंतेन चानंदिते भक्तिभाजं परं श्रेयसे कल्पसे योगिनां मानसे द्योतसे छंदसामोजसा भ्राजसे गीतविद्या विनोदाति तृष्णेन कृष्णेन संपूज्यसे भक्तिमच्चेतसा वेधसा स्तूयसे विश्वहृद्येन वाद्येन विद्याधरैर्गीयसे, श्रवणहरदक्षिणक्वाणया वीणया किन्नरैर्गीयसे यक्षगंधर्वसिद्धांगना मंडलैरर्च्यसे सर्वसौभाग्यवांछावतीभिर् वधूभिस्सुराणां समाराध्यसे सर्वविद्याविशेषत्मकं चाटुगाथा समुच्चारणाकंठमूलोल्लसद्वर्णराजित्रयं कोमलश्यामलोदारपक्षद्वयं तुंडशोभातिदूरीभवत् किंशुकं तं शुकं लालयंती परिक्रीडसे,

पाणिपद्मद्वयेनाक्षमालामपि स्फाटिकीं ज्ञानसारात्मकं पुस्तकंचंकुशं पाशमाबिभ्रती तेन संचिंत्यसे तस्य वक्त्रांतरात् गद्यपद्यात्मिका भारती निस्सरेत् येन वाध्वंसनादा कृतिर्भाव्यसे तस्य वश्या भवंतिस्तियः पूरुषाः येन वा शातकंबद्युतिर्भाव्यसे सोपि लक्ष्मीसहस्रैः परिक्रीडते, किन्न सिद्ध्येद्वपुः श्यामलं कोमलं चंद्रचूडान्वितं तावकं ध्यायतः तस्य लीला सरोवारिधीः तस्य केलीवनं नंदनं तस्य भद्रासनं भूतलं तस्य गीर्देवता किंकरि तस्य चाज्ञाकरी श्री स्वयं,

सर्वतीर्थात्मिके सर्व मंत्रात्मिके, सर्व यंत्रात्मिके सर्व तंत्रात्मिके, सर्व चक्रात्मिके सर्व शक्त्यात्मिके, सर्व पीठात्मिके सर्व वेदात्मिके, सर्व विद्यात्मिके सर्व योगात्मिके, सर्व वर्णात्मिके सर्वगीतात्मिके, सर्व नादात्मिके सर्व शब्दात्मिके, सर्व विश्वात्मिके सर्व वर्गात्मिके, सर्व सर्वात्मिके सर्वगे सर्व रूपे, जगन्मातृके पाहि मां पाहि मां पाहि मां देवि तुभ्यं नमो देवि तुभ्यं नमो देवि तुभ्यं नमो देवि तुभ्यं नमः ॥

सुने श्यामला दंडकम् | Listen Shyamala Dandakam

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श्यामला दंडकम् के लाभ | Benefits of Shyamala Dandakam

  1. श्यामला दंडकम् वन रामायण के अयोध्या काण्ड में उल्लेखित है, जहां प्रभु राम, सीता, और लक्ष्मण ने अपना वनवास व्यतीत किया।
  2. यह वन उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है और प्राकृतिक आदर्शवादियों और धार्मिक पर्यटकों के लिए प्रसिद्ध है।
  3. श्यामला दंडकम् वन को सुंदर और शांतिपूर्ण माना जाता है, जहां प्रकृति की सुंदरता, वन्य जीवों, पक्षियों, और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लिया जा सकता है।
  4. श्री राम, सीता, और लक्ष्मण ने इस वन में अपनी आध्यात्मिक साधना, तपस्या, और समाधि को पूरा किया।
  5. श्यामला दंडकम् वन के पास कई प्रमुख स्थल हैं, जैसे चित्रकूट पर्वत, जहां राम और लक्ष्मण ने विश्राम किया था, और पंचवटी, जहां राम ने वाली का वध किया था।
  6. श्यामला दंडकम् वन आध्यात्मिक महत्व के साथ भारतीय साहित्य और परंपरा में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है |

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