श्री लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् | Sri Lakshmi Ashtottara Shatanama Stotram

श्री लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम एक प्रसिद्ध स्तोत्र है, जो भगवान विष्णु की भक्ति में अर्जुन द्वारा पढ़ा गया था। इसमें भगवती लक्ष्मी के 108 नामों का उल्लेख है, जिन्हें जप करने से धन, समृद्धि और लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।इस स्तोत्र में लक्ष्मी माता के उद्देश्य, गुण, महिमा और उनके प्रभावों का वर्णन किया गया है। इस स्तोत्र में लक्ष्मी माता को वैभवमय, शुभ कर्मों की देवी, संसार की सबसे श्रेष्ठ अधिष्ठान और धन की समस्त स्रोत के रूप में वर्णित किया गया है।

श्री लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् | Sri Lakshmi Ashtottara Shatanama Stotram

देव्युवाच
देवदेव! महादेव! त्रिकालज्ञ! महेश्वर!
करुणाकर देवेश! भक्तानुग्रहकारक! ॥
अष्टोत्तर शतं लक्ष्म्याः श्रोतुमिच्छामि तत्त्वतः ॥

ईश्वर उवाच
देवि! साधु महाभागे महाभाग्य प्रदायकम् ।
सर्वैश्वर्यकरं पुण्यं सर्वपाप प्रणाशनम् ॥
सर्वदारिद्र्य शमनं श्रवणाद्भुक्ति मुक्तिदम् ।
राजवश्यकरं दिव्यं गुह्याद्-गुह्यतरं परम् ॥
दुर्लभं सर्वदेवानां चतुष्षष्टि कलास्पदम् ।
पद्मादीनां वरांतानां निधीनां नित्यदायकम् ॥
समस्त देव संसेव्यं अणिमाद्यष्ट सिद्धिदम् ।
किमत्र बहुनोक्तेन देवी प्रत्यक्षदायकम् ॥
तव प्रीत्याद्य वक्ष्यामि समाहितमनाश्शृणु ।
अष्टोत्तर शतस्यास्य महालक्ष्मिस्तु देवता ॥
क्लीं बीज पदमित्युक्तं शक्तिस्तु भुवनेश्वरी ।
अंगन्यासः करन्यासः स इत्यादि प्रकीर्तितः ॥

ध्यानं
वंदे पद्मकरां प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां भाग्यदां
हस्ताभ्यामभयप्रदां मणिगणैः नानाविधैः भूषिताम् ।
भक्ताभीष्ट फलप्रदां हरिहर ब्रह्माधिभिस्सेवितां
पार्श्वे पंकज शंखपद्म निधिभिः युक्तां सदा शक्तिभिः ॥

सरसिज नयने सरोजहस्ते धवल तरांशुक गंधमाल्य शोभे ।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवन भूतिकरि प्रसीदमह्यम् ॥


प्रकृतिं विकृतिं विद्यां सर्वभूत-हितप्रदाम् ।
श्रद्धां विभूतिं सुरभिं नमामि परमात्मिकाम् ॥ 1 ॥

वाचं पद्मालयां पद्मां शुचिं स्वाहां स्वधां सुधाम् ।
धन्यां हिरण्ययीं लक्ष्मीं नित्यपुष्टां विभावरीम् ॥ 2 ॥

अदितिं च दितिं दीप्तां वसुधां वसुधारिणीम् ।
नमामि कमलां कांतां काम्यां क्षीरोदसंभवाम् ॥ 3 ॥

अनुग्रहप्रदां बुद्धि-मनघां हरिवल्लभाम् ।
अशोका-ममृतां दीप्तां लोकशोकविनाशिनीम् ॥ 4 ॥

नमामि धर्मनिलयां करुणां लोकमातरम् ।
पद्मप्रियां पद्महस्तां पद्माक्षीं पद्मसुंदरीम् ॥ 5 ॥

पद्मोद्भवां पद्ममुखीं पद्मनाभप्रियां रमाम् ।
पद्ममालाधरां देवीं पद्मिनीं पद्मगंधिनीम् ॥ 6 ॥

पुण्यगंधां सुप्रसन्नां प्रसादाभिमुखीं प्रभाम् ।
नमामि चंद्रवदनां चंद्रां चंद्रसहोदरीम् ॥ 7 ॥

चतुर्भुजां चंद्ररूपा-मिंदिरा-मिंदुशीतलाम् ।
आह्लाद जननीं पुष्टिं शिवां शिवकरीं सतीम् ॥ 8 ॥

विमलां विश्वजननीं तुष्टिं दारिद्र्यनाशिनीम् ।
प्रीतिपुष्करिणीं शांतां शुक्लमाल्यांबरां श्रियम् ॥ 9 ॥

भास्करीं बिल्वनिलयां वरारोहां यशस्विनीम् ।
वसुंधरा मुदारांगां हरिणीं हेममालिनीम् ॥ 10 ॥

धनधान्यकरीं सिद्धिं सदासौम्यां शुभप्रदाम् ।
नृपवेश्मगतां नंदां वरलक्ष्मीं वसुप्रदाम् ॥ 11 ॥

शुभां हिरण्यप्राकारां समुद्रतनयां जयाम् ।
नमामि मंगलां देवीं विष्णुवक्षःस्थलस्थिताम् ॥ 12 ॥

विष्णुपत्नीं, प्रसन्नाक्षीं नारायणसमाश्रिताम् ।
दारिद्र्यध्वंसिनीं देवीं सर्वोपद्रववारिणीम् ॥ 13 ॥

नवदुर्गां महाकालीं ब्रह्मविष्णुशिवात्मिकाम् ।
त्रिकालज्ञानसंपन्नां नमामि भुवनेश्वरीम् ॥ 14 ॥

लक्ष्मीं क्षीरसमुद्रराज तनयां श्रीरंगधामेश्वरीम् ।
दासीभूत समस्तदेव वनितां लोकैक दीपांकुराम् ॥
श्रीमन्मंद कटाक्ष लब्ध विभवद्-ब्रह्मेंद्र गंगाधराम् ।
त्वां त्रैलोक्य कुटुंबिनीं सरसिजां वंदे मुकुंदप्रियाम् ॥ 15 ॥

मातर्नमामि! कमले! कमलायताक्षि!
श्री विष्णु हृत्-कमलवासिनि! विश्वमातः!
क्षीरोदजे कमल कोमल गर्भगौरि!
लक्ष्मी! प्रसीद सततं समतां शरण्ये ॥ 16 ॥

त्रिकालं यो जपेत् विद्वान् षण्मासं विजितेंद्रियः ।
दारिद्र्य ध्वंसनं कृत्वा सर्वमाप्नोत्-ययत्नतः ।
देवीनाम सहस्रेषु पुण्यमष्टोत्तरं शतम् ।
येन श्रिय मवाप्नोति कोटिजन्म दरिद्रतः ॥ 17 ॥

भृगुवारे शतं धीमान् पठेत् वत्सरमात्रकम् ।
अष्टैश्वर्य मवाप्नोति कुबेर इव भूतले ॥
दारिद्र्य मोचनं नाम स्तोत्रमंबापरं शतम् ।
येन श्रिय मवाप्नोति कोटिजन्म दरिद्रतः ॥ 18 ॥

भुक्त्वातु विपुलान् भोगान् अंते सायुज्यमाप्नुयात् ।
प्रातःकाले पठेन्नित्यं सर्व दुःखोप शांतये ।
पठंतु चिंतयेद्देवीं सर्वाभरण भूषिताम् ॥ 19 ॥

इति श्री लक्ष्म्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं संपूर्णं

सुने श्री लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् | Listen Sri Lakshmi Ashtottara Shatanama Stotram

लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रं | 108 Names of Devi Lakshmi | Hindi Lyrics | Easy Recitation series

श्री लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् के लाभ | Benefits of Sri Lakshmi Ashtottara Shatanama Stotram

यह स्तोत्र लक्ष्मी माता की पूजा के लिए बहुत लोकप्रिय है और इसे सभी श्रद्धालु लोग अपनी अपनी भाषा में पढ़ते हैं। इसका प्रतिदिन जप और सुनने से स्थिर मन, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

इस स्तोत्र के अन्य लाभों में शामिल हैं:

  1. धन, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति
  2. बुद्धि, विद्या और सफलता की प्राप्ति
  3. शांति और सुख की प्राप्ति
  4. दुःख, रोग और बुरी नज़र से मुक्ति
  5. आर्थिक समस्याओं से छुटकारा

यह स्तोत्र लक्ष्मी माता की कृपा प्राप्त करने का एक सरल और असरदार तरीका है जो उनकी आशीर्वाद से सभी विपत्तियों से मुक्ति दिलाता है।

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