महा सरस्वती स्तवम् | Sri Maha Saraswati Stavam

महा सरस्वती स्तवम् (Maha Saraswati Stavam) एक प्रसिद्ध स्तोत्र है जो सरस्वती देवी की महिमा और गुणों का वर्णन करता है। इस स्तवमें सरस्वती देवी को सर्वज्ञ, ब्रह्माणी, सर्वशक्तिमान, ज्ञानमयी और बुद्धिप्रदायिनी के रूप में वर्णित किया गया है। यह स्तवम पढ़ने या चंट करने से व्यक्ति में ज्ञान, बुद्धि, विद्या और कला की प्राप्ति हो सकती है।
महा सरस्वती स्तवम् | Sri Maha Saraswati Stavam
अश्वतर उवाच ।
जगद्धात्रीमहं देवीमारिराधयिषुः शुभाम् ।
स्तोष्ये प्रणम्य शिरसा ब्रह्मयोनिं सरस्वतीम् ॥ 1 ॥
सदसद्देवि यत्किंचिन्मोक्षवच्चार्थवत्पदम् ।
तत्सर्वं त्वय्यसंयोगं योगवद्देवि संस्थितम् ॥ 2 ॥
त्वमक्षरं परं देवि यत्र सर्वं प्रतिष्ठितम् ।
अक्षरं परमं देवि संस्थितं परमाणुवत् ॥ 3 ॥
अक्षरं परमं ब्रह्म विश्वंचैतत्क्षरात्मकम् ।
दारुण्यवस्थितो वह्निर्भौमाश्च परमाणवः ॥ 4 ॥
तथा त्वयि स्थितं ब्रह्म जगच्चेदमशेषतः ।
ॐकाराक्षरसंस्थानं यत्तु देवि स्थिरास्थिरम् ॥ 5 ॥
तत्र मात्रात्रयं सर्वमस्ति यद्देवि नास्ति च ।
त्रयो लोकास्त्रयो वेदास्त्रैविद्यं पावकत्रयम् ॥ 6 ॥
त्रीणि ज्योतींषि वर्णाश्च त्रयो धर्मागमास्तथा ।
त्रयो गुणास्त्रयः शब्दस्त्रयो वेदास्तथाश्रमाः ॥ 7 ॥
त्रयः कालास्तथावस्थाः पितरोऽहर्निशादयः ।
एतन्मात्रात्रयं देवि तव रूपं सरस्वति ॥ 8 ॥
विभिन्नदर्शिनामाद्या ब्रह्मणो हि सनातनाः ।
सोमसंस्था हविः संस्थाः पाकसंस्थाश्च सप्त याः ॥ 9 ॥
तास्त्वदुच्चारणाद्देवि क्रियंते ब्रह्मवादिभिः ।
अनिर्देश्यं तथा चान्यदर्धमात्रान्वितं परम् ॥ 10 ॥
अविकार्यक्षयं दिव्यं परिणामविवर्जितम् ।
तवैतत्परमं रूपं यन्न शक्यं मयोदितुम् ॥ 11 ॥
न चास्येन च तज्जिह्वा ताम्रोष्ठादिभिरुच्यते ।
इंद्रोऽपि वसवो ब्रह्मा चंद्रार्कौ ज्योतिरेव च ॥ 12 ॥
विश्वावासं विश्वरूपं विश्वेशं परमेश्वरम् ।
सांख्यवेदांतवादोक्तं बहुशाखास्थिरीकृतम् ॥ 13 ॥
अनादिमध्यनिधनं सदसन्न सदेव यत् ।
एकंत्वनेकं नाप्येकं भवभेदसमाश्रितम् ॥ 14 ॥
अनाख्यं षड्गुणाख्यंच वर्गाख्यं त्रिगुणाश्रयम् ।
नानाशक्तिमतामेकं शक्तिवैभविकं परम् ॥ 15 ॥
सुखासुखं महासौख्यरूपं त्वयि विभाव्यते ।
एवं देवि त्वया व्याप्तं सकलं निष्कलंच यत् ।
अद्वैतावस्थितं ब्रह्म यच्च द्वैते व्यवस्थितम् ॥ 16 ॥
येऽर्था नित्या ये विनश्यंति चान्ये
ये वा स्थूला ये च सूक्ष्मातिसूक्ष्माः ।
ये वा भूमौ येऽंतरीक्षेऽन्यतो वा
तेषां तेषां त्वत्त एवोपलब्धिः ॥ 17 ॥
यच्चामूर्तं यच्च मूर्तं समस्तं
यद्वा भूतेष्वेकमेकंच किंचित् ।
यद्दिव्यस्ति क्ष्मातले खेऽन्यतो वा
त्वत्संबंधं त्वत्स्वरैर्व्यंजनैश्च ॥ 18 ॥
इति श्रीमार्कंडेयपुराणे त्रयोविंशोऽध्याये अश्वतर प्रोक्त महासरस्वती स्तवम् ।
सुने महा सरस्वती स्तवम् | Listen Sri Maha Saraswati Stavam
महा सरस्वती स्तवम् के लाभ | Benefits of Sri Maha Saraswati Stavam
- ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति: महा सरस्वती स्तवम् का पाठ ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति में सहायता कर सकता है। यह आपको विद्या, शिक्षा, कला और अध्ययन में सफलता प्रदान कर सकता है।
- विद्यार्थी और परीक्षा में सफलता: महा सरस्वती स्तवम् के पाठ से विद्यार्थी और परीक्षाओं में सफलता मिल सकती है। यह आपके मन को शांत कर, ध्यान केंद्रित करने और ज्ञान की प्राप्ति में मदद कर सकता है।
- बुद्धि की वृद्धि: महा सरस्वती स्तवम् का पाठ आपकी बुद्धि को विकसित कर सकता है। यह आपको विचारशीलता, निर्णय लेने की क्षमता, समस्याओं का हल निकालने में मदद कर सकता है।
- आध्यात्मिक जागरण: महा सरस्वती स्तवम् के पाठ से आपका आध्यात्मिक जागरण हो सकता है। यह आपको आत्मज्ञान, आनंद और चैतन्य की प्राप्ति में मदद कर सकता है।
