सुदर्शन अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम् | Sudarshan Ashtottar Shat Naam Stotram

सुरदर्शन चक्र जो हमेशा भगवान विष्णु की ऊँगली में धारण रहता है। जिससे भगवान श्री हरि(विष्णु) ने कई दुष्टों का नाश किया है। इस स्तोत्र में सुदर्शन चक्र के 108 नामों का वर्णन किया गया है। इस स्तोत्र के माध्यम सुदर्शन चक्र के 108 की जानकारी पा सकते है जो संस्कृत में वर्णित है।

सुदर्शन अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम् | Sudarshan Ashtottar Shat Naam Stotram

सुदर्शनश्चक्रराजः तेजोव्यूहो महाद्युतिः ।
सहस्रबाहु-र्दीप्तांगः अरुणाक्षः प्रतापवान् ॥ 1॥|

अनेकादित्यसंकाशः प्रोद्यज्ज्वालाभिरंजितः ।
सौदामिनी-सहस्राभः मणिकुंडल-शोभितः ॥ 2॥

पंचभूतमनोरूपो षट्कोणांतर-संस्थितः ।
हरांतः करणोद्भूत-रोषभीषण-विग्रहः ॥ 3॥

हरिपाणिलसत्पद्मविहारारमनोहरः ।
श्राकाररूपस्सर्वज्ञः सर्वलोकार्चितप्रभुः ॥ 4॥

चतुर्दशसहस्रारः चतुर्वेदमयो-ऽनलः ।
भक्तचांद्रमसज्योतिः भवरोग-विनाशकः ॥ 5॥

रेफात्मको मकारश्च रक्षोसृग्रूषितांगकः ।
सर्वदैत्यग्रीवनाल-विभेदन-महागजः ॥ 6॥

भीमदंष्ट्रोज्ज्वलाकारो भीमकर्मा विलोचनः ।
नीलवर्त्मा नित्यसुखो निर्मलश्री-र्निरंजनः ॥ 7॥

रक्तमाल्यांबरधरो रक्तचंदनरूषितः ।
रजोगुणाकृतिश्शूरो रक्षःकुल-यमोपमः ॥ 8॥

नित्यक्षेमकरः प्राज्ञः पाषंडजनखंडनः ।
नारायणाज्ञानुवर्ती नैगमांतःप्रकाशकः ॥ 9॥

बलिनंदनदोर्दंड-खंडनो विजयाकृतिः ।
मित्रभावी सर्वमयो तमोविध्वंसकस्तथा ॥ 10॥

रजस्सत्त्वतमोद्वर्ती त्रिगुणात्मा त्रिलोकधृत् ।
हरिमायागुणोपेतो-ऽव्ययो-ऽक्षस्वरूपभाक् ॥ 11॥

परमात्मा परंज्योतिः पंचकृत्य-परायणः ।
ज्ञानशक्ति-बलैश्वर्य-वीर्य-तेजः-प्रभामयः ॥ 12॥

सदसत्परमः पूर्णो वाङ्मयो वरदोऽच्युतः ।
जीवो गुरुर्हंसरूपः पंचाशत्पीठरूपकः ॥ 13॥

मातृकामंडलाध्यक्षो मधुध्वंसी मनोमयः ।
बुद्धिरूपश्चित्तसाक्षी सारो हंसाक्षरद्वयः ॥ 14॥

मंत्र-यंत्र-प्रभावज्ञो मंत्र-यंत्र-मयो विभुः ।
स्रष्टा क्रियास्पद-श्शुद्धः आधारश्चक्र-रूपकः ॥ 15॥

निरायुधो ह्यसंरंभः सर्वायुध-समन्वितः ।
ओम्काररूपी पूर्णात्मा आंकारस्साध्य-बंधनः ॥ 16॥

ऐंकारो वाक्प्रदो वग्मी श्रींकारैश्वर्यवर्धनः ।
क्लींकारमोहनाकारो हुंफट्क्षोभणाकृतिः ॥ 17॥

इंद्रार्चित-मनोवेगो धरणीभार-नाशकः ।
वीराराध्यो विश्वरूपः वैष्णवो विष्णुरूपकः ॥ 18॥

सत्यव्रतः सत्यधरः सत्यधर्मानुषंगकः’
नारायणकृपाव्यूह-तेजश्चक्र-स्सुदर्शनः ॥ 19॥

॥ श्री सुदर्शनाष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रं संपूर्णम्॥

सुने सुदर्शन अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम् | Listen Sudarshan Ashtottar Shat Naam Stotram

Sudarshan Ashtottar Shat Naam Stotram || by Mantra Trance

सुदर्शन अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम् पाठ के लाभ | Benefits of Sudarshan Ashtottar Shat Naam Stotram

सुदर्शन अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम् के पाठ से अनेक लाभ होते हैं। इसके निम्न लाभ हैं:

  1. सुदर्शन चक्र की उत्पत्ति : पुराणों के अनुसार सुदर्शन चक्र का निर्माण भगवान शिव ने किया था, बाद में इसे भगवान विष्णु को समर्पित कर दिया था।
  2. शुभ फलों की प्राप्ति: सुदर्शन अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम् का पाठ करने से शुभ फल प्राप्त होता है। यह श्लोक संग्रह व्यक्ति के जीवन में खुशी, सफलता, शांति, सुख, समृद्धि और सम्पन्नता आदि के लिए वरदान होता है।
  3. सुदर्शन की आवश्यकता : कथाओं के अनुसार दैत्यों का नाश करने के लिए भगवान श्री हरी को किसी विशेष अस्त्र की आवश्यकता थी, तब महादेव ने श्री हरी को सुदर्शन दान किया।
  4. भय को दूर करना: सुदर्शन अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम् का पाठ करने से भय और दुख भावना से मुक्ति मिलती है। यह श्लोक संग्रह व्यक्ति को आत्मविश्वास और संतुलन का अनुभव कराता है।

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