त्राटक अभ्यास की सम्पूर्ण जानकारी | Trataka Practice Complete Guide

त्राटक अभ्यास की सम्पूर्ण जानकारी | Trataka Practice Complete Guide

त्राटक का प्रयोग प्राचीन काल से ध्यान को केन्द्रित करने और मस्तिष्क की क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता रहा है| यह याददाश्त की शक्ति को बढ़ाता है और दिमाग को जागरूकता, ध्यान और फोकस की स्थिति में लाता है। टकटकी लगाने से बेचैन मन भी स्थिर हो जाता है। विज्ञान के अनुसार ciliary (blink) reflex का नियंत्रण pineal gland को उत्तेजित करता है, जिसे कुंडलिनी योग तीसरी आंख से पहचानता है। त्राटक को ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ाने के लिए जाना जाता है। Trataka Practice Complete Guide के माध्यम से आप जानेंगे कि-

  • त्राटक क्या है?
  • त्राटक कैसे करें?
  • त्राटक क्यों करें?
  • त्राटक कब करें?
  • त्राटक कहाँ करें?
  • त्राटक अभ्यास कितने समय तक करें?
  • त्राटक करने के क्या लाभ है?
  • त्राटक कौन कर सकता है?

त्राटक क्या है?

त्राटक बहुत ही रोचक और हर बार एक नया अनुभव देने वाला अभ्यास है। Trataka का अर्थ होता है किसी भी एक वस्तु विशेष को लगातार देखते रहना, टकटकी लगाकर पूरी ध्यान ऊर्जा को किसी भी एक बिंदु पे या केंद्र पर केंद्रित कर देना।

त्राटक अभ्यास की विधियाँ

त्राटक का अभ्यास विशेष रूप से तीन विधियों से किया जाता है।

पहले विधि- पहली विधि में मोमबत्ती या दीपक जलाकर उसकी लो के ऊपर निगाहों को केन्द्रित करके Trataka Practice की जाती है|

दूसरी विधि- दूसरी विधि में किसी एक सफेद दीवार के ऊपर या सफेद कागज के ऊपर काले रंग का एक बिंदु लगाकर उसके ऊपर निगाहों को केंद्रित किया जाता है|

तीसरी विधि- तीसरी विधि में किसी भी एक स्थान पर या किसी भी एक वस्तु विशेष पर जो भी आपको पसंद हो उसके ऊपर अपने ध्यान को केन्द्रित करके त्राटक अभ्यास किया जाता है|

इस प्रकार इन तीन विधियों से Trataka का अभ्यास किया जाता है।

त्राटक अभ्यास कैसे करें?

शारीरिक अवस्था और जिसका त्राटक किया जा रहा है अर्थात केंद्र की अवस्था क्या होनी चाहिए? इसके अभ्यास के लिए किसी एक आरामदायक आसन में बैठ जाए। सुखासन, वज्रासन, सिद्धासन, अर्ध पद्मासन, पद्मासन आप अपनी सुविधानुसार किसी भी आसन में बैठ सकते हैं| किसी कारण से जमीन पर ना बैठ पायें तो कुर्सी पर बैठ सकते हैं परन्तु अंतिम विकल्प के रूप में कुर्सी को चयन करें|

Trataka Kriya के लिए आवश्यक सामग्री (इनका चयन आप अपनी विधि और सुविधानुसार कर सकते हैं) :-

ऐसे आसन या Position में बैठें जिसमें पीठ और गर्दन बिल्कुल स्थिर और सीधी रहे| ऊपर बैठे या जमीन कहीं पर भी बैठे है। आपके शरीर की स्थिति ऐसी होनी चाहिए जिसमें शरीर 10 से 15 मिनट तक हिलने की बिल्कुल भी चेष्ठा ना करे सहज रहे और किसी मूर्ति की भाँति बिल्कुल स्थिर हो जाए| पीठ और गर्दन सीधी रखने के साथ-साथ हाथ घुटनों के ऊपर सीधे ऊपर की ओर खुले रखें या किसी विशेष मुद्रा में रख सकते हैं जैसे ज्ञान मुद्रा या अंजलि मुद्रा में भी रख सकते हैं।

जिस वस्तु का त्राटक किया जा रहा है उससे आपके शरीर की दूरी लगभग एक से डेढ़ फ़ीट होनी चाहिए| अर्थात आपका त्राटक केंद्र आपकी आँखों से एक से डेढ़ फिट की दूरी पर होना चाहिए और उसकी उचाई आपके बैठने के अनुकूल हो जैसे आप जमीन पर बैठे हैं तो उसके अनुसार कुर्सी पर बैठे हैं तो उसके अनुसार आपकी निगाहों के बिल्कुल सामने हो| इससे आपकी गर्दन और पीठ सीधी रहेगी, और आपकी निगाह नीचे-ऊपर ना हो, बिल्कुल सीध में हो, जिससे शरीर को क्षति और कष्ट न हो और बिल्कुल सीध में रहे। यह आप की अवस्था और आपके त्राटक की अवस्था होनी चाहिए।

त्राटक किस समय और कब तक किया जा सकता है?

Trataka Practice Beginners के लिए शुरुआती स्तर पर 3 से 5 मिनट तक 10-15 दिन तक अभ्यास करे| उसके कुछ दिन के बाद जब इतना अभ्यास सहज रूप से हो तो सामान्य व्यक्ति द्वारा 10-12 मिनट तक अभ्यास किया जा सकता है।

अब 3-5 मिनट या 10 से 12 मिनट का जो समय बताया गया है यह केवल त्राटक अभ्यास को करने का समय है इसके बीच में जितनी देर विश्राम करेंगे तो विश्राम का समय इसके अंदर नहीं जोड़ा गया है| एक बार ये आपने त्राटक अभ्यास आरंभ किया और 2 मिनट तक आपने बिना पलकों को झपकाएं त्राटक किया इसके बाद 1 मिनट तक ऑंखें बंद रखी तो यह 1 मिनट यहाँ count नहीं होगा| त्राटक केवल दो मिनट का माना जायेगा|

दो दो मिनिट करके यदि आप तीन बार अभ्यास करते हैं और तीन बार बीच में रुक रहे हैं इस तरह आपके कुल नौ दिए लेकिन उन 9 मिनट में त्राटक केवल 6 मिनट का गिना जायेगा| इस प्रकार से 3-5 मिनट अभ्यास करें कुछ दिन के बाद 10-12 मिनट तक अभ्यास को बढ़ाएं।

त्राटक अभ्यास करते समय बिल्कुल भी ज़ोर ना लगाएं, जबरदस्ती ना करें जितना सहज रूप से त्राटक केंद्र को आंखें खोलकर बिना पलकें झपकाए देख सकें उतनी देर देखें जैसे ना देखा जाए तुरंत आंख बंद कर दें और जब अभ्यास कर रहे हैं तो आँखों को ज़ोर लगाकर ना खोलें सामान्य अवस्था में शांत स्थिर रखें। पलकों के नेतृत्व को, मांसपेशियों को और पूरे चेहरे को अभ्यास के दौरान अपनी निगाहों को अपने लक्ष्य के अलावा इधर उधर या अन्य किसी स्थान पर ना देखे। केवल अपने लक्ष्य के ऊपर अपने केंद्र के ऊपर ही निगाहों को केंद्रित रखें।

नेत्रों से संबंधित कोई गंभीर रोग होने पर, हाल ही में ऑपरेशन करवाया हो उस स्थिति में, मस्तिष्क से संबंधित कोई गंभीर रोग होने पर, मिर्गी के दौरे पड़ने पर या फिट पड़ने पर इसका अभ्यास चिकित्सक से सलाह लेने के पश्चात ही करें।

यदि आप त्राटक के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दी गयी पुताकें पढ़ सकते हैं|

  1. त्राटक ध्यान योग
  2. अद्भुत शक्तियों का भंडार त्राटक ध्यान

त्राटक अभ्यास करते समय ध्यान देने योग्य कुछ महत्वपूर्ण बातें

इसका अभ्यास किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन सुबह का समय ज्यादा लाभकारी है। जिन लोगों को अनिद्रा की समस्या है, नींद नहीं आती है या सोने से पहले बहुत विचार आते हैं और आप करवटें बदलते रहते हैं, उनको इसका अभ्यास रात को सोने से पहले करना चाहिए। त्राटक का अभ्यास क्रम के अनुसार भी किया जा सकता है अर्थात आप योग अभ्यास कर रहे है उसके बीच में त्राटक अभ्यास करना चाहे आसन और प्राणायाम के बाद त्राटक और मंत्र उच्चारण या ध्यान के अभ्यास से पहले त्राटक तो आसन और प्राणायाम के बाद मंत्र उच्चारण ओम का उच्चारण और ध्यान के अभ्यास से पहले किया जाता है। यदि केवल त्राटक का अभ्यास करना चाहे तो सुबह के समय सामान्य व्यक्ति कर सकता है। अनिद्रा की समस्या बहुत विचार आने की समस्या मे रोज सोने से पहले इसका अभ्यास करके सोएं।

यदि आप पहली विधि से अभ्यास करना चाहते हैं जैसे मोमबत्ति या दिया जलाकर उस समय दो बातों का विशेष रूप से ध्यान रखें- एक तो कमरे के अंदर पूरी तरह से अंधेरा हो। जिस प्रकार पूरा अँधेरा बिलकुल भी रौशनी ना आए एक सुई की नोंक के बराबर भी प्रकाश कहीं से ना आता हो उस समय दीप या मोमबत्ती जलाकर अभ्यास करें और दूसरी बात मोमबत्ती और दीये से जब अभ्यास करें तो वहाँ पर हवा बिल्कुल भी ना चलती हो क्योंकि यदि हवा चलेगी तो दीपक या मोमबत्ती की लॉ जों केंद्र है वह भटकेगा या हिलेगा जिस से आपको concentrate करने में problem होगी| तो यह अवश्य सुनिश्चित करलें कि आप जिस स्थान पर पहली विधि से त्राटक अभ्यास कर रहे हैं वहां पर बिलकुल अँधेरा हो और हवा बिलकुल न चले |

त्राटक अभ्यास की सम्पूर्ण जानकारी | Trataka Practice Complete Guide

एक महत्वपूर्ण बात यह है कि अभ्यास के लिए प्रयास करें मोमबत्ती की जगह दीये का प्रयोग किया जाए जिस से त्राटक के साथ अन्य लाभ भी मिलें जैसे- कई ग्रंथों में बताया गया है कि जब मोमबत्ती से अभ्यास करेंगे और मोमबत्ती को रखेंगे, जैसे-जैसे मोम जलेगी तो मोमबत्ती छोटी होती जाएगी और यदि आपने इस स्थिति में उसको रखा था अपनी निगाह की बिल्कुल सीध मैं तो 10-15 मिनट के बाद आपका केंद्र नीचे चला जायेगा और आपको गर्दन झुकानी पड़ेगी क्योंकि मोम पिघलेगी तो मोमबत्ती छोटी होती जाएगी तो इस कारण से मोमबत्ती का प्रयोग ना करें। दूसरा जब मोम जलेगी तो उससे कुछ लाभ तो मिलेगा नहीं। हानि होने की संभावना हो सकती है। परंतु जब तेल का दिया आप जलाएंगे, दीपक से त्राटक करेंगे तो उसके अंदर तेल डाला जाएगा अब तेल आप अपनी सुविधानुसार ले सकते हैं जैसे- तिल का तेल, नारियल का तेल, सरसों का तेल, शुद्ध देशी घी (गाय का लें तो उत्तम है), बादाम का तेल, नीम का तेल, चमेली का तेल, इत्यादि ये सभी तेल आसानी से मार्किट में या पंसारी पर मिल जाते हैं इन्हें आप ऑनलाइन भी माँगा सकते हैं तेल के लिंक पर क्लिक करके| इनमें से कोई भी तेल का दीपक जब आप जलाएंगे, तो बाती के साथ तेल जलेगा जो वातावरण में फैलेगा और वायु के द्वारा वो आपकी नासिका के द्वारा आपके शरीर के अंदर भी जाएगा और जब सरसों का तेल, बादाम का तेल, घी, नीम का तेल इस प्रकार के तेल जलेंगे तो वह वातावरण के लिए भी लाभकारी है और आपके स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। तो प्रयास करें मोमबत्ती की जगह दीये का इस्तेमाल करे, यह बात ध्यान रखें।

अगली बात जब दूसरी या तीसरी विधि से अभ्यास करें अर्थात किसी सफेद बिंदु या किसी सफेद दीवार या कागज के ऊपर काला बिंदु लगाकर या किसी अपने पसंद की वस्तु विशेष का त्राटक करें। उस समय पूरा प्रकाश आना चाहिए मंद रौशनी में या कम रौशनी में कम प्रकाश में दूसरी और तीसरी विधि से त्राटक ना करें। इससे हानि पहुंचने की संभावना बढ़ सकती हैं|

त्राटक के लिए महत्वपूर्ण सावधानियाँ

त्राटक की विधि या केंद्र को बार-बार न बदलें इसका अर्थ यह है कि आज आप घड़ी का त्राटक कर रहे हैं, कल मेज का त्राटक कर रहे हैं, परसों पंखे का त्राटक कर रहे हैं इस प्रकार से ना करें अपने किसी एक केंद्र को निश्चित करें सोच समझकर अभ्यासआरंभ करें। यदि दिए से आरंभ करें तो इसे ही लंबे समय तक अभ्यास करते रहे। सफेद दीवार के ऊपर काला बिंदु लगाकर अभ्यास कर रहे हैं तो इसी को लगातार करते रहें| कहने का तात्पर्य अपने लक्ष्य को अपने केंद्र को बार बार ना बदले| जब केंद्र बार बार बदलेंगे तो पहले जो अभ्यास किया था उसके अलावा अब आपको दोबारा नए सिरे से पूरा अभ्यास साधना पड़ेगा तो सोच समझकर अपना एक लक्ष्य तैयार करें|

अगली बात अभ्यास करते समय कितने समय त्राटक करना है? तब तक पलकें नहीं झपकाने जब तक आँखों से पानी ना आने लगे या आंखो में दर्द ना होने लगे या फिर बेचैनी, घबराहट का अनुभव ना होने लगे, तब तक अपनी निगाह की यात्रा को विश्राम नहीं देना लगातार देखते रहना है और जैसे ही आँखों में भारीपन, आँखों में दर्द या पानी आने जैसी स्थिति उत्पन्न हो, तुरंत आंखें बंद कर लें, कुछ लम्बी सांस भरते रहे और आंखें बंद करके जिस चीज़ का त्राटक किया जा रहा था बंद आँखों से उसका प्रतिबिंब मानसिक स्तर पर देखने का प्रयास करें| कुछ लंबी सांस भरने के बाद आंखें खोले और दोबारा से अभ्यास को आरंभ कर दें।

त्राटक क्रिया अभ्यास के लाभ

त्राटक क्रिया के अभ्यास से आत्म जागरण के कई सारे द्वार खुल जाते हैं। इसके अभ्यास से क्रोध, चिन्ता, तनाव, बहुत अधिक विचार आना, संकल्प शक्ति का कमजोर होना, स्मरणशक्ति का कमजोर होना, ऐसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इसके अभ्यास से चेहरे पर एक विशेष कांति या एक विशेष आभा और एक विशेष औरा की प्राप्ति होती है| हमारे नेत्रों में एक प्रचंड ज्वाला, एक तेज की प्राप्ति होती है| यह बहुत ही अद्भुत अभ्यास है मूल रूप से इसका अभ्यास मन के ध्यान को केन्द्रित करने के लिए चित्त की वृद्धियों के निरोध हेतु किया जाता है|

त्राटक क्रिया के विषय में आपके कोई सुझाव या प्रश्न हैं तो हमें कमेंट करके जरुर बताएं| धन्यवाद्!

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