वातापि गणपतिं भजेहं | Vatapi Ganapati Bhajeham
वातापि गणपतिम भजे (Vatapi Ganapati Bhajeham) भगवान गणेश की स्तुति करने वाला एक बहुत लोकप्रिय कीर्तन है। इसकी रचना मुथुस्वामी दीक्षितार ने की थी, जिन्हें कर्नाटक संगीत की त्रिमूर्ति में से एक माना जाता है।
रागम्: हंसध्वनि (स, रि2, ग3, प, नि3, स)
वातापि गणपतिं भजेऽहं
वारणाश्यं वरप्रदं श्री ।
भूतादि संसेवित चरणं
भूत भौतिक प्रपंच भरणम् ।
वीतरागिणं विनुत योगिनं
विश्वकारणं विघ्नवारणम् ।
पुरा कुंभ संभव मुनिवर
प्रपूजितं त्रिकोण मध्यगतं
मुरारि प्रमुखाद्युपासितं
मूलाधार क्षेत्रस्थितम् ।
परादि चत्वारि वागात्मकं
प्रणव स्वरूप वक्रतुंडं
निरंतरं निखिल चंद्रखंडं
निजवामकर विद्रुतेक्षुखंडम् ।
करांबुज पाश बीजापूरं
कलुषविदूरं भूताकारं
हरादि गुरुगुह तोषित बिंबं
हंसध्वनि भूषित हेरंबम् ।