विनय चालीसा (नीम करोली बाबा) | Vinay Chalisa (Neem Karoli Baba)

Vinay Chalisa (Neem Karoli Baba)

यह विनय चालीसा नीम करोली बाबा को समर्पित है| नीम करोली बाबा, जिन्हें नीब करोरी बाबा के नाम से भी जाना जाता है, एक हिंदू संत और रहस्यवादी थे जो 20वीं शताब्दी के दौरान भारत में रहते थे। उनका जन्म 1900 में उत्तर प्रदेश, भारत के अकबरपुर गाँव में लक्ष्मी नारायण शर्मा के रूप में हुआ था। नीम करोली बाबा अपनी सरल और विनम्र जीवन शैली के लिए जाने जाते थे, और उनकी शिक्षाओं ने भगवान के प्रति प्रेम, सेवा और भक्ति पर जोर दिया।

नीम करोली बाबा की शिक्षाओं और आध्यात्मिक प्रथाओं का कई लोगों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा, जिनमें स्टीव जॉब्स, राम दास और मार्क जुकरबर्ग जैसे प्रसिद्ध व्यक्ति शामिल थे। उन्हें उनकी चमत्कारी चिकित्सा क्षमताओं और विभिन्न धर्मों के लोगों को प्रेम और एकता की भावना से एक साथ लाने की उनकी क्षमता के लिए भी जाना जाता था।

नीम करोली बाबा ने पूरे भारत में कई आश्रमों और मंदिरों की स्थापना की, जिसमें ताओस, न्यू मैक्सिको में हनुमान मंदिर भी शामिल है, जिसे उनके शिष्य राम दास ने स्थापित किया था। 1973 में उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी शिक्षाएं और विरासत आज भी दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करती हैं।

नीम करोली बाबा को अक्सर एक विनम्र और प्रेमपूर्ण संत के रूप में चित्रित किया जाता है, जिन्होंने अपने शिष्यों को सभी प्राणियों के प्रति निस्वार्थ सेवा, भक्ति और करुणा का अभ्यास करना सिखाया। उनकी शिक्षाओं ने सभी धर्मों की एकता और भक्ति और प्रार्थना के माध्यम से भगवान के साथ एक व्यक्तिगत संबंध विकसित करने के महत्व पर जोर दिया। उनके अनुयायी विभिन्न आध्यात्मिक प्रथाओं और सेवा परियोजनाओं के माध्यम से उनका और उनकी शिक्षाओं का सम्मान करना जारी रखते हैं, और उनका जीवन दुनिया भर के लोगों को आध्यात्मिक विकास और आंतरिक शांति की तलाश के लिए प्रेरित करता है।

नियमित रूप से विनय चालीसा का पाठ करने से बाबा जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और कृपा प्राप्त होती है|

विनय चालीसा (नीम करोली बाबा) | Vinay Chalisa (Neem Karoli Baba)

॥ दोहा ॥
मैं हूँ बुद्धि मलीन अति । श्रद्धा भक्ति विहीन ॥
करूँ विनय कछु आपकी । हो सब ही विधि दीन ॥

॥ चौपाई ॥
जय जय नीब करोली बाबा ।
कृपा करहु आवै सद्भावा ॥

कैसे मैं तव स्तुति बखानू ।
नाम ग्राम कछु मैं नहीं जानूँ ॥

जापे कृपा द्रिष्टि तुम करहु ।
रोग शोक दुःख दारिद हरहु ॥

तुम्हरौ रूप लोग नहीं जानै ।
जापै कृपा करहु सोई भानै ॥4॥

करि दे अर्पन सब तन मन धन ।
पावै सुख अलौकिक सोई जन ॥

दरस परस प्रभु जो तव करई ।
सुख सम्पति तिनके घर भरई ॥

जय जय संत भक्त सुखदायक ।
रिद्धि सिद्धि सब सम्पति दायक ॥

तुम ही विष्णु राम श्री कृष्णा ।
विचरत पूर्ण कारन हित तृष्णा ॥8॥

जय जय जय जय श्री भगवंता ।
तुम हो साक्षात् हनुमंता ॥

कही विभीषण ने जो बानी ।
परम सत्य करि अब मैं मानी ॥

बिनु हरि कृपा मिलहि नहीं संता ।
सो करि कृपा करहि दुःख अंता ॥

सोई भरोस मेरे उर आयो ।
जा दिन प्रभु दर्शन मैं पायो ॥12॥

जो सुमिरै तुमको उर माहि ।
ताकि विपति नष्ट ह्वै जाहि ॥

जय जय जय गुरुदेव हमारे ।
सबहि भाँति हम भये तिहारे ॥

हम पर कृपा शीघ्र अब करहु ।
परम शांति दे दुःख सब हरहु ॥

रोक शोक दुःख सब मिट जावै ।
जपै राम रामहि को ध्यावै ॥16॥

जा विधि होई परम कल्याणा ।
सोई सोई आप देहु वरदाना ॥

सबहि भाँति हरि ही को पूजे ।
राग द्वेष द्वंदन सो जूझे ॥

करै सदा संतन की सेवा ।
तुम सब विधि सब लायक देवा ॥

सब कुछ दे हमको निस्तारो ।
भवसागर से पार उतारो ॥20॥

मैं प्रभु शरण तिहारी आयो ।
सब पुण्यन को फल है पायो ॥

जय जय जय गुरुदेव तुम्हारी ।
बार बार जाऊं बलिहारी ॥

सर्वत्र सदा घर घर की जानो ।
रूखो सूखो ही नित खानो ॥

भेष वस्त्र है सादा ऐसे ।
जाने नहीं कोउ साधू जैसे ॥24॥

ऐसी है प्रभु रहनी तुम्हारी ।
वाणी कहो रहस्यमय भारी ॥

नास्तिक हूँ आस्तिक ह्वै जावै ।
जब स्वामी चेटक दिखलावै ॥

सब ही धर्मन के अनुयायी ।
तुम्हे मनावै शीश झुकाई ॥

नहीं कोउ स्वारथ नहीं कोउ इच्छा ।
वितरण कर देउ भक्तन भिक्षा ॥28॥

केही विधि प्रभु मैं तुम्हे मनाऊँ ।
जासो कृपा-प्रसाद तव पाऊँ ॥

साधु सुजन के तुम रखवारे ।
भक्तन के हो सदा सहारे ॥

दुष्टऊ शरण आनी जब परई ।
पूरण इच्छा उनकी करई ॥

यह संतन करि सहज सुभाऊ ।
सुनी आश्चर्य करई जनि काउ ॥32॥

ऐसी करहु आप अब दाया ।
निर्मल होई जाइ मन और काया ॥

धर्म कर्म में रूचि होई जावे ।
जो जन नित तव स्तुति गावै ॥

आवे सद्गुन तापे भारी ।
सुख सम्पति सोई पावे सारी ॥

होय तासु सब पूरन कामा ।
अंत समय पावै विश्रामा ॥36॥

चारि पदारथ है जग माहि ।
तव कृपा प्रसाद कछु दुर्लभ नाही ॥

त्राहि त्राहि मैं शरण तिहारी ।
हरहु सकल मम विपदा भारी ॥

धन्य धन्य बड़ भाग्य हमारो ।
पावै दरस परस तव न्यारो ॥

कर्महीन अरु बुद्धि विहीना ।
तव प्रसाद कछु वर्णन कीन्हा ॥40॥

॥ दोहा ॥
श्रद्धा के यह पुष्प कछु । चरणन धरी सम्हार ॥
कृपासिन्धु गुरुदेव प्रभु । करी लीजै स्वीकार ॥

सुनें विनय चालीसा (नीम करोली बाबा) | Listen Vinay Chalisa (Neem Karoli Baba)

Neeb Karori Baba – Vinay Chalisa (With Hindi Subtitles)

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