13 Shree Ram Bhajans
Ram Naam Sukhdai Bhajan Karo Bhai
राम नाम सुखदाई भजन करो भाई
ये जीवन दो दिन का
ये तन है जंगल की लकड़ी
आग लगे जल जाई, भजन करो भाई
ये जीवन दो दिन का…
ये तन है कागज की पुड़िया
हवा चले उड़ जाई, भजन करो भाई
ये जीवन दो दिन का…
ये तन है माटी का ढेला
बूँद पड़े गल जाई, भजन करो भाई
ये जीवन दो दिन का…
ये तन है फूलों का बगीचा
धुप पड़े मुरझाई, भजन करो भाई
ये जीवन दो दिन का…
ये तन है कच्ची है हवेली
पल में टूट जाई, भजन करो भाई
ये जीवन दो दिन का…
ये तन है सपनो की माया
आँख खुले कुछ नाही, भजन करो भाई
ये जीवन दो दिन का…
Ram Vivah Bhajan
राम सिया के शुभ विवाह की घड़ी है,
मिल मंगल गाओ रे,
सब मिल खुशियाँ मनाओ रे।
संग चारो भाई अनूप सोहे,
वर वधु सुखधाम है,
महिमा ना कोई कहि सके,
मंगल भवन सिया राम है,
सारी नगरिया में भोर भई है,
सब मिल पुण्य कमाओ री।
राम सिया के शुभ विवाह की घड़ी है,
मिल मंगल गाओ रे,
सब मिल खुशियाँ मनाओ रे।
विधी का विधान देखो,
हो रहा मिलन।
देवगण मुनि जण सकल जग,
कर रहे नमन।
धन्य धन्य हुई आज जनकपुरी है,
सब मिल मिल मंगल गाओ री।।
लागे पखारण पावं पंकज,
प्रेम तन पुलका कली,
नव नगर गान निसाह जैगुनि,
उमग जन चहु जिस चली।।
गंगा जिन चरणन बिराजे,
सारी सृष्टि के निधपती,
नित् ध्यान में हर क्षण है रखते,
जिनको जण जोगी जती।
संग चारो भाई अनूप सोहे,
वर वधु सुखधाम है,
महिमा ना कोई कहि सके,
मंगल भवन सिया राम है,
सारी नगरिया में भोर भई है,
सब मिल पुण्य कमाओ री।
धन्य धन्य हुई आज जनकपुरी है,
सब मिल मिल मंगल गाओ री।।
दानो में दान महादान कन्यादान,
राजा जनक करते सिया का शुभ दान।।
विधी का विधान देखो,
हो रहा मिलन।
देवगण मुनि जण सकल जग,
कर रहे नमन।
धन्य धन्य हुई आज जनकपुरी है।
नियति की लीला अद्बुद्ध भई है,
सब मिल मिल मंगल गाओ री,
राम सिया के शुभ विवाह की घड़ी है,
मिल मंगल गाओ री।
राम सिया राम राम सिया राम
राम सिया के राम…….
Aaj Mithila Nagariya Nihal Sakhiya
आज मिथिला नगरिया निहाल सखिया,
चारों दूल्हा में बड़का कमाल सखिया ॥
शेषमणि मोरिया कुंडल सोहे कनुआ,
कारी कारी कजरारी जुल्मी नयनवा,
लाल चंदन सोहे इनके भाल सखियां,
चारों दूल्हा में बड़का कमाल सखिया ॥
श्यामल श्यामल गोरे-गोरे जुड़िया जहान रे,
अखियां ने देख ली नी सुन ली ना कान रे,
जुगे जुगे जीबे जोड़ी बेमिसाल सखिया,
चारों दूल्हा में बड़का कमाल सखिया ॥
गगन मगन आज मगन धरतीया,
देखी देखी दूल्हा जी के सांवर सुरतिया,
बालू वृद्ध नर नारी सब बेहाल सखियां,
चारों दूल्हा में बड़का कमाल सखिया ॥
जेकरा लागी जोगी मुनि जब-तब कईले,
से मोरे मिथिला में पहने बन के आई ले,
आज लोढ़ा से सैदाई इनके गाल सखियां,
चारों दूल्हा में बड़का कमाल सखिया ॥
आज मिथिला नगरिया निहाल सखिया,
चारों दूल्हा में बड़का कमाल सखिया ॥
Ram Ji Se Puche Janakpur Ki Nari
राम जी से पूछे जनकपुर की नारी,
बता दा बबुआ लोगवा देत कहे गारी,
बता दा बबुआ ॥
तोहरा से पुछु मैं ओ धनुषधारी,
एक भाई गोर काहे एक काहे कारी,
बता दा बबुआ लोगवा देत कहे गारी,
बता दा बबुआ ॥
इ बूढ़ा बाबा के पक्कल पक्कल दाढ़ी,
देखन में पातर खाये भर थारी,
बता दा बबुआ लोगवा देत कहे गारी,
बता दा बबुआ ॥
राजा दशरथ जी कइलन होशियारी,
एकता मरद पर तीन तीन जो नारी,
बता दा बबुआ लोगवा देत कहे गारी,
बता दा बबुआ ॥
कहथिन सनेह लता मन में बिचारिन,
हम सब लगैछी पाहून सर्वो खुशहाली,
बता दा बबुआ लोगवा देत कहे गारी,
बता दा बबुआ ॥
राम जी से पूछे जनकपुर की नारी,
बता दा बबुआ लोगवा देत कहे गारी,
बता दा बबुआ ॥
Jhuk Jaiyo Tanak Raghuveer Siya Meri Chhoti Si
झुक जइयो तनक रघुवीर,
सिया मेरी छोटी है ।
सिया मेरी छोटी है,
लली मेरी छोटी है,
तुम हो बड़े बलवीर,
सिया मेरी छोटी है ।
झुक जइयो तनक रघुवीर,
सिया मेरी छोटी है ॥
जय माला लिए,
कब से है ठाड़ी,
दूखन लागों शरीर,
सिया मेरी छोटी है,
झुक जइयो तनक रघुवीर,
सिया मेरी छोटी है ॥
तुम तो हो राम जी,
अयोध्या के राजा,
और हम है जनक के गरीब,
सिया मेरी छोटी है,
झुक जइयो तनक रघुवीर,
सिया मेरी छोटी है ॥
लक्ष्मण ने भाभी की,
दुविधा पहचानी,
राम जी के चरणो में,
वो झुक गए है ज्ञानी,
सब कहे जय जय रघवीर,
प्रभु जी क्या जोड़ी है,
सिया मेरी छोटी है,
झुक जइयो तनक रघुवीर,
सिया मेरी छोटी है ॥
झुक जइयो तनक रघुवीर,
सिया मेरी छोटी है,
सिया मेरी छोटी है,
लली मेरी छोटी है,
तुम हो बड़े बलवीर,
सिया मेरी छोटी है,
झुक जइयो तनक रघुवीर,
सिया मेरी छोटी है ॥
Aaj Janakpur Me Madwa Bada Suhawan Lage
आज जनकपुर में मंडवा, बड़ा सुहावन लागे,
सीता के चढ़ेला हरदिया, मन भावन लागे।
हरे-हरे बंसवा कटवले जनक राजा,
मन में सुनैना माई के, बाजे ला आनंद बाजा।
शोर भइले सगरी महलिया, बड़ा सुहावन लागे,
सीता के चढ़ेला हरदिया, मन भावन लागे।
धनी रे नगरिया के उमड़ल भगिआ,
लग ली सुनर सिया के अमर सुहागिया।
चउका पुरावल अंगनवा, बड़ा पवन लागे,
सीता के चढ़ेला हरदिया, मन भावन लागे।
आँखि के पुतरिया जे, भेजिहे नगरिया,
धरती दरकी जईहे गिरिहे बिजुरिया।
झर-झर बरसे नयनवा, जईसे सावन लागे,
सीता के चढ़ेला हरदिया, मन भावन लागे।
आज जनकपुर में मंडवा, बड़ा सुहावन लागे,
सीता के चढ़ेला हरदिया, मन भावन लागे।
Shri Raghuvar Komal Kamalnayan Ko Pehnao Jaimala
श्री रघुवर कोमल,
कमल नयन को,
पहनाओ जयमाला,
पहनाओ जयमाला,
यह पुण्य महूर्त,
स्वर्णिम अवसर,
फिर नहीं आने वाला,
पहनाओ जयमाला ॥
दो चार चरण चलते चलते,
श्री रघुवर तक ऐसे पहुंचे,
ज्यों छुईमुई के पल्लव हो,
सिमटे सिमटे सकुचे सकुचे,
सिमटे सिमटे सकुचे सकुचे,
श्री राम चकित चितवे सीता का,
अदभुत रूप निराला,
पहनाओ जयमाला ॥
श्री रघुवर कोमल,
कमल नयन को,
पहनाओ जयमाला,
पहनाओ जयमाला,
यह पुण्य महूर्त,
स्वर्णिम अवसर,
फिर नहीं आने वाला,
पहनाओ जयमाला ॥
Tum Utho Siya Singar Karo
तुम उठो सिया सिंगार करो,
शिव धनुष राम ने तोड़ा है,
शिव धनुष राम ने तोड़ा है,
सीता से नाता जोड़ा है,
तुम उठो सिया सिंगार करो,
शिव धनुष राम ने तोड़ा है ॥
शीश सिया के चुनर सोहे,
टिके की छवि न्यारी है,
न्यारी न्यारी क्या कहिये,
रघुवर को जानकी प्यारी है,
तुम उठो सिया सिंगार करो,
शिव धनुष राम ने तोड़ा है ॥
हाथ सिया के चूड़ी सोहे,
कंगन की छवि न्यारी है,
न्यारी न्यारी क्या कहिये,
रघुवर को जानकी प्यारी है,
तुम उठो सिया सिंगार करो,
शिव धनुष राम ने तोड़ा है ॥
कमर सिया के तगड़ी सोहे,
झुमके की छवि न्यारी है,
न्यारी न्यारी क्या कहिये,
रघुवर को जानकी प्यारी है,
तुम उठो सिया सिंगार करो,
शिव धनुष राम ने तोड़ा है ॥
पैर सिया के पायल सोहे,
बिछिया की छवि न्यारी है,
न्यारी न्यारी क्या कहिये,
रघुवर को जानकी प्यारी है,
तुम उठो सिया सिंगार करो,
शिव धनुष राम ने तोड़ा है ॥
तुम उठो सिया सिंगार करो,
शिव धनुष राम ने तोड़ा है,
शिव धनुष राम ने तोड़ा है,
सीता से नाता जोड़ा है,
तुम उठो सिया सिंगार करो,
शिव धनुष राम ने तोड़ा है ॥
Shri Ram Janki Baithe Hain Mere Seene Mein
ना चलाओ बाण,
व्यंग के ऐ विभिषण,
ताना ना सह पाऊं,
क्यूँ तोड़ी है ये माला,
तुझे ऐ लंकापति बतलाऊं,
मुझमें भी है तुझमें भी है,
सब में है समझाऊँ,
ऐ लंकापति विभीषण, ले देख,
मैं तुझको आज दिखाऊं ॥
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
देख लो मेरे दिल के नगीने में ॥
मुझको कीर्ति ना वैभव ना यश चाहिए,
राम के नाम का मुझ को रस चाहिए,
सुख मिले ऐसे अमृत को पीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में ॥
अनमोल कोई भी चीज,
मेरे काम की नहीं,
दिखती अगर उसमे छवि,
सिया राम की नहीं ॥
राम रसिया हूँ मैं, राम सुमिरण करूँ,
सिया राम का सदा ही मैं चिंतन करूँ,
सच्चा आनंद है ऐसे जीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में ॥
फाड़ सीना हैं, सब को ये दिखला दिया,
भक्ति में मस्ती है, सबको बतला दिया,
कोई मस्ती ना, सागर को मीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में ॥
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
देख लो मेरे दिल के नगीने में ॥
Man Lago Mero Yaar Fakiri Mein
मन लागो मेरो यार फकीरी में
जो सुख पावो राम भजन में,
सो सुख नाही अमीरी में।
भला बुरा सब का सुन लीजै
कर गुजरान गरीबी में।
प्रेम नगर में रहिनी हमारी
भली बन आई सबुरी में।
हाथ में खूंडी, बगल में सोटा
चारो दिशा जागीरी में।
आखिर यह तन ख़ाक मिलेगा
कहाँ फिरत मगरूरी में।
कहत कबीर सुनो भाई साधो
साहिब मिले सबुरी में।
Jis Bhajan Mein Ram Ka Naam Na Ho
जिस भजन में राम का नाम ना हो,
उस भजन को गाना ना चाहिए।
चाहे बेटा कितना प्यारा हो,
उसे सर पे चढ़ाना ना चाहिए।
चाहे बेटी कितनी लाडली हो,
घर घर ने घुमाना ना चाहिए।
जिस माँ ने हम को जनम दिया,
दिल उसका दुखाना ना चाहिए।
जिस पिता ने हम को पाला है,
उसे कभी रुलाना ना चाहिए।
चाहे पत्नी कितनी प्यारी हो,
उसे भेद बताना ना चाहिए।
चाहे मैया कितनी बैरी हो,
उसे राज़ छुपाना ना चाहिए।
Jara Der Thehro Ram Tammanna Yahi Hai
जरा देर ठहरो राम तमन्ना यही है
अभी हमने जी भर के देखा नहीं है।
कैसी घड़ी आज जीवन की आई,
अपने ही प्राणो की करते विदाई।
अब ये अयोध्या हमारी नहीं है।
माता कौशल्या की आंखों के तारे,
दशरथ जी के राज दुलारे।
कभी ये अयोध्या को भुलाना नहीं है।
जाओ प्रभु अब समय हो रहा है,
घरों का उजाला भी कम हो रहा है।
अंधेरी निशा का ठिकाना नहीं है।
Hamare Sath Shri Raghunath To Kis Baat Ki Chinta
हमारे साथ श्री रघुनाथ तो,
किस बात की चिंता,
शरण में रख दिया जब माथ तो,
किस बात की चिंता।
किया करते हो तुम दिन रात क्यों,
बिन बात की चिंता।
तेरे स्वामी को रहती है,
तेरी हर बात की चिंता।
हमारें साथ श्री रघुनाथ तो,
किस बात की चिंता।
ना खाने की ना पीने की,
ना मरने की ना जीने की।
रहे हर स्वास पर भगवान के,
प्रिय नाम की चिंता।
हमारें साथ श्री रघुनाथ तो,
किस बात की चिंता।
विभिषण को अभय वर दे किया,
लंकेश पल भर में।
उन्ही का कर रहे गुणगान तो,
किस बात की चिंता।
हमारें साथ श्री रघुनाथ तो,
किस बात की चिंता।
हुई ब्रजेश पर किरपा,
बनाया दास प्रभु अपना।
उन्ही के हाथ में अब हाथ तो,
किस बात की चिंता।
हमारे साथ श्री रघुनाथ तो,
किस बात की चिंता।
शरण में रख दिया जब माथ तो,
किस बात की चिंता।













