Bhakti Karte Chhute Mere Pran
भक्ति करते छूटें मेरे प्राण, गुरुजी यही मांगू सदा।
रहे अंत समय तेरा ध्यान, गुरुजी यही मांगू सदा।
तेरी भक्ति में खुद को मिटाता चलूं,
तेरी महिमा निरंतर सुनाता चलूं।
तेरा गाऊं सदा गुणगान, गुरुजी यही मांगू सदा।
तेरा मुखड़ा निरंतर निहार करूं,
तेरी मूरत को अंतर में धार करूं।
देना आकर के दर्शन दान, गुरुजी यही मांगू सदा।
मेरी आशा निराशा करना नहीं,
मेरे अवगुण को चित्त में धारना नहीं।
मेरे मिटा दो भरम-अज्ञान, गुरुजी यही मांगू सदा।
मेरे पाप और ताप मिटा देना,
मुझको चरणों का सेवक बना लेना।
छूटे काम, क्रोध, मद, मान, गुरुजी यही मांगू सदा।
काल माया के झूले में झूलूं नहीं,
निशदिन तेरे चरणों को भूलूं नहीं।
दाता देना यही वरदान, गुरुजी यही मांगू सदा।













