शहर की आखरी चिडिया : प्रकाश कान्त | Shahar Ki Akhari Chidia : By Prakash Kant Hindi Book
शहर की आखरी चिडिया पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : अटपटा या अजीब-सा लग सकता था, लेकिन बात सही थी। चट्टी ही थी। पट्टेदार एक तरफ पैबंद ली। चिकट शाम को जैसे ही वहाँ लोग इकट्ठे होने लगे थे, सबसे पहले उस पर ध्यान नेशनल ट्रांसपोर्ट के मालिक छाबड़ा का गया था। टेनिस ग्राउंड की नेट पर लटके पट्टेदार कपड़े पर अचानक उनकी नजर पड़ी थी। छाबड़ा काफी नफीस क्रिस्म के सलीकेदार आदमी माने जाते थे। घर, ऑफिस, क्लब कहीं भी उन्हें जरा-सी भी लापरवाही पसंद नहीं थी। हर कायदे-करोने से होना चाहिए, यह उनका सिर्फ उसूल ही नहीं बल्कि घोषित आदेश भी था। जहाँ तक उस छोटे से शहर के छोटे-से क्लब का ताल्लुक था वहाँ सब कुछ पहले से ही कायदे-करोने से था। लेकिन बड़ा के अध्यक्ष बनने के बाद से और स्पादा रहतियात बरती जाने लगी थी। उन्होंने जब से क्लब ज्वाइन किया था, उसमें एक तरह से नई जान पड़ गई थी। पूरा हुलिया ही एकदम बदल गया था। सब कुछ नए सिरे से किया गया रंगाई-पुताई। दरवाजे-खिड़कियों की मरम्मत फेंसिंग। बाहर लगा बोर्ड भी बदल दिया गया था। क्लब का फर्नीचर, टेबिल-टेनिस की टेबिल, लॉन टेनिस की नेट और ऐसा बहुत सारा सामान भी नया ले आया गया था। और भी कई सारी चीजें बदल दी गई थीं। उनके शब्दों में वे क्लब को एक बेहद शानदार जगह बना देना चाहते थे। शानदार और नियमित आने-जाने लायक जगह क्लब में पहले गिने-चुने ही मेंबर थे जो शाम को कुछ देर के लिए आते थे। आते एक- दो राउंड टेनिस या टेबिल टेनिस का खेलने, बैठकर थोड़ी देर बात-बात करते और चले जाते। लेकिन, अब बहुत सारे नए मेंबर बनाए गए थे। मेंबरशिप बढ़ाई गई थी।
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| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | शहर की आखरी चिडिया | Shahar Ki Akhari Chidia |
| Author | प्रकाश कान्त / Prakash Kant |
| Category | कहानी संग्रह / Story Collections Entertainment Book in Hindi PDF Kahani Sangrah Book in Hindi PDF Story Book PDF in Hindi |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 148 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“छोटी छोटी बातों का आनंद उठाइए, क्योंकि हो सकता है कि किसी दिन आप मुड़ कर देखें तो आपको अनुभव हो कि ये तो बड़ी बातें थीं।” रॉबर्ट ब्राल्ट
“Enjoy the little things, for one day you may look back and realize they were the big things.” Robert Brault
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