सामर्थ्य और सीमा : भगवती चरण वर्मा | Samarthya Aur Sima : By Bhagwati Charan Verma Hindi Book
मनुष्य समर्थ है और समझता है कि इस सामर्थ्य का स्रोत वही है और वही इसका उपार्जन करता है ! वह केवल अपने सामर्थ्य को ही देखता है, अपनी सीमाओं को नहीं ! सामर्थ्य और सीमा अपने सामर्थ्य की अनुभूति से पूर्ण कुछ ऐसे विशिष्ट व्यक्तियों की कहानी है जिन्हें परिस्थितियां एक स्थान पर एकत्रित कर देती हैं ! हर व्यक्ति अपनी महत्ता, अपनी शक्ति और सामर्थ्य से सुपरिचित था-हरेक को अपने पर अटूट अविश्वास था ! लेकिन परोक्ष की शक्तियों को कौन जानता था जो इनके इस दर्प को चकनाचूर करने को तैयार हो रही थी ! भगवतीचरण वर्मा के उपन्यासों की विशेषता वृहत सामाजिक-राजनितिक परिप्रेक्ष्य में व्यक्ति के मनोभावों का बारीक अंकल रही है-यह उपन्यास स्वन्त्रयोत्तर पात्रों के जीवन का चित्रण करता है ! सामर्थ्य और सीमा महान संघर्ष से युक्त जीवन का सशक्त और रोचक चित्रण है !
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| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | सामर्थ्य और सीमा | Samarthya Aur Sima |
| Author | Bhagwati Charan Verma |
| Category | Essay On Books In Hindi | निबन्ध |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 272 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“एक मीठा बोल सर्दी के तीन महीनों को ऊष्मा दे सकता है।” ‐ जापानी कहावत
“One kind word can warm three winter months.” ‐ Japanese Proverb
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