नो एक्सक्यूज़ द पॉवर ऑफ़ सेल्फ डिसिप्लिन : ब्रायन ट्रेसी द्वारा हिंदी ऑडियो बुक | No Excuses The Power Of Self Discipline : by Brian Tracy Hindi Audiobook
पुस्तक का विवरण / Book Details | |
AudioBook Name | नो एक्सक्यूज़ द पॉवर ऑफ़ सेल्फ डिसिप्लिन / No Excuses The Power Of Self Discipline |
Author | Brian Tracy |
Category | Audiobooks, प्रेरक / Motivational |
Language | हिंदी / Hindi |
Duration | 46:23 mins |
Source | Youtube |
No Excuses The Power Of Self Discipline Hindi Audiobook का संक्षिप्त विवरण : कुछ ‘लोग दूसरों से ज़्यादा सफल क्यों होते हैं? कुछ लोग दूसरों से ज़्यादा पैसे क्यों: कमाते हैं, ज़्यादा सुखी जीवन क्यों जीते हैं और उतने ही वर्षो में बहुत ज़्यादा उपलब्धियाँ क्यों पा लेते हैं? “सफलता का वास्तविक रहस्य” क्या है ? अक्सर मैं अपना सेमिनार एक छोटे से सवाल से शुरू करता हूँ। मैं श्रोताओं से पूछता हूँ, “यहाँ ऐसे कितने लोग हैं, जो अपनी आमदनी दोगुनी करना चाहते हैं?” लगभग सभी लोग मुस्कुराते हुए हाथ उठा देते हैं। फिर मैं पूछता हूँ, “यहाँ कितने लोग वज़न कम करना चाहते हैं? क़र्ज़ से मुक्त होना चाहते हैं? आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त करना चाहते हैं?” ‘एक बार फिर, सभी लोग मुस्कूराने लगते हैं, कुछ तो तालियाँ बजाने लगते हैं और वे सभी हाथ उठा देते हैं। इसके बाद मैं कहता हूँ, “बहुत ख़ूब! ये सब बड़े लक्ष्य हैं जिन्हें हर व्यक्ति प्राप्त करना चाहता है। हम सभी ज़्यादा पैसे कमाना चाहते हैं, अपने परिवार के साथ ज़्यादा समय बिताना चाहते हैं स्वस्थ और छरहरे होना चाहते हैं और आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना चाहते हैं। “न सिर्फ़ हमारे लक्ष्य एक से हैं, बल्कि हम सब यह भी जानते हैं कि उन्हें प्राप्त करने के लिए हमें क्या काम करना चाहिए। और हम सभी कभी न कभी वह करने का इरादा रखते हैं – किसी समय लेकिन शुरुआत करने से पहले हम एक अदभुत काव्यनिक जगह की सैर पर जाने का निर्णय लेते हैं जिसे “किसी दिन द्वीप” कहा जाता है। “हम कहते हैं, “किसी दिन मैं वह पुस्तक पढ़ूँगा। किसी दिन मैं व्यायाम शुरू करूँगा। किसी दिन मैं अपनी योग्यता बढ़ाऊँगा और ज़्यादा पैसे कमाऊँगा। किसी दिन मैं अपनी आर्थिक स्थिति की बागडोर थामूँगा और क़र्ज़ से मुक्ति पाऊँगा। किसी दिन मैं वे सभी काम करूँगा, जो मुझे अपनी मंज़िल तक पहुँचने के लिए करने चाहिए। किसी दिन” संभवत: 80 प्रतिशत लोग ज़्यादातर समय “किसी दिन द्वीप” पर रहते हैं। वे उन सभी कामों के बारे में सोचते हैं, सपने देखते हैं और कल्पना करते हैं, जो वे “किसी दिन” करना चाहते हैं। और इस द्वीप पर वे किन लोगों से घिरे रहते हैं? उसी द्वीप के वासियों से! और वहाँ वार्तालाप का मुख्य विषय क्या होता है? बहाने ! वे सभी एक-दूसरे के सामने वहाँ रहने के बहाने बनाते रहते हैं। वे एक-दूसरे से पूछते हैं, “आप यहाँ पर क्यों हैं?” अधिकांश लोगों के बहाने एक जैसे होते हैं : “मेरा बचपन सुखद नहीं था, “मुझे अच्छी शिक्षा नहीं मिली थी, ” “मेरे पास पैसे नहीं हैं, ” “मेरा बॉस बहुत आलोचना करता है,” “मुझे अच्छा जीवनसाथी नहीं मिला, ” “कोई भी मेरी क़द नहीं करता, ” या “अर्थव्यवस्था की हालत ख़राब है।” उन सभी को दरअसल बहानासाइटिस” रोग है, जो सफलता के लिए हमेशा घातक होता है। उनके इरादे तो अच्छे हैं, लेकिन जैसा सबको मालूम है, “नर्क की ओर जाने वाली सड़क अच्छे इरादों के पत्थरों से बनती है।” सफलता का पहला नियम स्पष्ट है : ख़ुद को उस द्वीप से बाहर निकालें ! अब बहाने बनाना छोड़ दें! कोई भी काम करें या न करें – लेकिन बहाने न बनाएँ। काम न करने के बाद उसे उचित ठहराने और न्यायसंगत तर्क गढ़ने के लिए अपने अविश्वसनीय मस्तिष्क का दुरुपयोग करना छोड़ दें। कुछ करें। कुछ भी करें। आगे बढ़ें ! मन ही मन बार-बार दोहराएँ : “अगर मुझे यह करना है, तो इसका दारोमदार मुझ पर है ? ‘पराजित लोग बहाने बनाते हैं; विजेता प्रगति करते हैं। सवाल यह उठता है, आप यह मालूम कैसे कर सकते हैं कि आपका प्रिय बहाना सही है या नहीं? यह पता लगाना बड़ा ही आसान है। चारों ओर देखें और ख़ुद से पूछें, “क्या आस-पास कोई ऐसा व्यक्ति है, जो मेरे जैसी समस्या से ग्रस्त होने के बावजूद सफल है?” जब आप यह सवाल पूछते हैं और पूरी ईमानदारी से इसका जवाब देते हैं, तो आपको यह स्पष्ट दिख जाएगा कि हज़ारों, यहाँ तक कि लाखों ऐसे लोग हैं, जिन्होंने आपसे भी बदतर स्थिति में रहने के बावजूद अपने जीवन में श्रेष्ठ कार्य किए और उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त किए। और जो हज़ारों -लाखों लोग कर चुके हैं, वह आप भी कर सकते हैं. -बशर्ते आप प्रयास करें। कहा जाता है कि लोग अपनी असफलता के बहाने बनाने में जितनी ऊर्जा ख़र्च करते हैं, उतनी अगर वे सही लक्ष्य प्राप्त करने में लगाएँ, तो वे सफल हो जाएँगे। लेकिन सबसे पहले आपको उस द्वीप से बाहर निकलना होगा।
“मेरे विचार से जो व्यक्ति जिंदा रहने अर्थात पैसे के लिए किसी कार्य को करता है, वह स्वयं को गुलाम बना लेता है।” ‐ जोसेफ कैम्पबैल
“I think the person who takes a job in order to live that is to say, for the money has turned himself into a slave.” ‐ Joseph Campbell
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