थिंक लाइक अ मोंक : जय शेट्टी द्वारा हिंदी ऑडियो बुक | Think Like A Monk : by Jay Shetty Hindi Audiobook
पुस्तक का विवरण / Book Details | |
AudioBook Name | थिंक लाइक अ मोंक / Think Like A Monk |
Author | Jay Shetty |
Category | Audiobooks, प्रेरक / Motivational, Business |
Language | हिंदी / Hindi |
Duration | 11:25 Min |
Source | Youtube |
जय शेट्टी कहते कि अगर आप कुछ इनोवेशन करना चाहता हैं तो आप एलेन मस्क की तरह सोचेंगे, अगर आप बिजनेस के बारे में सीखना चाहते हैं तो आप शायद जेफ़ बिजोस या वॉरेन बफेट की तरफ जाओगे, तथा अगर आप बॉस्केट प्लेयर बनना चाहते तो आप माइकल जॉर्डन या लीब्रोन जेम्स से सीखोगे । इसी तरह अगर आप अपने माइंड को काम या अपनी सफलता के एकाग्रचित करना चाहते हो तो आपको एक सन्यासी से सीखना की जरुरत है। क्योंकि एक सन्यासी इस काम में एक्सपर्ट होता है। एक सन्यासी की सोच काम, संतुष्ट जीवन, फैसलों में क्लियरटी सन्यासी विचारों की पहचान है। इन्ही विचारों को अपनाने की लिए हमें लेखक हमें एक सन्यासी की तरह सोचने का सुझाव देते हैं। चलिए जानते कि आप कैसे विचारों को एक सन्यासी के विचारों में बदल सकते हैं –
1. अपनी असली पहचान खोजें
माना कि आप एक दर्पण के सामने खड़े हो अपना चेहरा देखने की लिए और दर्पण बहुत सी धूल जमी है तो क्या आप अपना चेहरा देख पाओगे जाहिर है नहीं देख पाओगे। लेखक कहते हैं कि यह दर्पण आपकी पहचान जिस पर दूसरों के प्रभावों की धूल जमी है। जिसकी वजह से अपनी वास्तविक पहचान नहीं देख पाते। और हम दूसरों के प्रभावों के कारण अपने विचारों को बदल लेते हैं। लेकिन अपनी वास्तविक पहचान तभी जान पाओगे, जब आप अपनी वैल्यूज़ को जान पाओगे। सुनाने में यह शब्द आप को छोटा लगता होगा लेकिन वर्तमन युग में ज्यादातर लोगों को अपना खुद की वैल्यूज़ पता नहीं होती। जिन लोगों के साथ आप उठते-बैठते हैं, जिनके साथ आप काम करते हैं, तथा जिन लोगों का हम अनुसरण करते हैं उनके विचारों का हमारी सोच पर बहुत प्रभाव रहता है।
अगर कोई सेलेब्रटी यह कहता है कि पैसा ही सक्सेस है तो आप पैसा के पीछे भागते हो या कोई कहता है कि स्वास्थ्य ही सबकुछ है तो आप कुछ भी अचीव करना जरुरी नहीं समझोगे, लेकिन ये दोनों विचार पूरी तरह न तो सही है न ही गलत । रोजमर्रा की ज़िन्दगी में जो चीजें आप देखते या सुनते कैसे रेडिओ, टेलीविज़न, अखबार, वीडिओ, आपके सोच पर प्रभाव डालते हैं और आपको क्या करना चाहिए या क्या नहीं करना चाहिए यह आपके दिमाग पर जोर डालते हैं। लेखक इन्हें बाहरी शोर (एक्सटर्नल नॉइज़) कहते है। इन बाहरी शोर (एक्सटर्नल नॉइज़) को दूर करके ही आप अपनी वैल्यूज़ को जान पाओगे।
जय शेट्टी कहते हैं की व्यक्ति की वैल्यूज़ दो प्रकार की होती है –
1. HIGHER VALUES:-
HIGHER VALUES आपको सुख, पूर्ति, सार्थक जीवन देती है।
2. LOWER VALUES:-
LOWER VALUES आपको चिंता, तनाव, उलझन देती है।
आपकी वैल्यूज़ आपके इसी लिए अपनी खुद की वैल्यूज़ पता करने के आपको दो तरीके अपनाने होंगे:-
1. सेल्फ ऑडिट (Self Audit)
सेल्फ ऑडिट करके आपको जानना होगा की आप अपने फ्री समय में क्या करते हो, आप दिन भर कितना सोशल मीडिआ पर समय बिताते हो, और आप अपने पैसों को कैसे उपयोग करते हो। यह सब जानकर आप समझ सकते हो कि आप किन वैल्यूज़ पर जी रहे हो
आपको एक ऐसी जगह सेलेक्ट करनी होगी, जहाँ न तो कोई इंसान हो, न ही कोई मोबाइल या लैपटॉप और न ही कोई ऐसी चीज जो आपको डिस्टर्ब करे। इसके बाद आपको सोचना होगा कि जिन लोगों के साथ अपना टाइम स्पेंड कर रहे क्या उन लोगों के साथ रहने से आप अपने टारगेट के करीब जा रहे हैं या टारगेट से दूर। क्या आपकी वैल्यूज़ उन लोगों की वैल्यूज़ के साथ मैच करती है या नहीं। मतलब यह है कि आपको ऐसे लोगों के साथ अपना टाइम स्पेंड करना है जो आपको आपके सक्सेस की तरफ ले जाये। इसी लिए आपको खुद को आइसोलेट करके अपने दिमाग जमी ऐसे लोगों की सोच की धूल को हटाना है जिससे आप अपने अंदर की आवाज को सुन सके।
3. रिमूव नेगेविटी (Remove Negevity)
आपको कई तरह के नेगेटिव सोच वाले लोग आपको मिलते होंगे जो आपको हमेशा नेगेटिव सलाह ही देते हैं। नेगेटिव सोच वाले लोग कई तरह के होते हैं जिनमे कुछ लोग हमेशा शिकायत करते हैं, कुछ लोग हमेशा अपनी गलती के लिए दूसरों को जिम्मेदार बताते हैं, कुछ हमेशा आलोचना करते हैं, कुछ लोग नेगेटिव सलाह आपको आर्डर की तरह देते हैं, और कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो सराहना करने की जगह आपका मनोबल कम करते हैं।
इस तरह के सभी लोगों को आप नजरअंदाज तो नहीं कर सकते, लेकिन ऐसे लोगों के प्रभाव से बचने के लिए जय शेट्टी 3 तरीके बताते हैं –
1. बर्दास्त करने का समय
हर इंसान को बर्दास्त करने की एक लिमिट होती है, कुछ इंसान को कुछ समय के लिए बर्दास्त कर सकते लेकिन कुछ इंसान को आप एक मिनट भी बर्दास्त नहीं कर सकते। आपको यही जानना कि किस व्यक्ति के साथ आपको अपना कितना समय बिताना है, जिससे उस व्यक्ति की नेगेटिव सोच के बच सकें।
2. 75/25 नियम
ये नियम कहता है कि आपको अपना 75% टाइम ऐसे लोगों के साथ बिताना है जिनकी सोचा आपकी सोच से मिलती हो, जो आपको प्रेरित और उत्साहित करें। इसके अलावा केवल 25% टाइम ही आपको नेगेटिव सोच वाले व्यक्तिओं को देना है जिससे अपनी सोच सकारात्मक रहे।
3. हर मामले में शामिल न हों
सभी प्रोब्लम को खुद ही सुलझाने की कोशिश न करें, और न ही हर एक मामले में सलाह देने से बचें जब तक आपके पास उस मामले की पूरी जानकारी न हो।
ये तो बात थी बाहर की नेगेविटी की लेकिन नेगेविटी आपके अंदर भी तो हो सकती हैं उसके लिए लेखक 3 तरीके बताते हैं –
”लाइफ में व्यक्ति के सामने अच्छी बुरी स्थिति आती है जिसकी वजह से नकारात्मक विचार आना स्वाभाविक है, इन नकारात्मक विचारों को इस प्रकार जान सकते हो –
1. Spot
आपको जानना कि आपके मन जो विचार आ रहे हैं वो सकारात्मक है नकारात्मक अगर ये विचार नकारात्मक है तो आपको नकारात्मक विचारों को रिप्लेस करके सकारात्मक विचार लाने हैं।
2. Stop
आपको रुक कर सोचना होगा कि ये नकारात्मक विचार किस वजह से आपके मन में आ रहे हैं, उस वजह की जड़ तक जाकर आपको जानना होगा जिससे आप इन नकारात्मक विचारों को पैदा ही न होने दें।
3. Swap
आपके अंदर को किस वजह से निराशा मिलती है तो नकारत्मक सोचने की जगह सोच को सकारात्मक बनाना है यानि कि हताश होने अगर कोई नकारात्मक विचार या शिकायत उत्पन्न हो तो उसे सकारात्मक सोच में रिप्लेस करना है।
इसका उदाहरण है ब्रायन एक्टन (Brian Acton) कि कंप्यूटर प्रोग्रामर और इंटरनेट उद्यमी जिन्होंने कभी जॉब के लिए Twitter में अप्लाई किया लेकिन उनको वहां से रिजेक्ट कर दिया, उसके बाद उन्होंने Facebook में अप्लाई किया वहां से भी उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया। बार बार रिजेक्ट होने के बाद भी ब्रायन एक्टन ने कोई शिकायत या कोई नकारात्मक विचार किया ब्रायन ने कहा चलो जो हुआ अच्छा हुआ शायद कोई अच्छी चीज इंतजार कर रही है।
इसके बाद उन्होंने पर्सनल टाइम में मेहनत करके एक ऐसी ऐप बना डाली जिसको ब्रायन एक्टन को रिजेक्ट करनी वाली कंपनी Facebook ने 90 मिलियन डॉलर में ख़रीदा, जिसे हम Whatsapp कहते हैं।
अगर आप एक गिलास पानी में एक चम्मच नमक डालें तो वह पानी आपको पीने में कड़वा लगेगा, लेकिन वही एक चम्मच नमक आप एक मटके पानी में डालो तो आपको कोई फर्क नहीं दिखेगा। मतलब कहना यह है कि नमक यहाँ Rejection है और पानी यहाँ आपका नजरिया। मतलब अगर आपका नजरिया जितना बड़ा होगा Rejection/Failure का प्रभाव उतना ही कम होगा।
अगर केवल अपनी ही सफलता से खुश होते हो और दूसरों की सफलता से जलते हो तो आपकी ज़िन्दगी की ख़ुशी और आपकी सोच कम रहेगी। अगर आप दूसरों की सफलता से भी खुश होते हो तो जीवन में ख़ुशी अनलिमिटेड होगी साथ ही आप प्रेरित होगें। जब आप नकारात्मक सोच से समझौता कर लेते है तब आप असफल होने पर कहते हैं, मैं गुस्से में हूँ या मैं दुखी हूँ। लेकिन वास्तव में आप गुस्सा या दुखी नहीं होते बस कुछ समय के लिए आप यह महसूस कर रहे होते हैं , इसीलिए आपको कहना चाहिए कि मैं गुस्सा महसूस कर रहा हूँ या मैं दुःख महसूस कर रहा हूँ।
4. अपना इरादा जानिए (Know your Intention)
कुछ लोग जो पाने के लिए मेहनत करते और उसे पाने के बाद के भी संतुष्ट नहीं होते और उन्हें लगता है की इस चीज पाने से उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ या आत्मसंतुष्टि नहीं मिली। इसका कारण है की उन लोगों का Intention गलत था। इसी लिए किसी भी काम के Intention को स्पष्ट करके ही आप अपनी जिंदगी में सही सक्सेस हासिल कर सकते हैं।
अपना काम का स्थान और समय जानकर (Know your Space & Time)
कहते हर स्थान की एक अलग एनर्जी होती है जो उस काम करने में मदद करती है। जैसे कि आप एक लाइब्रेरेरी में अधिक ध्यान से पढ़ सकते हैं न की गार्डन में। इसी लिए अपने काम के लिए एक सही जगह निर्धारित करें और उस काम करने का समय निश्चित करें। जिससे बिना अलार्म के भी निश्चित समय पर काम शुरू करें।
5. दूसरों की सेवा करो (Serve others)
जय शेट्टी कहते हैं Human Being का उद्देश्य है दूसरों की मदद करना। अगर आपको कोई करना आता है और कोई दूसरा व्यक्ति उसी काम के लिए के लिए आपकी मदद चाहता है तो आपको उसकी मदद करने में काफी आनंद आएगा। दुसरो की मदद करना आपका अल्टीमेट गोल होना चाहिए। अगर आपकी मदद करते हो तो वो आपको किसी और तरह वापस मिल जाएगी।
“एक अच्छी पुस्तक पढ़ने का पता तब चलता है जब उसका आखिरी पृष्ठ पलटते हुए आपका कुछ ऐसा लगे जैसे आपने एक मित्र को खो दिया।” ‐ पॉल स्वीनी
“You know you’ve read a good book when you turn the last page and feel a little as if you have lost a friend.” ‐ Paul Sweeney
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