द मैजिक ऑफ़ थिंकिंग बिग : डेविड जे० श्वार्ट्ज द्वारा हिंदी ऑडियोबुक | The Magic Of Thinking Big : by David J. Schwartz Hindi Audiobook
The Magic Of Thinking Big Hindi Audiobook का संक्षिप्त विवरण : इतनी बड़ी पुस्तक क्यों ? इस पुस्तक पर इतनी चर्चा आख़िर क्यों ? इस साल बारह हज़ार पुस्तकें छपेंगी। फिर एक और पुस्तक क्यों? मुझे इस बारे में कुछ कहने दें। कुछ साल पहले मैंने एक बेहद प्रभावशाली सेल्स मीटिंग में हिस्सा लिया। इस कंपनी का वाइस प्रेसिडेन्ट बहुत ज़्यादा रोमांचित था। वह अपने सेल्समैनों को कोई महत्वपूर्ण बात समझाना चाहता था उसके साथ मंच पर उस संगठन का नंबर वन सेल्समैन था, जो दिख तो साधारण रहा था परंतु उसने अभी ख़त्म हुए साल में 60,000 डॉलर का बिज़नेस किया था बाक़ी सेल्समैनों ने औसतन 12,000 डॉलर कमाए थे। वाइस प्रेसिडेन्ट ने ग्रुप से कहा, “मैं चाहता हूँ कि आप हैरी की तरफ़ ध्यान से देखें। आख़िर हैरी में ऐसा क्या है, जो आप सबमें नहीं है? हैरी ने औसत से पाँच गुना ज़्यादा कमाई की है, परंतु क्या हैरी आपसे पाँच गुना ज़्यादा स्मार्ट है? नहीं, हमारे परीक्षण के हिसाब से ऐसा नहीं है। मैंने ख़ुद यह परीक्षण किया है। परीक्षण से पता चला है कि वह उतना ही स्मार्ट है, जितने कि आप लोग।” और क्या हैरी ने आप लोगों से पाँच गुना ज़्यादा मेहनत की है ? नहीं : यह भी सही नहीं है। वास्तव में उसने आप लोगों से ज़्यादा समय छुट्टियों में बिताया है।” क्या हैरी का इलाक़ा बहुत बढ़िया है। एक बार फिर मुझे यही कहना पड़ेगा कि यह बात भी नहीं है। उसका इलाक़ा बाक़ी इलाक़ों से ख़ास अलग नहीं है। क्या हैरी ज़्यादा शिक्षित है ? क्या उसका स्वास्थ्य ज़्यादा अच्छा है? एक बार फिर, नहीं। हैरी उतना ही औसत इंसान है जितने कि आप लोग हैं, परंतु उसमें और आपमें एक फ़र्क है। “हैरी और आप लोगों में,” वाइस प्रेसिडेन्ट ने कहा, “यह फ़र्क़ है कि हैरी की सोच आपकी सोच से पाँच गुना ज़्यादा बड़ी है।” फिर, एक्ज़ीक्यूटिव ने यह बताया कि सफलता का संबंध इंसान के दिमाग़ के आकार से नहीं होता, बल्कि उसकी सोच के आकार से होता है। यह एक दिलचस्प विचार था। और यह मेरे दिमाग़ में बार-बार आता रहा। मैंने लोगों को जितना देखा, जितने ज़्यादा लोगों के साथ बात की, मैं सफल लोगों की ज़िंदगी में जितनी गहराई तक गया, मुझे उतना ही लगता गया कि यह सचमुच दिलचस्प और शानदार विचार था। हर घटना मुझे यही बताती थी कि किसी इंसान की सोच के आकार पर ही उसके बैंक अकाउंट, उसके सुख के अकाउंट, और उसकी संतुष्टि के अकाउंट का आकार निर्भर करता है। बड़ी सोच में सचमुच जादू की ताक़त होती है। अगर बड़ी सोच से इतना सब हासिल होता है, तो फिर हर व्यक्ति इसी तरीक़े से क्यों नहीं सोचता ?” मुझसे यह सवाल कई बार पूछा जाता है। यहाँ इसका जवाब दिया जा रहा है। हम सभी अपने आस-पास के माहौल से प्रभावित होते हैं। हमारी सोच हमारे आस-पास की सोच का प्रॉडक्ट होती है। और हमारे आस-पास की ज़्यादातर सोच छोटी होती है, बड़ी नहीं। आपके चारों तरफ़ एक ऐसा माहौल है जो आपको पीछे धकेलना चाहता है, आपको धक्के मारकर सेकंड क्लास स्ट्रीट में गिराना चाहता है। आपको बार-बार बताया जाता है कि दुनिया में “लीडर्स भरे पड़े हैं, कमी तो पीछे चलने वाले छोटे लोगों की है।’ दूसरे शब्दों में आपको यह समझाया जाता है कि लीडर बनने का मौक़ा मुश्किल से मिलता है, और चूँकि दुनिया में बहुत सारे लीडर्स भरे पड़े हैं, इसलिए आप ज़िंदगी में छोटे आदमी होने के बावजूद भी अपनी सोच को बड़ी बनाकर कामयाबी हासिल कर सकते हैं।
| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| AudioBook Name | द मैजिक ऑफ़ थिंकिंग बिग / The Magic Of Thinking Big |
| Author | David J. Schwartz |
| Category | Hindi Audiobooks Motivational Book in Hindi |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Duration | 9:07 hrs |
| Source | Youtube |
“मैं कभी प्रसिद्धि नहीं पाना चाहता था। मैं हमेशा महान बनना चाहता था।” – रे चार्ल्स, अमरीकी पियानोवादक और गायक
“I never wanted to be famous. I only wanted to be great.” – Ray Charles, American pianist and singer
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