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गुरुदत्त की लोकप्रिय कहानियाँ / Gurudutt Ki Lokpriya Kahaniyan

गुरुदत्त की लोकप्रिय कहानियाँ | Gurudutt Ki Lokpriya Kahaniyan
पुस्तक का विवरण / Book Details
Book Name गुरुदत्त की लोकप्रिय कहानियाँ / Gurudutt Ki Lokpriya Kahaniyan
Author
Category, , ,
Language
Pages 127
Quality Good
Size 1.3 MB
Download Status Available
गुरुदत्त की लोकप्रिय कहानियाँ पुस्तक का कुछ अंश : एक दिन उसने मुझे कहा कि चलो हमारे पौधे के पास। तुम्हारे मोती पौधे को तो पढ़ाना ही नहीं आता। मैं भी पहले वहाँ पढ़ने बैठा था, परंतु जब उसने कुछ पढ़ाया नहीं तो मैं उसे छोड़ ‘टक्साल’ वाले पौधे से पढ़ने जाने लगा हूँ। मुझे उसकी बात पसंद आई और मैं बिना पिताजी तथा माँ को बताए उसके साथ उसके पौधे के पास जा पहुँचा। पौधे के सम्मुख मुझे प्रस्तुत किया गया तो पौधे ने कह दिया, ““सवा रुपया लाओ।’! मैंने पौधे को बता दिया कि मैं पिताजी को बताए बिना ही आया हूँ और मेरे पास रुपए नहीं हैं। उसने कहा, “अच्छा, कुछ दिन आओ और फिर घर से माँग लाना।”! मैं उस पौधे के पास जाने लगा। मुझे जमा-बाकी तथा पहाड़े सिखाए जाने लगे। अभी मुझे वहाँ जाते कुछ ही दिन…………
“प्रतिभा का विकास शांत वातावरण में होता है, और चरित्र का विकास मानव जीवन के तेज प्रवाह में।” जोहेन वोल्फगैंग वॉन गोएथ, कवि, नाटककार, उपन्यासकार और दार्शनिक (1749-1832)
“Talent develops in tranquillity, character in the full current of human life.” Johann Wolfgang von Goethe, poet, dramatist, novelist, and philosopher (1749-1832)

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