रस विज्ञान | Ras Vigyan

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रस विज्ञान पुस्तक का कुछ अंश : जैसे ऊर्ण, रूई, मिट्टी में अज्ञान की आँखों से परिणाम होता हुआ सा दृष्टि गोचर होता है किन्तु ज्ञानियों की दृष्टि में भ्रम मूलक विचारों का प्रतिबिम्ब भी नहीं पड़ता। जैसे-किसी बीज में परिणाम होता सा लोग देखते हैं किन्तु उसके मूल तत्व में जैसी की तैसी यथात्मता बनी रहती है। धर्मी के आत्मस्वरूप में परिणाम नहीं अपितु उसके धर्म में है वह भी अपूर्ण बोध के कारण बुद्धि का विषय बनता है…………
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| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | रस विज्ञान | Ras Vigyan |
| Author | Shri Ramharshan Das ji |
| Category | Spiritual PDF Book in Hindi Social PDF Books In Hindi |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 24 |
| Quality | Good |
| Size | 3 MB |
| Download Status | Available |
“परस्पर आदान-प्रदान के बिना समाज में जीवन का निर्वाह संभव नहीं है।” ‐ सेमुअल जॉन्सन
“Life cannot subsist in a society but by reciprocal concessions.” ‐ Samuel Johnson
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