विवेकानन्द साहित्य सप्तम खण्ड / Vivekanand Sahitya Saptam Khand
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विवेकानन्द साहित्य सप्तम खण्ड पुस्तक का कुछ अंश : संसार में सर्वदा दाता का आसन ग्रहण करो। सबंस्व दे दो, पर बदले में कुछ न चाहो। प्रेम दो, सहायता दो, सेवा दो; इनमें से जो तुम्हारे पास देने के लिए है, वह दे डालो; किन्तु सावधान रहो, उनके बदले में कुछ लेने की इच्छा कभी न करो। किसी तरह की कोई शर्त मत रखो। ऐसा करने पर तुम्हारे लिए भी कोई किसी तरह की शर्त नहीं रखेगा। अपनी हादिक दानशीलता के कारण ही हम देते चलें—ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार ईश्वर हमें देता है…………
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| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | विवेकानन्द साहित्य सप्तम खण्ड / Vivekanand Sahitya Saptam Khand |
| Author | Unknown |
| Category | Religious Books in Hindi PDF ज्ञान / Knowledge Hindi Books History Book in Hindi Philosophy Book in Hindi |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 432 |
| Quality | Good |
| Size | 195 MB |
| Download Status | Available |
“सितारों की तरह होते हैं आदर्श; उन्हें आप हाथों से छू नहीं पाएंगे। लेकिन, समुद्र के नाविकों की तरह, आप उन्हें अपना मार्गदर्शक चुनते हैं, और उनका पीछा करते हुए आप अपनी मंजिल पा लेंगें।” कार्ल शुर्ट्ज़ (१८२९-१९०६), लेखक एवं राजनीतिज्ञ
“Ideas are like stars; you will not succeed in touching them with your hands. But, like the seafaring man on the desert of waters, you choose them as your guides, and following them you will reach your destiny.” Carl Shurtz, (1829-1906), Writer and Politician
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