ईश्वर प्रत्यभिज्ञा | Ishwar Pratyabhijnaa
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ईश्वर प्रत्यभिज्ञा पुस्तक का कुछ अंश : श्रष्टि के पूर्व अहम परम शिव पर पूर्ण रूप होने के कारण किसी भी प्रकार की आकांक्षा से रहित होकर भासता रहा है और उसके बाद में अपनी स्वतंत्र शक्ति को विभक्त करने के लिए दो शाखाओं [अहमिदम सदाशिव ईश्वर ] को जो अव्यक्त रूप में रही उसे व्यक्त करने की इच्छा की। अपने चिन्मय स्वरूप से उन्मेष फैलाव और निमृत स्थिति से युक्त उस परम शिव शक्ति रूप अखिल अद्वैत कि हम लोग वंदना करते हैं…….
| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | ईश्वर प्रत्यभिज्ञा | Ishwar Pratyabhijnaa |
| Author | Unknown |
| Category | Religious Books in Hindi PDF हिन्दू / Hinduism Hindi Books |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 343 |
| Quality | Good |
| Size | 72.2 MB |
| Download Status | Available |
“इस दुनिया में कौन आज़ाद है? वह बुद्धिमान व्यक्ति जो स्वयं पर नियत्रंण रखता है।” – होरेस
“Who then is free? The wise man who can command himself.” – Horace
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