ख़ुदा सही सलामत है : रविन्द्र कालिया | Khuda Sahi Salamat Hai : By Ravindra Kaliya Hindi Book
ख़ुदा सही सलामत है पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : अगर ‘झूठा सच’ बँटवारे का ऐतिहासिक दस्तावेज है, तो बँटवारे के बावजूद भारत में हिन्दू-मुस्लिम जनता के सहजीवन का मार्मिक उद्घाटन ख़ुदा सही सलामत है’ में सम्भव हुआ है। हज़री, अज़ीजन, गुलबदन शर्मा, सिद्दीकी, पंडित, पंडिताइन, गुलाबदेई, लतीफ़, हसीना, उमा, लक्ष्मीयर, ख्वाजा और प्रेम जौनपुरी जैसे जीवन्त और गतिशील पात्र अपनी तमाम इनसानी ताकत और कमज़ोरियों के साथ हमें अपने परिवेश का हिस्सा बना लेते हैं। शर्मा और गुल का प्रेम इन दो धाराओं के मिश्रण को पूर्णता तक पहुँचाने को है कि साम्प्रदायिकता की आड़ लेकर रंग-बिरंगे निहित स्वार्थ उनके आड़े आ जाते हैं। जैसे प्रेम कुर्बानी मांगता है, वैसे ही महान सामाजिक उद्देश्य भी यह उपन्यास अंततः इसी सत्य को रेखांकित करता है।
साम्प्रदायिकता के अलावा यह उपन्यास नारी प्रश्न पर गहराई से विचार करता है। इसके महिला पात्र भेदभाव करने वाली पुरुष मानसिकता की सारी गंदगी का सामना करने के बावजूद अंत तक अविचलित रहते हैं अपनी समस्त मानवीय दुर्बलताओं के साथ चित्रित होने के बावजूद एक क्षण को भी ऐसा नहीं लगता कि उन्हें उनके न्यायोचित मार्ग से हटाया जा सकता है। उत्तर मध्यकालीन भारतीय संस्कृति की वारिस, तवायफ़्रों के माध्यम से आनेवाली यह व्यक्तित्व सम्पन्नता काफ़ी मानीखेज है। यह हमें याद दिलाती है कि औपनिवेशिक आधुनिकता की आत्महीन राह पर चलते हुए हम अपना क्या कुछ गँवा चुके हैं।
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| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | ख़ुदा सही सलामत है | Khuda Sahi Salamat Hai |
| Author | Ravindra Kaliya |
| Category | Novel Book in Hindi PDF |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 410 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“हम में से प्रत्येक में एक और है जिसे हम नहीं जानते।” कार्ल जंगअ[
“In each of us, there is another one whom we don't know.” Carl Jung
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