उत्ताल उमंग-सुभाष घई की फ़िल्मकला : प्रहलाद अगरवाल | Uttal Umang-Subhash Ghai Ki Filmkala : By Prahlad Agrawal Hindi Book
उत्ताल उमंग-सुभाष घई की फ़िल्मकला पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : सुभाष घई पिछले तीन दशक नाचीज से शुरू हुई उनकी रचना-या
जनरत हैं। एक शिखर संधान करते हुए आज भी जारी है। ‘कालीचरण’ की शुरुआत का अनजाना व्यक्तित्व हिन्दी सिनेमा में एक प्रतिमान की तरह स्थापित हो चुका है। इस तरह कि उसकी कठोरतम आलोचना भी की जा सकती है लेकिन उपेक्षा नहीं। आज सुभाष घई एक विशाल कारपोरेट साम्राज्य के शीर्षपुरुष हैं। उनकी निर्माण संस्था के अन्तर्गत अनेक फिल्मकार फिल्में बना रहे हैं। फिल्म निर्माण से सम्बन्धित अनेक उपक्रमों के वे मालिक हैं। उन्होंने अपनी पिछली कई फिल्में खुद ही प्रदर्शित की हैं और अब वितरण व्यवसाय में भी प्रवेश कर चुके हैं। उनका इरादा फिल्म निर्माण से सम्बन्धित प्रशिक्षण देने वाला एक विराट संस्थान भी आरम्भ करने का है, कहा जाता है कि उसकी सारी तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं। पर हमारे लिए या कहना चाहिए कि सिनेमा के आशिकों के लिए सबसे बढ़कर महत्त्व का उनका फिल्मकार व्यक्तित्व है जिसने उन्हें लाखों दिलों की चाहतों में शामिल किया है हमारी यह किताब सुभाष घई के फिल्मकार व्यक्तित्व से ही मुखातिब है जिसका हमसे पिछले तीन दशकों में लगातार प्रगाढ़ सम्बन्ध बनता चला गया।
| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | उत्ताल उमंग-सुभाष घई की फ़िल्मकला | Uttal Umang-Subhash Ghai Ki Filmkala |
| Author | Prahlad Agrawal |
| Category | Bollywood Book in Hindi PDF Entertainment Book in Hindi PDF |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 188 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“अगर किसी को अपने कर्म में सुखी होना है, तो इन तीन चीजों की आवश्यकता है: वे उसके लिए उपयुक्त हों; वे इसकी अति न करें; और उन्हें इस कर्म में सफलता का आभास हो।” ‐ जॉन रस्किन
“In order that people may be happy in their work, these three things are needed: they must be fit for it; they must not do too much of it; and they must have a sense of success in it.” ‐ John Ruskin
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