गुनाह-बेगुनाह : मैत्रेयी पुष्पा | Gunah-Begunah : By Maitreyi Pushpa Hindi Book
गुनाहा-बेगुनाह पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : भारतीय समाज में ताकत का सबसे नजदीकी, सबसे देशी और सबसे नृशंस चेहरा- पुलिस। कोई हिन्दुस्तानी जब कानून कहता है तब भी और जब सरकार कहता है तब भी उसकी आँखों के सामने कुछ खाकी सा ही रहता है। इसके बावजूद थाने की दीवारों के पीछे क्या होता है हम में से ज्यादातर नहीं जानते। यह उपन्यास हमें इसी दीवार के उस तरफ ले जाता है और उस रहस्यमय दुनिया के कुछ दहशतनाक दृश्य दिखाता है और सो भी एक महिला पुलिसकर्मी की नजरों से।
इला जो अपने स्त्री वजूद को अर्थ देने और समाज के लिए कुछ कर गुजरने का हौसला लेकर खाकी वर्दी पहनती है, यहाँ जाकर देखती है कि वह चालाक, कुटिल लेकिन डरपोक मर्दों की दुनिया से निकलकर कुछ ऐसे मर्दों की दुनिया में आ गई है जो और भी ज्यादा क्रूर, हिंसालोलुप और स्त्रीभक्षक हैं। ऐसे मर्द जिनके पास वर्दी और बेल्ट की ताकत भी है, अपनी अघपढ़ मर्दाना कुंठाओं को अंजाम देने की निरंकुश निर्लज्जता भी और सरकारी तंत्र की अबूझता भयभीत समाज की नजरों से दूर, थाने की अंधेरी कोठरियों में मिलनेवाले रोज-रोज के मौके भी।
से
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| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | गुनाहा-बेगुनाह | Gunah-Begunah |
| Author | मैत्रेयी पुष्पा / Maitreyi Pushpa |
| Category | Novel Book in Hindi PDF |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 296 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“उस पेशे का चयन कीजिये जिसे आप पसंद करते हों, फिर आप पूरी ज़िन्दगी एक भी दिन नौकरी नहीं करेंगे।” – कन्फ्यूशियस
“Choose a job you love, and you will never have to work a day in your life.” – Confucius
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