अहंकार : प्रेमचन्द द्वारा मुफ्त हिंदी पीडीऍफ पुस्तक | Ahankar : by Premchand Hindi PDF Book
पुस्तक का विवरण / Book Details | |
Book Name | अहंकार / Ahankar |
Author | Munshi Premchand |
Category | Kahani, Story, Uncategorized |
Language | हिंदी / Hindi |
Pages | 256 |
Quality | Good |
Size | 8.2 MB |
Download Status | Available |
पुस्तक का विवरण : उन दिनों चील नदी के दट पर वहुत से तपस्वी रह्य करते थे। दोनों ही किनारों पर कितनी ही कोपड़ियाँ थोड़ी-थोड़ी दूर पर बनी हुई भी । तपस्वी लोग इन्ही में एकान्तवास करते थे और ज़रूरत पड़ने पर एक दूसरे की सद्दायता करते थे । इन्हीं झोंपड़ियों के बीच मे जहाँ तहाँ गिरजे बने हुए थे। प्रायः सभी गिरजाघरों पर सजीव का आकार दिखाई देता था। धर्मोत्सवों पर साधु-सन्त दूर-दूर से यहाँ आ जाते थे। नदी के किनारे जहाँ तहाँ मठ भी थे जहाँ तपस्वी लोग अकेले छोटी-छोटी गुफ्राओं मे सिद्धि-प्राप्ति करने का यत्न करते थे ।
यहाँ सभी तपस्वी बड़े-बड़े कठिनवृत धारण करते थे, केवल सूर्यास्त के वाद एक वार सूक्ष्म आहार करते । रोटी और नमक के सिवाय और किसी वस्तु का सेवन न करते ये। कितने ही तो समाधियों या कन्दराओं मे पड़े रहते थे। सभी ब्रमह्यचारी थे, सभी मिताहारी थे वह ऊन का एक कुरता और कन्टोप पहनते थे…………
Here all the ascetics used to wear big hard-wearing, only after sunset they used to eat subtle food once in a while. They do not consume anything other than bread and salt. Some used to lie in samadhis or caves. All were brahmacharis, all were reticent, they used to wear a woolen kurta and a cape………..
“एक बार काम शुरू कर लें तो असफलता का डर नहीं रखें और न ही काम को छोड़ें। निष्ठा से काम करने वाले ही सबसे सुखी हैं।” ‐ चाणक्य
“Once you start a working on something, don’t be afraid of failure and don’t abandon it. People who work sincerely are the happiest.” ‐ Chanakya
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